"बगीचे में झूले पर दोपहर की झपकी"-1

Started by Atul Kaviraje, January 23, 2025, 07:46:25 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"बगीचे में झूले पर दोपहर की झपकी"

बगीचे में झूला, हिलता धीरे-धीरे,
सपनों की दुनिया, लगती है प्यारी सी।
आसपास हैं फूल, रंग-बिरंगे खिले,
सुनहरी धूप में, हवाएँ झूलें। 🌸🌞

झूले पर बैठा, नज़रे घुमा,
मधुर सी आवाज़, पंछी गाए गाना।
सिर में हल्की सी नींद समाए,
कभी हवाओं में, कभी ख्वाबों में जाए। 🕊�💤

झूलते झूले में, ख़्वाबों की बुनाई,
दोपहर की धूप, सीधी सी सफाई।
मन की शांति, दिल का सुकून,
बगीचे में, दोपहर की झपकी का जूनून। 🌿🌳

हवाएँ बहे, जैसे पुरानी कहानी,
ज़िंदगी के लम्हे, लगे जैसे जवानी।
मौन में बसी है, मीठी सी बात,
प्यार भरी है, दोपहर की बात। 🌬�💖

झूला हिलता, नींद के पल पंख फैलाए,
चाहे जितनी भी हो, नीरव रात्रि आए।
दोपहर का ख्वाब, फिर साकार होता,
बगीचे में झूला, माया सा होता। 🌙✨

Meaning:
This poem captures the serene moment of taking a nap in a swing in the garden during the afternoon. It highlights the peaceful environment, the calming breeze, and the sweet dreams that accompany such moments of relaxation and tranquility.

Symbols and Emojis: 🌸🌞🕊�💤🌿🌳🌬�💖🌙✨

--अतुल परब
--दिनांक-23.01.2025-गुरुवार.
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