"रेगिस्तानी परिदृश्य पर चमकता चाँद"-1

Started by Atul Kaviraje, January 23, 2025, 10:11:08 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"रेगिस्तानी परिदृश्य पर चमकता चाँद"

अंतहीन रेत के ऊपर चमकता चाँद,
इसकी चाँदी जैसी रोशनी बंजर ज़मीन को छूती है। 🌕🌵
धीरे-धीरे यह ऊपर उठता है, ऊँचा और चमकीला,
खामोश रात में शांति की किरण। ✨

टीले दूर तक फैले हैं, जैसे समुद्र में लहरें,
अनंत काल की कहानियाँ फुसफुसाती हैं। 🌾
हवा धीरे-धीरे गुनगुनाती है, एक शांत धुन,
जैसे दुनिया चमकते चाँद से गले मिलती है। 🌙🎶

रेगिस्तान अपनी चमक के नीचे सोता है,
एक शांतिपूर्ण सन्नाटा जहाँ ठंडी हवाएँ चलती हैं। 🏜�❄️
सितारे हल्के-हल्के चमकते हैं, दूर-दूर तक बिखरे हुए,
जबकि चाँद चमकता है, एक शांत मार्गदर्शक। 🌟🌙

शांति गहरी है, फिर भी अनुग्रह से भरी है,
जैसे छायाएँ इस अंतहीन स्थान में नृत्य करती हैं। 🌚
रेगिस्तान की रात में, इतनी शांत और सच्ची,
चमकता चाँद आपसे फुसफुसाता है। 💫

एक कालातीत क्षण, जहाँ सपने उड़ान भरते हैं,
चाँद की चौकस निगाहों के नीचे। 🌙💭
रेगिस्तान के दिल में, जहाँ खामोशी राज करती है,
चमकता चाँद हमेशा के लिए रहता है। 🏜�🌙

अर्थ:
यह कविता चमकते चाँद से रोशन रेगिस्तान के परिदृश्य की शांत सुंदरता को दर्शाती है। यह रात में रेगिस्तान की शांति और विशालता की बात करती है, जहाँ चाँद रास्ता दिखाता है और शांति शांतिपूर्ण प्रतिबिंब को आमंत्रित करती है। रेगिस्तान, अपनी विशालता और खामोशी के साथ, कालातीत सुंदरता और शांत एकांत के स्थान के रूप में चित्रित किया गया है।

प्रतीक और इमोजी: 🌕🌵✨🌙🎶🌾❄️🌟💫🌚🏜�

--अतुल परब
--दिनांक-23.01.2025-गुरुवार.
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