"रेगिस्तान के परिदृश्य पर चमकता चाँद"-2

Started by Atul Kaviraje, January 23, 2025, 10:11:40 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"रेगिस्तान के परिदृश्य पर चमकता चाँद"

रेगिस्तान की चुप्प में बिखरी रात,
चमकता चाँद, एक सितारे जैसी बात। 🌙
मलमल की रेत पर जो छाई है धूल,
चाँद की रौशनी में है एक सुंदर भूल। ✨

चाँद की किरणें रेत को छूने आईं,
हवाएँ सुनातीं, दिलों को ललचाईं। 🍃
रेगिस्तान की धूप का कोई असर नहीं,
चाँद की चाँदनी सर्दी और सुख देती है कहीं। 🌵❄️

चमकता चाँद, अपने प्रकाश से करता है राज,
रेगिस्तान में यह प्रेम का अनोखा संजाल। 💖
रात के सन्नाटे में जैसे कोई गीत गाए,
सपनों के रास्ते पर चाँद ही हमें ले जाए। 🌟

हर धड़कन में उसके प्रकाश की छांव,
रेगिस्तान में यह प्रेम हो जैसे एक अद्भुत दांव। 🌾
चाँद के संग, रेत पर कदम बढ़ते जाएं,
इस शांतिपूर्ण रात में हम सब खो जाएं। 🏜�

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता रेगिस्तान के सुनसान परिदृश्य में चमकते चाँद को दर्शाती है। चाँद की रौशनी रेगिस्तान के अंधकार को न केवल रोशन करती है, बल्कि एक गहरे प्रेम और शांति का अहसास भी देती है। यह कविता बताती है कि कैसे चाँद के प्रकाश में हम अपने भीतर की शांति और सौंदर्य को महसूस कर सकते हैं। 🌙💖

चिन्ह और इमोजी:

🌙 - चमकता चाँद
✨ - रौशनी और आशा
🍃 - हवाएँ, प्रकृति
🌵 - रेगिस्तान
❄️ - ठंडक और शांति
💖 - प्रेम और स्नेह
🌟 - शुभ और शांतिपूर्ण क्षण
🏜� - रेगिस्तान, सूनापन

--अतुल परब
--दिनांक-23.01.2025-गुरुवार.
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