"धूप भरी दोपहर में दोस्तों के साथ आउटडोर डाइनिंग"-2

Started by Atul Kaviraje, January 24, 2025, 05:34:41 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, शुक्रवार मुबारक हो

"धूप भरी दोपहर में दोस्तों के साथ आउटडोर डाइनिंग"

सूरज चमक रहा है, आसमान बहुत नीला है,
एक बेहतरीन दिन, दुनिया नई लगती है।
मेज सेट है, पास में हंसी है,
जैसे-जैसे दोस्त इकट्ठे होते हैं, दिल सच्चे होते हैं। 🌞🍽�

हवा नरम है, हवा बहुत मीठी है,
जैसे-जैसे हम सब दावत के लिए इकट्ठे होते हैं।
हँसी गूंजती है, कहानियाँ सामने आती हैं,
इस पल में, हम शुद्ध आनंद को धारण करते हैं। 🎉💬

खाने की खुशबू हवा में भर जाती है,
ताज़े फल, और तुलना से परे स्वाद।
हर निवाला साझा किया जाता है, इतनी बड़ी मुस्कान के साथ,
दोस्ती की गर्मजोशी में, हम सभी रहते हैं। 🍉🍰

जीवन के लिए एक टोस्ट, प्यार के लिए एक टोस्ट,
हम अपने गिलास ऊपर आसमान की ओर उठाते हैं।
दोपहर के सूरज की चमक में,
हमारे दिल भरे हुए हैं, और हमारी आत्माएँ एक हैं। 🥂💖

हम हर पल का आनंद लेते हैं, यहाँ और अभी,
वर्तमान को संजोते हुए, यह सोचे बिना कि कैसे।
क्योंकि इस समय में, सब कुछ सही लगता है,
सूरज के नीचे, इतना उज्ज्वल, इतना प्रकाश। 🌳✨

अर्थ:
यह कविता दोस्तों के साथ दोपहर बिताने, अच्छे भोजन का आनंद लेने और पल की सुंदरता को अपनाने की खुशी और गर्मजोशी का जश्न मनाती है। यह जीवन के सरल सुखों में साझा अनुभवों, प्रेम और एकजुटता की खुशी के बारे में बताती है।

प्रतीक और इमोजी: 🌞🍽�🎉💬🍉🍰🥂💖🌳✨

--अतुल परब
--दिनांक-24.01.2025-शुक्रवार.
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