"खुले मैदान पर तारे"-2

Started by Atul Kaviraje, January 24, 2025, 10:19:05 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शुक्रवार मुबारक हो

"खुले मैदान पर तारे"

खुले मैदान में झिलमिलाते तारे, ✨
रात की सूनाई में जैसे प्यारे सितारे। 🌌
सपनों की राह पर ये हमें ले जाएं,
उजाले से दिलों को रोशन कर जाएं। 💫

आसमान का गहरा रंग, अंधेरा हल्का,
तारों की बगिया जैसे खुशबू से भरी एक पलका। 🌙
सात समंदर, सात रंग के तारे,
हर एक में बसी हो एक अनकही दुआ। 🌠

इन तारों से मिले सजीव आकाश,
हर दिल में गूंजे एक मीठा सा राग। 🎶
दूर-दूर तक इनकी रौशनी फैल जाए,
हमारा दिल भी जैसे इनसे मिल जाए। 💖

हर तारा अपनी कहानी सुनाता है,
खुद में एक अद्भुत राज़ बताता है। 🧩
खुले मैदान में ये तारे हंसी की तरह,
हर बात में हमसे जुड़े हैं, जैसे कोई सूरत। 🌟

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता खुले मैदान पर चमकते तारों का सुंदर दृश्य और उनकी रौशनी के माध्यम से मन के भीतर के शांतिपूर्ण और प्रेरणादायक एहसासों को व्यक्त करती है। तारे हमारी इच्छाओं, सपनों और रिश्तों का प्रतीक बनकर हमें आकाश में एक नया रुख दिखाते हैं। ✨🌌

चिन्ह और इमोजी:

✨ - चमकते तारे
🌌 - आकाश और सितारे
💫 - आशा और उजाला
🌙 - रात का समय
🌠 - तारा, सपना
🎶 - संगीत, आंतरिक शांति
💖 - प्रेम और रिश्ते
🧩 - रहस्यमय और गहरे विचार
🌟 - खास पल, संकल्प

--अतुल परब
--दिनांक-24.01.2025-शुक्रवार.
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