भारतीय परिवार व्यवस्था और उसका बदलता स्वरूप-

Started by Atul Kaviraje, January 24, 2025, 10:51:01 PM

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Atul Kaviraje

भारतीय परिवार व्यवस्था और उसका बदलता स्वरूप-

परिचय:

भारतीय समाज में परिवार को एक विशेष स्थान प्राप्त है। पारंपरिक रूप से भारतीय परिवार एक संयुक्त परिवार व्यवस्था के रूप में जाना जाता था, जिसमें एक ही घर में दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे, चाचा-चाची, ताऊ-ताई और अन्य रिश्तेदार रहते थे। यह व्यवस्था एक मजबूत सामाजिक ढांचे का निर्माण करती थी, जिसमें परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के साथ मिलकर रहते थे और एक दूसरे का ख्याल रखते थे।

हालांकि, समय के साथ भारतीय परिवार व्यवस्था में कई बदलाव आए हैं। आजकल यह व्यवस्था एकल परिवार या न्यूक्लियर परिवार के रूप में परिवर्तित हो गई है, जहां माता-पिता और उनके बच्चे ही एक साथ रहते हैं। इस बदलाव के कारण सामाजिक, सांस्कृतिक, और व्यक्तिगत दृष्टिकोण से कई नई चुनौतियाँ और अवसर उत्पन्न हुए हैं।

भारतीय परिवार व्यवस्था का पारंपरिक स्वरूप:

पारंपरिक भारतीय परिवार व्यवस्था का मुख्य आधार था परिवार के सभी सदस्यों के बीच सहयोग, समझ, और एकजुटता। संयुक्त परिवार में सभी सदस्य अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करते थे। उदाहरण के तौर पर, दादा-दादी बच्चों की देखभाल करते थे, माता-पिता गृहस्थी के कामों में व्यस्त रहते थे, और चाचा-चाची, ताऊ-ताई सामाजिक और मानसिक सहारा प्रदान करते थे।

संयुक्त परिवार व्यवस्था के फायदे थे:

सामाजिक सुरक्षा: एक संयुक्त परिवार में सदस्य आपस में अपने दुख-सुख साझा करते थे, जिससे हर किसी को मानसिक और भावनात्मक सहारा मिलता था।
संपत्ति का समान वितरण: पारंपरिक भारतीय परिवारों में संपत्ति का बंटवारा अक्सर समान रूप से किया जाता था, ताकि कोई भी सदस्य वंचित न रहे।
सांस्कृतिक मूल्य और परंपराएं: बच्चों को बड़े परिवार में रहते हुए सांस्कृतिक मूल्य, परंपराएं, और भारतीय रीति-रिवाज सिखाए जाते थे।

बदलता परिवार स्वरूप:

समय के साथ भारतीय समाज में कई सामाजिक और आर्थिक बदलाव आए हैं, जिससे पारंपरिक संयुक्त परिवार व्यवस्था का स्वरूप बदल गया है। अब अधिकतर परिवारों में नॉयरक्लियर परिवार की व्यवस्था है, जिसमें केवल माता-पिता और उनके बच्चे एक साथ रहते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें शहरीकरण, महिलाओं की शिक्षा और रोजगार, जीवनशैली में बदलाव, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती चाहत प्रमुख हैं।

शहरीकरण: शहरी इलाकों में लोगों का रहन-सहन अलग हुआ है, जहां लोग ज्यादा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की तलाश करते हैं। इससे संयुक्त परिवार की संख्या घटने लगी है।
महिलाओं का रोजगार: महिलाओं के शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ने से पारंपरिक भूमिका में बदलाव आया है। अब महिलाएं भी कामकाजी हैं, और अपनी पहचान और स्वतंत्रता की ओर बढ़ रही हैं।
आर्थिक दबाव: बढ़ती महंगाई, उच्च शिक्षा का खर्च, और व्यक्तिगत आज़ादी की चाहत ने परिवारों को एकल परिवार व्यवस्था की ओर ढकेल दिया है।
सामाजिक बदलाव: व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर पर ध्यान केंद्रित करने के कारण युवाओं की प्राथमिकताएं बदल गई हैं, जो पारंपरिक संयुक्त परिवार व्यवस्था से बाहर निकलने की ओर प्रवृत्त हैं।

आधुनिक परिवार की चुनौतियाँ:

न्यूक्लियर परिवार व्यवस्था में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

संवेदनात्मक अलगाव: बड़े परिवारों में आपसी संबंध अधिक मजबूत होते थे, जबकि एकल परिवारों में सदस्य भावनात्मक रूप से अलग-थलग पड़ सकते हैं।
बड़ों का ध्यान रखने की जिम्मेदारी: पहले संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों का ध्यान रखा जाता था, लेकिन अब नॉयरक्लियर परिवारों में यह जिम्मेदारी कम होती जा रही है।
संपत्ति और अधिकारों के विवाद: पारंपरिक परिवारों में संपत्ति का बंटवारा समान रूप से होता था, लेकिन अब परिवारों में संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद हो सकते हैं।

आधुनिक परिवार के फायदे:

व्यक्तिगत स्वतंत्रता: आधुनिक परिवारों में सदस्य अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
मूल्य और आदर्शों में लचीलापन: संयुक्त परिवार की तुलना में एकल परिवार में मूल्य और आदर्शों के पालन में लचीलापन होता है।
सामाजिक नेटवर्किंग: आजकल के परिवारों में सोशल मीडिया और अन्य नेटवर्किंग साधनों के माध्यम से लोग एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, जिससे सामाजिक अलगाव कम हो जाता है।

लघु कविता:-

भारतीय परिवार पर कविता-

परिवार है जीवन का अनमोल रत्न,
साथ रहे तो हर मुश्किल हो आसान।
संयुक्त परिवार में था प्यार का सागर,
आज भी उसकी यादें मन में हैं धागे।

बदलते समय के साथ बदला है रूप,
अब एकल परिवार में हर कोई है रूप।
लेकिन परिवार की वह आत्मीयता,
हमेशा रहेगी दिलों में एकता।

अर्थ:

यह कविता भारतीय परिवार की बदलती संरचना को दर्शाती है। इसमें पारंपरिक संयुक्त परिवार की गर्माहट और उसके बाद बदलते समय के साथ एकल परिवार की स्थिति को दर्शाया गया है। फिर भी, यह संदेश दिया गया है कि परिवार का महत्व कभी खत्म नहीं होता, चाहे वह किसी भी रूप में हो।

निष्कर्ष:

भारतीय परिवार व्यवस्था का बदलता स्वरूप समाज के विकास और बदलती जीवनशैली का प्रतीक है। जबकि पारंपरिक परिवार व्यवस्था में अधिक सामूहिकता और सहयोग था, वहीं आजकल के परिवारों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आधुनिक जीवनशैली की प्रमुखता है। हालांकि, परिवार के किसी भी रूप में, पारस्परिक संबंध, सम्मान और समझ सबसे महत्वपूर्ण हैं।

💖 परिवार ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, चाहे वह संयुक्त हो या एकल। 💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-24.01.2025-शुक्रवार.
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