देवी काली का 'काल' और 'समय' पर प्रभाव-

Started by Atul Kaviraje, January 24, 2025, 11:03:39 PM

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Atul Kaviraje

देवी काली का 'काल' और 'समय' पर प्रभाव-
(The Influence of Goddess Kali on 'Time' and 'Eternity')

परिचय:

भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में देवी काली का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें शक्ति और विनाश की देवी के रूप में पूजा जाता है। काली देवी का एक प्रमुख रूप वह है जो समय और काल के नियंत्रण से जुड़ा हुआ है। वे न केवल मृत्यु और समय की शक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि 'काल' और 'समय' के अस्तित्व और समाप्ति के बीच की सीमाओं को भी दर्शाती हैं। देवी काली के रूप में हम काल के अजेय चक्र को समझ सकते हैं, जो जीवन के सृजन, पालन और विनाश के अडिग चक्र में संलग्न है। इस लेख में हम देवी काली के 'काल' और 'समय' पर प्रभाव का अध्ययन करेंगे और देखेंगे कि उनके इस रूप से हमें क्या सीख मिलती है।

देवी काली का काल और समय पर प्रभाव:

काल और समय का निरंतर चक्र: देवी काली को 'कालिका' भी कहा जाता है, जो काल (समय) की स्वामिनी हैं। उनका रूप काल के संहारक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, क्योंकि वे समय के अटल और चिरस्थायी चक्र को नियंत्रित करती हैं। काली का यह रूप न केवल समय के विनाश का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन के चक्रीय रूप को भी दर्शाता है। उनका प्रत्येक रूप समय के हर क्षण को साकार करता है—वह जो अज्ञेय है, जो स्थायी है, और जो सब कुछ समाप्त कर देती है।

उदाहरण:
"जब काल का प्रवाह एक सीमा को पार करता है, तब देवी काली प्रकट होती हैं और संसार के समस्त रचनाओं का संहार कर देती हैं, ताकि नया सृजन संभव हो सके।" यह दृश्य हमें बताता है कि जैसे रात्रि के बाद सुबह आती है, वैसे ही काली देवी काल के चक्र को संचालित करती हैं।

समय की अपरिहार्यता: देवी काली का रूप हमें समय की अपरिहार्यता और उसके अनिवार्य प्रवाह का बोध कराता है। उनका रंग काला और उनके साथ जुड़े प्रतीक, जैसे चमकती हुई माला और खंजर, यह सब समय के उस अनियंत्रित प्रवाह को दर्शाते हैं, जो अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच निरंतर चलता रहता है। काली के रूप में समय का वह आंतरिक रूप प्रदर्शित होता है, जो समग्र सृष्टि के लिए अविचल और अपरिहार्य होता है।

उदाहरण:
"महाकाल के रूप में काली देवी समय के अधिपति हैं। वे निरंतर अपना कार्य करती रहती हैं, और यह हमें यह सिखाती हैं कि समय कभी रुकता नहीं है, बल्कि वह अनंत रूप में चलता रहता है।" काली का यह रूप यह समझाता है कि जीवन में जो भी होता है, वह समय के चलते होता है और समय को कोई भी नहीं रोक सकता।

विनाश और पुनः सृजन: देवी काली का प्रमुख रूप उनके विनाशक रूप के रूप में जाना जाता है, जहां वह सृष्टि के समापन के बाद नए निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं। काली का यह रूप हमें यह सिखाता है कि समय के भीतर विनाश और सृजन का अद्वितीय संतुलन होता है। यह न केवल जीवन और मृत्यु के चक्र को दर्शाता है, बल्कि यह समय के अदृश्य हाथों द्वारा हमारे हर क्षण का निर्माण और नाश भी करता है। काली के काल रूप से हम समझ सकते हैं कि हर समाप्ति एक नई शुरुआत की ओर इशारा करती है।

उदाहरण:
महाकाल काली के रूप में सृष्टि का अंत और फिर से उसका आरंभ होता है। उनका विनाशक रूप यह दर्शाता है कि मृत्यु एक अंत नहीं, बल्कि जीवन के नए चक्र की शुरुआत है।

मृत्यु और मुक्ति के साथ संबंध: काली का काल से संबंध बहुत गहरा है। वह समय का विनाशक रूप होने के बावजूद, जीवन और मृत्यु के पार एक शाश्वत अवस्था का प्रतीक भी हैं। जब हम काली की उपासना करते हैं, तो हम इस वास्तविकता को स्वीकारते हैं कि मृत्यु एक अनिवार्य चक्र है, जिसे हमें समझकर, हर क्षण का मूल्य जानकर जीना चाहिए। काली हमें यह सिखाती हैं कि काल के साथ अनंतता जुड़ी हुई है, जो जीवन और मृत्यु के परे होती है।

उदाहरण:
"महाकाली के दर्शन से आत्मा को शांति मिलती है, क्योंकि वह मृत्यु को भी शाश्वत और कालातीत रूप में देखती हैं।" इस दृष्टि से, काली का रूप हमें समय के अटल स्वभाव को समझने में मदद करता है।

काल के भीतर काली का स्थान: देवी काली का स्थान 'काल' में अनंत और अज्ञेय होता है। वह समय की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और उसकी गहरी रहस्यपूर्ण प्रकृति को समझाती हैं। उनके रूप में 'अकाल' या 'अकाल-मृत्यु' को देखा जाता है, जो यह दर्शाता है कि समय के भीतर कोई भी अज्ञेय और अदृश्य शक्तियां काम करती हैं। काली देवी के रूप में काल की अद्वितीयता को हम उनके अजेय रूप में देख सकते हैं, जो हमें जीवन के अनश्वर सत्य का बोध कराती है।

उदाहरण:
"देवी काली की पूजा से व्यक्ति काल के पार जाकर अज्ञानता से मुक्ति प्राप्त करता है।" इस प्रकार, काली के दर्शन से हम काल और समय के चक्र को पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।

लघु कविता:

काली के रूप में समय का है प्रवाह,
जन्म और मृत्यु दोनों का है साथ।
हर पल जो घटे वह न कुछ रुकता,
काल की छाया, नहीं कुछ टिकता। 🕉�🌑

अर्थ:
यह कविता देवी काली के रूप में समय के चक्र को व्यक्त करती है। हर क्षण में समय की निरंतरता और उसकी अपरिहार्यता को हम समझते हैं, और काली का रूप हमें यह महसूस कराता है कि समय कभी रुकता नहीं है।

निष्कर्ष:

देवी काली का काल और समय पर प्रभाव अत्यंत गहरा है। वह समय के हर पहलू का प्रतीक हैं—वह विनाशक रूप में समय के चक्र को नियंत्रित करती हैं और जीवन की हर घटना के साथ एक शाश्वत रूप में जुड़ी होती हैं। काली के रूप में हम समझ सकते हैं कि समय का चक्र कभी रुकता नहीं है, और हमें इस चक्र का हिस्सा होते हुए हर क्षण को समझदारी और भक्ति के साथ जीना चाहिए। उनका रूप हमें यह सिखाता है कि काल और समय के पार हम अनंतता और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

🌸🕉�

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-24.01.2025-शुक्रवार.
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