"घास पर सुबह की ओस का क्लोज-अप 🌿💧"-2

Started by Atul Kaviraje, January 25, 2025, 10:29:14 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शनिवार मुबारक हो

"घास पर सुबह की ओस का क्लोज-अप 🌿💧"

चरण 1:
सुबह की ओस बूँदें चमक रहीं,
घास पर मोती से बिखरी रहीं।
सुनहरी धूप ने उन्हें छुआ,
हर बूँद में एक नयी दुनिया बसी। 🌞💧

अर्थ:
यह कविता सुबह की ओस की सुंदरता को दिखाती है, जहाँ घास की नन्हीं बूँदें सूरज की किरणों से चमक उठती हैं, मानो वो एक नयी दुनिया की शुरुआत हो।

चरण 2:
ओस की बूँदें, एक-एक सजी,
हर एक में बसी जीवन की रेखा।
घास की कोमलता में छुपा है सुख,
दृष्टि में बसी, स्वप्नों की रेखा। 🌿💖

अर्थ:
यहां ओस की बूँदों को जीवन के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है, जो हमें हर क्षण में संतुष्टि और नयापन का अहसास कराती हैं। घास की कोमलता हमें जीवन की सादगी और खुशियाँ सिखाती है।

चरण 3:
हवा में बसी ठंडी ठंडक,
ओस की बूँदों में मीठी महक।
मन हर पल ओस से सजा,
जीवन की राह पर हमें संजीवनी मिलें। 🌬�💧

अर्थ:
यहां हवा की ठंडक और ओस की बूँदों में बसी महक को महसूस किया जा रहा है। यह चित्रण हमें जीवन के ठंडे और शीतल क्षणों का अहसास कराता है, जो हमें शांति और नवीनीकरण का अहसास कराते हैं।

चरण 4:
ओस की बूँदें, जैसे एक चमकते स्वप्न,
हमें दिखाती हैं, जीवन के सफर के रत्न।
जो हम देखते हैं, वो होता नहीं सच,
पर ओस की तरह, हर पल है विशेष। 🌱✨

अर्थ:
यह चरण हमें जीवन के स्वप्नों और आशाओं से अवगत कराता है, और यह सिखाता है कि जैसे ओस की बूँदें चमत्कारी दिखती हैं, वैसे ही जीवन में हर क्षण अद्वितीय और मूल्यवान होता है।

🌟 संदेश और अर्थ:
यह कविता सुबह की ओस के बारे में है, जो घास पर बिखरी हुई होती है और सूरज की किरणों से चमकती है। ओस की बूँदें जीवन के छोटे, पर महत्वपूर्ण क्षणों का प्रतीक हैं। ये हमें जीवन की सरलता, शांति और ताजगी का अहसास कराती हैं, और यही हमें अपने दिन की शुरुआत में खुशी और संतोष का अनुभव कराती हैं।

चित्र और इमोजी:
🌿💧🌞✨🌱💖

--अतुल परब
--दिनांक-25.01.2025-शनिवार.
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