"दोपहर की धूप में पहाड़ों का मनोरम नज़ारा"-1

Started by Atul Kaviraje, January 25, 2025, 02:27:21 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, शनिवार मुबारक हो

"दोपहर की धूप में पहाड़ों का मनोरम नज़ारा"

दोपहर की धूप, हल्की सी सजी,
पहाड़ों का रूप, हर दिशा में बजी।
चमकते पर्वत, सुनहरे से रंग,
आसमान में बसी, नन्ही सी तरंग। 🌄🌞

घने जंगलों में हवाओं का गीत,
हर कदम पर, प्रकृति का मीठा संगीत।
पहाड़ों की चोटियाँ, बर्फ से ढकी,
धरती पर बसी, जैसे स्वर्ग की झलक। ❄️🌲

सूरज की किरणें, पर्वतों पर बिखरीं,
दूर-दूर तक, हर वादी में पिघलीं।
नदियाँ गातीं, झरने गिरते,
पानी की बूंदें, धूप में चमकते। 💧🎶

नीला आकाश, सफेद बादल,
पर्वतों के बीच, हर दृश्य सरल।
हर बारीकी में छिपी है कहानी,
प्रकृति की प्रेमभरी, अद्भुत निशानी। ⛰️☁️

मन शान्त है, दिल में है ठंडक,
पर्वतों का नज़ारा, जैसे जीवन का मन्नत।
दोपहर की धूप में यह दृश्य नयन,
सुरम्य, सुखद, आत्मा को हो चैन। 🌅🕊�

Meaning:
This poem describes the breathtaking view of mountains on a sunny afternoon. It highlights the beauty of the mountains, the serenity of nature, and the peaceful feeling that one experiences while observing such a magnificent landscape.

Symbols and Emojis: 🌄🌞❄️🌲💧🎶⛰️☁️🌅🕊�

--अतुल परब
--दिनांक-25.01.2025-शनिवार.
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