"सूर्यास्त का बालकनी से नज़ारा"-1

Started by Atul Kaviraje, January 25, 2025, 10:12:54 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शनिवार मुबारक हो

"सूर्यास्त का बालकनी से नज़ारा"

जैसे-जैसे सूरज ढलता है, आसमान चमक उठता है, 🌅
एक सुनहरी रोशनी जो दिल को धीमा कर देती है। 💛
अपनी बालकनी से, मैं दुनिया को फीका पड़ता हुआ देखता हूँ,
गोधूलि के घंटों में, जहाँ सपने बनते हैं। 🌙

आकाश के रंग, नरम और गहरे, 🌈
फुसफुसाते हुए रहस्य जो धरती को रखने चाहिए। 🌍
नारंगी और बैंगनी, इतने समृद्ध, इतने उज्ज्वल,
एक शांतिपूर्ण क्षण, शुद्ध और हल्का। 🌟

पेड़ों को हिलाने वाली कोमल हवा, 🍃
दूर समुद्र की खुशबू ले जाती है। 🌊
मैं अपनी आँखें बंद करता हूँ, प्रवाह को महसूस करता हूँ,
इस शांत घंटे में, मेरी आत्मा बढ़ती है। 🌸

नीचे की दुनिया शांत, निर्मल है,
जैसे सूरज की आखिरी किरणें, आग की तरह चमकती हैं। 🔥
एक क्षणभंगुर क्षण, इतना कोमल, इतना मधुर,
जब समय धीमा हो जाता है और दिल मिल सकते हैं। 💖

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता बालकनी से सूर्यास्त देखने की शांति को दर्शाती है। यह उस पल की सुंदरता और शांति को दर्शाती है, जहाँ दुनिया धीमी हो जाती है, और प्रकृति के रंग आत्मा से बात करते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि कैसे सरल क्षण शांति और जुड़ाव की गहरी भावनाओं को प्रेरित कर सकते हैं। 🌅💛

प्रतीक और इमोजी:

🌅 - सूर्यास्त
💛 - गर्मी और शांति
🌙 - गोधूलि
🌍 - पृथ्वी
🌈 - आकाश के रंग
🍃 - प्रकृति
🌸 - विकास और शांति
🔥 - सूर्य की शक्ति
💖 - भावनात्मक जुड़ाव

--अतुल परब
--दिनांक-25.01.2025-शनिवार.
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