"सूर्यास्त का बालकनी से नज़ारा"-2

Started by Atul Kaviraje, January 25, 2025, 10:13:25 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शनिवार मुबारक हो

"सूर्यास्त का बालकनी से नज़ारा"

बालकनी से देखूं जब सूर्य को डूबते, 🌅
रंगों का मेल, जैसे तारे गूंजते। ✨
सुनहरे बादल, लाल और नारंगी,
सपनों जैसा लगता है यह दृश्य, अनोखा और रंगी। 🌞🧡

हर किरण में छुपा एक नया आशियाना,
रात की ओर बढ़ते हुए ताजगी का तराना। 🌜
हवाएँ बहें, दिलों को सुकून मिले,
यह पल जैसे समय को ठहरा दे। 🍃💖

आसमान की चुप्प में एक गहरी बात,
सूर्यास्त में छुपी होती है एक खास सौगात। 🌇
अतीत की यादें, भविष्य का ख्वाब,
सूर्यास्त हर दिल में छोड़ जाता है एक नया आब। ⏳💫

सुनहरी रौशनी से घिरा हुआ समय,
जिंदगी की तरह यह पल भी हो जाए कभी नम, कभी हर्षित। 🌟
बालकनी से देखूं जब सूर्य को डूबते,
यह नज़ारा, मुझे दिल से जोड़ते। 🏞�❤️

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता बालकनी से सूर्यास्त के दृश्य को दर्शाती है, जहाँ हर रंग, हर किरण एक गहरी भावना और समय के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। सूर्यास्त का यह दृश्य मन को शांति और सुकून देता है, और हमें जीवन के सुंदर, शांत और प्रेरणादायक पल से जोड़ता है। 🌅🧡

चिन्ह और इमोजी:

🌅 - सूर्यास्त
✨ - आकाश का रंग और रोशनी
🧡 - प्रेम और शांति
🌞 - सूर्य और उसकी रौशनी
🍃 - हवाएँ, प्रकृति
🌜 - रात का समय
⏳ - समय की गति
🌇 - सूर्यास्त का सुंदर दृश्य
🌟 - विशिष्ट पल, विचार
🏞� - प्रकृति और दृश्य

--अतुल परब
--दिनांक-25.01.2025-शनिवार.
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