हनुमान का जीवन और उनका अहंकार रहित दृष्टिकोण-

Started by Atul Kaviraje, January 25, 2025, 11:59:54 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

हनुमानाचे जीवन आणि त्याचा अहंकारविरहित दृष्टिकोन-
(Hanuman's Life and His Humble Perspective)

हनुमान का जीवन और उनका अहंकार रहित दृष्टिकोण-

परिचय:

हनुमान जी का नाम भारतीय संस्कृति में अत्यधिक सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। वे भगवान राम के परम भक्त थे और उनकी अद्भुत भक्ति, शक्ति, साहस और विनम्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। हनुमान जी का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी अहंकार नहीं पाला। उनका जीवन संजीवनी, त्याग, और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है। उन्होंने दिखाया कि असली शक्ति केवल बाहरी ताकत में नहीं होती, बल्कि वह व्यक्ति के भीतर उसके दृष्टिकोण, भक्ति और निस्वार्थ सेवा में होती है।

हनुमान जी का जीवन:

हनुमान जी का जन्म भगवान शिव और अंजना माता के यहां हुआ था। वे बालक रूप में अत्यंत शक्तिशाली थे, और उनका बचपन अद्भुत था। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी शक्ति को कभी भी दूसरों पर घमंड करने के रूप में नहीं दिखाया। उनका जीवन एक मिशन था— भगवान राम की सेवा करना और उनके कार्यों में मदद करना।

भक्ति और निस्वार्थ सेवा: हनुमान जी ने हमेशा भगवान राम की भक्ति और सेवा को सर्वोपरि माना। वे हमेशा यह समझते थे कि भगवान की भक्ति में आत्मसंतुष्टि है, और किसी भी कार्य में अहंकार का स्थान नहीं होता। राम के प्रति उनकी भक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने अपने जीवन को भगवान राम के चरणों में समर्पित कर दिया।

अहंकार से परे दृष्टिकोण: हनुमान जी का जीवन हमें अहंकार से बचने और विनम्रता की महिमा को समझाता है। भले ही वे शक्तिशाली थे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी शक्तियों का गर्व नहीं किया। एक उदाहरण के रूप में, जब भगवान राम ने हनुमान जी से कहा कि वह राक्षसों को नष्ट करने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग करें, तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति को भगवान की इच्छा के अनुसार प्रयोग किया, न कि अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए।

संस्कार और विनम्रता: हनुमान जी ने हमेशा भगवान राम के आदेशों का पालन किया और अपने कर्तव्यों को निस्वार्थ भाव से निभाया। उनका मानना था कि विनम्रता से बढ़कर कोई गुण नहीं है। उन्होंने अपनी सारी शक्तियों और योग्यता को भगवान के कार्यों में लगाया, लेकिन कभी भी अपने योगदान का घमंड नहीं किया।

सीता जी की खोज में अहंकार रहित दृष्टिकोण: जब भगवान राम की पत्नी सीता जी का अपहरण हुआ, तब हनुमान जी ने उनकी खोज में असंख्य कठिनाइयों का सामना किया। वे समुद्र लांघने से लेकर लंका जलाने तक, हर कार्य में भगवान राम की इच्छा के अनुसार कार्य करते गए। लंका में जब हनुमान जी ने अपना रूप बड़ा किया और राक्षसों के समक्ष प्रस्तुत हुए, तब भी उनका मन केवल राम की सेवा में ही रमा हुआ था। उनकी शक्ति और साहस से कोई अहंकार या घमंड का पता नहीं चलता।

अहंकार रहित दृष्टिकोण का महत्व:

हनुमान जी का जीवन यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी शक्तियों, संसाधनों और उपलब्धियों के बारे में घमंड करने के बजाय, उन्हें दूसरों की भलाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयोग करे। हनुमान जी की तरह यदि हम अपनी शक्ति और योग्यता को भगवान की सेवा में लगाएं, तो हम आत्मसंतुष्टि और वास्तविक शांति प्राप्त कर सकते हैं। उनके अहंकार रहित दृष्टिकोण से हम यह सीख सकते हैं कि सच्ची शक्ति आत्मविश्वास और विनम्रता में निहित होती है, न कि घमंड में।

उदाहरण:

हनुमान जी का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। जब भगवान राम ने उन्हें अपनी चूड़ियां सीता जी को लाने के लिए दीं, तो हनुमान जी ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से यह कार्य किया। उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि यह कार्य उनके लिए कोई विशेष है या वे दूसरों से श्रेष्ठ हैं। उन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा से यह सिद्ध किया कि असली शक्ति कभी भी घमंड में नहीं होती, बल्कि विनम्रता और समर्पण में होती है।

लघु कविता:

हनुमान जी पर कविता-

हनुमान जी की भक्ति अद्भुत और गहरी,
राम के चरणों में लहराए भक्ति की धारा।
शक्ति का अहंकार न किया कभी,
सेवा में डूबे, सच्चे और सच्चे।

जिन्होंने समझा विनम्रता का महत्व,
वे ही सच्चे योधा, जिनमें है शक्ति का रथ।
हनुमान जी का जीवन प्रेरणा देता है,
अहंकार से परे, वह प्रेम में लहराता है।

अर्थ:

यह कविता हनुमान जी के जीवन के आदर्शों को प्रस्तुत करती है। उनके जीवन में शक्ति, साहस, और भक्ति का अद्वितीय मिलाजुला रूप था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने कभी भी अपने कर्तव्यों और शक्तियों के प्रति घमंड नहीं किया। उनकी विनम्रता और निस्वार्थ भक्ति ही उन्हें सबसे अलग बनाती है।

निष्कर्ष:

हनुमान जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी कार्य में अगर हमारा दृष्टिकोण अहंकार से रहित और भक्ति से परिपूर्ण होता है, तो वह कार्य पूरी तरह से सफल और श्रेष्ठ होता है। उनकी विनम्रता और निस्वार्थ सेवा ने हमें यह दिखाया कि सच्ची शक्ति केवल सेवा और समर्पण में होती है, न कि घमंड और अहंकार में। हम सभी को हनुमान जी के जीवन से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि किसी भी कार्य में अगर हम अपने अहंकार को किनारे रखकर सेवा भाव से काम करें, तो हम सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँच सकते हैं।

जय श्री राम! जय हनुमान!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-25.01.2025-शनिवार.
===========================================