"लकड़ी की मेज़ पर ताज़े तोड़े गए फल"-1

Started by Atul Kaviraje, January 26, 2025, 09:41:30 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, रविवार मुबारक हो

"लकड़ी की मेज़ पर ताज़े तोड़े गए फल"

लकड़ी की मेज़ पर, रखा है ढेर सा फल,
मूल रंग-बिरंगे, जैसे स्वर्ग का हल।
सेब और अंगूर, आम और तरबूज,
इनकी महक से महक रहा बाग़ का सूज। 🍏🍇🍎

हाथों से तोड़े, पत्तियों से सजे,
हर फल में बसी, प्रकृति की रचनाएँ।
कभी न ज़रूरत, कभी न आलस्य,
यह फल हमें देते हैं, नई उमंग और आशा। 🍊🍓🍉

आम की मृदु खुशबू, मन को ललचाए,
पपीते और केले, सजीव दिखाए।
आंखों के सामने एक स्वप्न सा दृश्य,
जो हो छिपा हुआ, यह बगीचे का गूढ़ उद्देश्य। 🍍🍌🍑

इन फलों में छिपी है जीवन की शक्ति,
स्वास्थ्य का संदेश, जो गूंजे हर दिशा।
यह सजीव रंग, हर मौसम का असर,
प्राकृतिक रहन-सहन में होता है अम्बर। 🌿🍃🌞

लकड़ी की मेज़, पर यह फल मस्त,
हर स्वाद में बसी, शांति की बात।
खाओ, मज़ा लो, जीवन को अपना बनाओ,
ताजगी और मिठास को हर पल पाओ। 🥝🍒🍓

Meaning:
This poem celebrates the beauty and freshness of freshly picked fruits placed on a wooden table. It highlights the colors, fragrances, and natural goodness of the fruits, symbolizing health, vitality, and the bounty of nature.

Symbols and Emojis: 🍏🍇🍎🍊🍓🍉🍍🍌🍑🌿🍃🌞🥝🍒🍓

--अतुल परब
--दिनांक-26.01.2025-रविवार.
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