"दोपहर की रोशनी में कयाक के साथ शांत झील"-1

Started by Atul Kaviraje, January 27, 2025, 07:08:49 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, सोमवार मुबारक हो

"दोपहर की रोशनी में कयाक के साथ शांत झील"

दोपहर की रोशनी, हल्की सी धूप,
शांत झील में बसी, जैसे हो कोई रूप।
कयाक की सवारी, लहरों की छांव,
सपनों में बसी, नीरवता की साव। 🚣�♂️☀️

पानी में परछाइयाँ, चांदी सी बिछी,
कयाक की ध्वनि, हल्की सी बची।
हवा भी मानो, गुनगुना रही हो,
संग बहती नदियाँ, प्यार से मिल रही हो। 🌊💨

झील का पानी, शांत और गहरा,
कयाक की नाव, बहते हुए सफर।
हरे-भरे किनारे, सामने सूरज चमके,
दूर तक फैली चुप्प, जैसे कोई ख्वाब समके। 🏞�🌞

पानी की लहरें, बिखरी सी चमक,
धूप में सोने, जैसी हो कोई चुप।
कयाक की सवारी, हर पल का जादू,
जिंदगी की सादगी, झील में बसा एक रास्ता। 🚣�♂️💖

कयाक से बहती हवा, मन को राहत दे,
झील के शांत पानी में, दिल को चैन मिले।
दोपहर की रोशनी, जैसे छवि का रंग,
हर लहर में बसी, हमारी अद्भुत संग। 🌅🕊�

Meaning:
This poem captures the peaceful and serene experience of kayaking on a calm lake under the warm afternoon sun. It evokes the feeling of tranquility, nature's beauty, and the harmony of the surroundings, symbolizing relaxation and inner peace.

Symbols and Emojis: 🚣�♂️☀️🌊💨🏞�🌞💖🌅🕊�

--अतुल परब
--दिनांक-27.01.2025-सोमवार. 
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