"दोपहर की रोशनी में कयाक के साथ शांत झील"-2

Started by Atul Kaviraje, January 27, 2025, 07:09:21 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, सोमवार मुबारक हो

"दोपहर की रोशनी में कयाक के साथ शांत झील"

एक शांत झील पर इतनी शांत और साफ,
कयाक बिना किसी डर के सरकती हैं।
पानी आसमान के कोमल रंग को दर्शाता है,
शांति का एक दर्पण, इतना शुद्ध, इतना सच्चा। 🌊🚣�♂️

दोपहर का सूरज लहरों पर नाचता है,
पानी एक सुनहरी चमक बिखेरता है।
मृदु लहरें किनारे को चूमती हैं,
रहस्य फुसफुसाती हैं, हमेशा के लिए। 🌞💫

पैडल लयबद्ध अनुग्रह में डूबते हैं,
जैसे कयाक स्थिर गति से सरकते हैं।
शांति में, दुनिया सही लगती है,
नरम, गर्म दोपहर की रोशनी में नहाया हुआ। 🌅🌿

पेड़ ऊंचे खड़े हैं, इतने गर्वित, इतने बुद्धिमान,
उनके पत्ते आसमान के नीचे फुसफुसाते हैं।
शांति में, समय धीमा लगता है,
और दिल हल्का महसूस करते हैं, जैसे हम नाव चलाते हैं। 🍃🌳

झील का आलिंगन, इतना शांत, इतना विस्तृत,
एक अभयारण्य जहाँ सपने टकराते हैं।
इस पल में, हम अपना रास्ता खोजते हैं,
जैसे-जैसे हम दिन के अंत तक बहते हैं। 🌅💖

अर्थ:
यह कविता दोपहर की रोशनी में एक शांत झील की शांत तस्वीर पेश करती है, जहाँ कयाक पानी पर धीरे-धीरे सरकते हैं। यह प्रकृति की शांति और शांति और संतुष्टि की भावना पर जोर देती है जो ऐसी सुंदरता से घिरे होने से आती है।

प्रतीक और इमोजी: 🌊🚣�♂️🌞💫🌅🌿🍃🌳💖

--अतुल परब
--दिनांक-27.01.2025-सोमवार. 
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