27 जनवरी, 2025 – अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस-

Started by Atul Kaviraje, January 27, 2025, 11:04:12 PM

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Atul Kaviraje

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस-
(सबसे बड़ा नाजी मृत्यु शिविर, ऑशविट्ज़-बिरकेनौ, 27 जनवरी, 1945 को सोवियत सैनिकों द्वारा मुक्त कराया गया था)-

27 जनवरी, 2025 – अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस-

महत्व और उद्देश्य:

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस (International Holocaust Remembrance Day) हर साल 27 जनवरी को मनाया जाता है, जो नाजी शासन के तहत हुए उस अत्याचार और मानवता के खिलाफ अपराधों को याद करने का दिन है, जिन्हें "होलोकॉस्ट" के नाम से जाना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि 27 जनवरी 1945 को सोवियत सैनिकों ने सबसे बड़े नाजी मृत्यु शिविरों में से एक, ऑशविट्ज़-बिरकेनौ, को मुक्त कराया था। इस शिविर में लाखों निर्दोष यहूदी, रोमानी, पोलिश, और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोग मारे गए थे।

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस का उद्देश्य इस त्रासदी को याद रखना और इसके बारे में जागरूकता फैलाना है, ताकि ऐसी घटनाएँ भविष्य में न हों। यह दिन हमें मानवता के प्रति घृणा और भेदभाव को समाप्त करने, शांति और समानता का प्रचार करने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि हमें हमेशा इतिहास से सीखकर एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

ऑशविट्ज़-बिरकेनौ और होलोकॉस्ट:

ऑशविट्ज़-बिरकेनौ नाजी शासन के तहत पोलैंड में स्थित एक प्रमुख एकाग्रता और हत्या शिविर था। यह शिविर नाजी जर्मनी द्वारा यहूदियों, रोमानी समुदाय, पोलिश नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ किए गए नरसंहार का प्रतीक है। यहाँ लाखों लोग न केवल शारीरिक उत्पीड़न, बल्कि मानसिक उत्पीड़न और अमानवीय परिस्थितियों का शिकार बने। इस शिविर में मारे गए लाखों लोगों की याद में आज भी दुनिया भर में शोक मनाया जाता है।

ऑशविट्ज़-बिरकेनौ की मुक्ति 27 जनवरी 1945 को सोवियत सेना द्वारा हुई, जब उन्होंने इस शिविर को नाजी जर्मनी के कब्जे से मुक्त किया और लाखों पीड़ितों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। इस दिन को 'ऑशविट्ज़ दिवस' के रूप में भी जाना जाता है, जो दुनिया को होलोकॉस्ट के दौरान हुए आतंक और निर्दोषों की हत्या की याद दिलाता है।

इस दिन का महत्व:

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना की याद नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि हम मानव अधिकारों के उल्लंघन, नस्लीय घृणा और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएं। होलोकॉस्ट जैसी घटनाओं से बचने के लिए हम सभी को सतर्क और संवेदनशील रहना चाहिए। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें किसी भी प्रकार की नफरत, भेदभाव और हिंसा को नकारना चाहिए, ताकि हम एक न्यायपूर्ण और समृद्ध समाज बना सकें।

यह दिन यह भी प्रेरित करता है कि हम संघर्षों, युद्धों, और उत्पीड़न के दौरान पीड़ित हुए लोगों की याद रखें और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करें। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि ऐसे अत्याचारों को कभी भी दोहराया न जाए। इस दिन दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों, भाषणों, और प्रदर्शनों के माध्यम से होलोकॉस्ट के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और होलोकॉस्ट के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस पर एक छोटी कविता:

"नरसंहार स्मरण दिवस की संकल्पना"

चुप्पियों में गूंजते थे आंसू,
ऑशविट्ज़ की दीवारों में सुलगते थे दुःख।
मानवता की नफ़रत ने किया था खात्मा,
आत्मा की पुकार, होती थी अनसुनी, डरावनी ध्वनियाँ।

27 जनवरी, याद दिलाती है हमें,
कभी न हो ऐसा कृत्य, यही शपथ लें हम।
नफ़रत को त्यागें, प्रेम का प्रचार करें,
सभी रंग, नस्ल, धर्म में समानता का आदर्श अपनाएं हम।

निष्कर्ष:

अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मरण दिवस का उद्देश्य केवल एक दुखद इतिहास को याद करना नहीं है, बल्कि यह हम सभी को यह सिखाने का एक अवसर है कि हमें हमेशा मानवता की रक्षा करनी चाहिए, भेदभाव और घृणा को समाप्त करना चाहिए, और शांति का प्रचार करना चाहिए। इस दिन को मनाने से हम होलोकॉस्ट के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि हम भविष्य में कभी भी ऐसे घृणित अपराधों को दोहराने नहीं देंगे।

हमें यह याद रखना चाहिए कि इतिहास से हमें शिक्षा मिलती है, और यही शिक्षा हमें एक बेहतर, समान, और नफ़रत-मुक्त समाज की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती है। हर जीवन की अहमियत है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले, चाहे उसका धर्म, जाति या रंग कुछ भी हो।

"नफ़रत का अंत, शांति की शुरुआत" – यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.01.2025-सोमवार. 
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