भारतीय तटरक्षक दिन - एक श्रद्धांजलि और प्रेरणा की कविता-

Started by Atul Kaviraje, February 01, 2025, 11:16:17 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

भारतीय तटरक्षक दिन - एक श्रद्धांजलि और प्रेरणा की कविता-

समुद्र की लहरों में जो दिखें वीर,
तटरक्षक जवान, उनकी महिमा है अपार। 🌊
धरा से आकाश तक की हर चुनौती को,
सुरक्षाकर्मी निभाते हैं बेखौफ, बेकार। 🛟

साहस और संघर्ष का यह दिवस है,
समुद्र के किनारे सुरक्षा की परिभाषा है। 🚢
भारत की शान, वे हर वक्त तैयार,
आत्मविश्वास और समर्पण से संजीवनी समान। 🛡�

जब तक तटरक्षक है, हम निश्चिंत रहें,
हर आपदा में उनका कंधा हमें साथ मिले। ⛵
समुद्र में लहरें हों या तूफान,
वह निभाते हैं अपनी कर्तव्यवद्धता का मान। 🌪�

लहरों की गहरी गुफाओं में जहां,
खतरे छिपे होते हैं, वहां वही खड़े।
तटरक्षक दिवस पर उनको नमन,
जो देश की रक्षा में हर क्षण जुटे। 🙏

उन्हें सलाम, जो जीवन दांव पर लगाए,
समुद्र के तटों पर हमेशा सजा रहे।
हर नाव, हर जहाज, और हर कश्ती का प्रहरी,
भारत की सीमाओं का रक्षक, वीर तटरक्षक। 🇮🇳

कविता का अर्थ:

यह कविता भारतीय तटरक्षक दिवस के महत्व को समझाती है और तटरक्षक बल के वीरता को सम्मानित करती है। तटरक्षक बल समुद्र में होने वाले खतरों, प्राकृतिक आपदाओं और सुरक्षा समस्याओं से निपटने के लिए दिन-रात तैयार रहते हैं। वे हमारे देश की समुद्र सीमाओं की सुरक्षा करते हैं, और उनकी साहसिक कार्यशक्ति को यह कविता नमन करती है। यह कविता हमें तटरक्षक बल के समर्पण और बहादुरी को समझने और उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है।

चित्र और प्रतीक:

🌊: समुद्र की लहरों का प्रतीक, जहां तटरक्षक बल अपनी सेवा देते हैं।
🛟: जीवन रक्षक का प्रतीक, तटरक्षक बल द्वारा जान बचाने का प्रतीक।
🚢: जहाज, समुद्री सुरक्षा का प्रतीक।
🛡�: सुरक्षा का प्रतीक, तटरक्षक बल की रक्षा क्षमता को दर्शाता है।
⛵: नौका, समुद्र में सुरक्षा के प्रतीक।
🌪�: तूफान, समुद्र में आने वाली आपदाओं का प्रतीक।
🙏: श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक, तटरक्षक बल के प्रति आभार।
🇮🇳: भारतीय ध्वज, तटरक्षक बल के लिए देशभक्ति का प्रतीक।

निष्कर्ष:

भारतीय तटरक्षक दिवस पर यह कविता तटरक्षक बल की अदम्य साहसिकता और निष्ठा को सलाम करती है। यह कविता हमें तटरक्षक बल की महत्ता को समझाने के साथ-साथ उनके कार्यों का सम्मान करने की प्रेरणा देती है। तटरक्षक बल हर चुनौती का सामना करते हुए हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते हैं, और इस कविता के माध्यम से हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-01.02.2025-शनिवार.
===========================================