शांतादुर्गा रथोत्सव - कवळे, गोवा-

Started by Atul Kaviraje, February 02, 2025, 11:02:10 PM

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Atul Kaviraje

शांतादुर्गा रथोत्सव-कवळे-गोवा-

शांतादुर्गा रथोत्सव - कवळे, गोवा

शांतादुर्गा रथोत्सव गोवा के कवळे गाँव में आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह उत्सव हर वर्ष 2 फरवरी को बड़े धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। शांतादुर्गा देवी की पूजा भारतीय संस्कृति और गोवा की धार्मिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है। इस रथोत्सव के दौरान भक्तगण देवी के रथ को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ खींचते हैं, और यह एक अद्भुत भक्ति और आस्था का प्रतीक बन जाता है।

शांतादुर्गा देवी को शांति और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनका रथोत्सव समाज में प्रेम, एकता, और धार्मिक भावना को बढ़ावा देने वाला आयोजन है। इस उत्सव में केवल धार्मिक पूजा नहीं होती, बल्कि यह गोवा के सांस्कृतिक धरोहर और समुदाय की एकता का भी प्रतीक बन जाता है।

शांतादुर्गा देवी का धार्मिक महत्व
शांतादुर्गा देवी का नाम 'शांत' (शांति) और 'दुर्गा' (शक्ति) से लिया गया है। यह देवी शांतिपूर्ण और शक्तिशाली स्वरूपों की प्रतीक मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों को शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करती हैं। गोवा में स्थित शांतादुर्गा मंदिर इस देवी के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां श्रद्धालु दूर-दूर से पूजा करने आते हैं। इस मंदिर में देवी की पूजा से हर प्रकार की मानसिक अशांति और शारीरिक परेशानियाँ दूर होती हैं, और भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और समर्पण की प्राप्ति होती है।

शांतादुर्गा रथोत्सव को मनाने का उद्देश्य केवल देवी की पूजा नहीं है, बल्कि यह रथोत्सव समुदाय को एकजुट करने और उनमें एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए भी है। इस दिन देवी के रथ को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, और फिर श्रद्धालु रथ को खींचते हुए उसे मंदिर तक ले जाते हैं। इस अनुष्ठान के दौरान भक्तगण देवी के आशीर्वाद के लिए अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

शांतादुर्गा रथोत्सव का आयोजन
शांतादुर्गा रथोत्सव का आयोजन खासतौर पर कवळे गांव के शांतादुर्गा मंदिर में किया जाता है। यह उत्सव श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से भरपूर होता है। रथोत्सव की शुरुआत देवी के रथ की पूजा से होती है। रथ को सुंदरता से सजाया जाता है और उसे मंदिर से बाहर लाया जाता है। उसके बाद, गांव के लोग और अन्य श्रद्धालु मिलकर रथ को खींचने का कार्य करते हैं। यह एक सामूहिक कार्य होता है, जो समाज में एकता और सहयोग की भावना को प्रकट करता है। रथ खींचते समय भक्त "जय माता दी" के उद्घोष के साथ देवी की महिमा का गुणगान करते हैं।

रथोत्सव के दौरान पूरे गांव में एक उत्सव का माहौल होता है। कीर्तन, भजन, और धार्मिक संगीत से वातावरण भक्तिमय हो जाता है। यह अवसर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह गोवा की सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवित रखता है। रथ के मार्ग पर श्रद्धालु देवी के दर्शन करने के लिए इकट्ठा होते हैं, और मंदिर पहुंचने पर रथ की पूजा की जाती है। बाद में, प्रसाद वितरित किया जाता है और इस दिन को विशेष रूप से खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
शांतादुर्गा रथोत्सव का आयोजन गोवा के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इस उत्सव में गोवा के ग्रामीण और शहरी लोग एक साथ मिलकर देवी की पूजा करते हैं, जो समाज में सामूहिक एकता और भाईचारे का संदेश फैलाता है। इस दिन को मनाने से न केवल धार्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह गोवा की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि को भी प्रकट करता है।

रथोत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जैसे कि लोकनृत्य, लोकगीत, और नृत्य प्रस्तुतियाँ, जो गोवा की लोक कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। यह कार्यक्रम गांव के लोगों को एक साथ लाने का काम करते हैं और यह सभी में उत्साह और उमंग का संचार करते हैं। रथ की यात्रा और उसके बाद के आयोजन गोवा के स्थानीय त्यौहारों का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं, जो हर साल और भी भव्य रूप से मनाए जाते हैं।

लघु कविता-

"शांतादुर्गा रथोत्सव"

शांतादुर्गा के रथ में बसी है शक्ति,
हर भक्त की मन्नत होती है सच्ची।
रथ के संग चलता है प्रेम और भक्ति का राग,
हर दिल में बसा है एक सुखद आभास। 🌸

कवळे की धरती पर गूंजे हर एक ध्वनि,
भक्ति का आह्वान हो, आनंद का संग।
रथ के पीछे सब मिलकर चले,
देवी का आशीर्वाद सच्चे दिलों में बसे। 🙏💫

निष्कर्ष
शांतादुर्गा रथोत्सव गोवा के कवळे गांव में मनाया जाने वाला एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह उत्सव केवल देवी की पूजा का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश फैलाने का अवसर भी है। रथ के साथ देवी की यात्रा न केवल धार्मिक विश्वासों को प्रकट करती है, बल्कि यह गोवा की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है।

इस रथोत्सव में भाग लेकर श्रद्धालु न केवल देवी के आशीर्वाद का अनुभव करते हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग के साथ जुड़कर एक साझा अनुभव प्राप्त करते हैं। शांतादुर्गा रथोत्सव के आयोजन से यह सिद्ध होता है कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उत्सव एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और इनका संगम ही समाज में सामूहिक भाईचारे और एकता का निर्माण करता है।

शांतादुर्गा रथोत्सव की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ! 🌸🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.02.2025-रविवार.
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