रथसप्तमी - 04 फरवरी, 2025-

Started by Atul Kaviraje, February 04, 2025, 11:12:25 PM

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Atul Kaviraje

रथसप्तमी-

रथसप्तमी - 04 फरवरी, 2025-

रथसप्तमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान सूर्य की उपासना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, और इसे विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा और उनके रथ का उबटन करने के रूप में देखा जाता है। रथसप्तमी के दिन सूर्य की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

रथसप्तमी का महत्त्व:
रथसप्तमी का महत्व अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक है। यह दिन सूर्य देव के रथ के सात घोड़ों के माध्यम से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ऊर्जा और प्रकाश फैलाने की ओर संकेत करता है। रथसप्तमी का पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो सूर्य देव को अपने जीवन में ऊर्जा, जीवनदायिनी शक्ति और स्वास्थ्य के रूप में मानते हैं। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।

रथसप्तमी का धार्मिक दृष्टिकोण:
रथसप्तमी के दिन सूर्य के सात घोड़ों का पूजा में विशेष स्थान होता है। कहा जाता है कि जब सूर्य देव रथ पर सवार होकर अपने रथ के सात घोड़ों के साथ सूर्य की आकाशगंगा से यात्रा करते हैं, तो यह प्रकृति के सभी तत्वों को संतुलित करता है। इस दिन का धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि सूर्य देव की उपासना से जीवन की रचनात्मकता, प्रगति और सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है।

साथ ही, यह दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों द्वारा सूर्य देव को अर्पित नारियल, जल, ताजे फल आदि का दान करके पुण्य कमाने का भी अवसर है।

रथसप्तमी की पूजा विधि:
सूर्य देव की उपासना: सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देव का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की तस्वीर के सामने ताजे फूल, जल, और तिल अर्पित करें।

सप्तमी व्रत: इस दिन सूर्योदय के समय उबटन और स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य देव को अर्पित करना भी महत्वपूर्ण है।

प्रसाद चढ़ाना: सूर्य देव को विशेष रूप से ताजे फल और जल अर्पित करने के बाद प्रसाद रूप में चीनी, चने और तिल का सेवन करें।

रथसप्तमी पर भक्ति भावपूर्ण कविता:

"सूर्य देव की आराधना"

सप्तमी की किरणों में बसी एक नई आशा,
रथ पर सवार सूर्य देव, देते जीवन की दिशा।
प्रकाश से भरें ये सभी हमारी राहें,
सूर्य की कृपा से हर कष्ट हो जाए दूर।

नवीन ऊर्जा, नयी दिशा में हो अर्पित,
सूर्य देव का आशीर्वाद हो अनमोल, समृद्ध।
तेरे रथ की यात्रा से हो सारा जग साकार,
तेरी कृपा से सब हो जाए सुखी, सशक्त, और साकार।

कविता का अर्थ: यह कविता सूर्य देव की महिमा और उनके रथ की यात्रा को बयां करती है। सूर्य देव के आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा, दिशा और समृद्धि का संचार होता है। सूर्य की उपासना से मानव जीवन में सुख-शांति और मानसिक संतुलन स्थापित होता है।

रथसप्तमी का सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
रथसप्तमी का पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखना और कठिनाइयों को पार करने के लिए सूर्य देव के आशीर्वाद की आवश्यकता होती है। रथसप्तमी का दिन इस बात का प्रतीक है कि जैसे सूर्य देव हर सुबह नई ऊर्जा और जीवन का संचार करते हैं, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए। यह दिन हमें आंतरिक शक्ति को पहचानने और उसे साकार करने की प्रेरणा देता है।

रथसप्तमी पर विशेष आशीर्वाद:
इस दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। उनके आशीर्वाद से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्थिति भी बेहतर होती है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हर अंधेरे के बाद उजाला आता है और हर कठिन समय के बाद सुख का अनुभव होता है। रथसप्तमी पर सूर्य देव की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है।

सूर्य देव का आशीर्वाद सदैव आपके साथ रहे!

शुभ रथसप्तमी! 🌞🌿

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.02.2025-मंगळवार.
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