मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव प्रारंभ – 05 फरवरी, 2025 (नेवासा-खुर्द, जिल्हा-नगर)-

Started by Atul Kaviraje, February 05, 2025, 11:21:39 PM

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Atul Kaviraje

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव प्रारंभ -नेवासा-खुर्द-जिल्हा-नगर-

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव प्रारंभ – 05 फरवरी, 2025 (नेवासा-खुर्द, जिल्हा-नगर)-

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव का महत्व और भक्तिभाव

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव एक ऐतिहासिक और धार्मिक पर्व है, जो महाराष्ट्र राज्य के नगर जिले के नेवासा-खुर्द क्षेत्र में हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव विशेष रूप से भगवान मोहिनीराज की पूजा और उनकी दिव्य महिमा का प्रसार करने के लिए समर्पित है। सात दिन तक चलने वाला यह उत्सव भक्तों को धार्मिक दृष्टिकोण से अपने जीवन में शांति, सुख और समृद्धि पाने के लिए प्रेरित करता है।

मोहिनीराज की उपासना का संबंध भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से है, जो जगत के पालनहार के रूप में भक्तों को आशीर्वाद देने वाले हैं। मोहिनीराज का रूप विशेष रूप से आकर्षक और सौम्य होता है, जिससे भक्तों में दिव्यता और शक्ति का संचार होता है। यह उत्सव भगवान मोहिनीराज के आदर्शों और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा को और बढ़ाता है।

मोहिनीराज की पूजा और उपासना:
मोहिनीराज की पूजा मुख्य रूप से उनके भक्तों द्वारा सात दिनों तक की जाती है, जिसमें हर दिन विशेष पूजा, भजन कीर्तन, हवन, और आरती होती है। इस दौरान भक्त उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस उत्सव के दौरान क्षेत्रीय लोग एकजुट होकर धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को भगवान मोहिनीराज के आशीर्वाद से समृद्ध होने की शुभकामनाएँ देते हैं।

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव का यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। लोग अपने मतभेदों को भुलाकर एक दूसरे के साथ मिलकर इस उत्सव का आनंद लेते हैं, जो पूरे क्षेत्र को धार्मिक ऊर्जा और शांति से भर देता है।

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव के दौरान विशेष गतिविधियाँ:
भजन और कीर्तन: हर दिन भगवान मोहिनीराज के भजन और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं। इन भजनों में भक्तों का समर्पण और श्रद्धा साफ दिखती है।

हवन और पूजा: हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें पंचांग पूजन के साथ-साथ विशेष रूप से मोहिनीराज की पूजा की जाती है। हवन का उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना और समाज में शांति और समृद्धि की स्थापना करना होता है।

प्रसाद वितरण: उत्सव के दौरान प्रसाद वितरण की विशेष व्यवस्था की जाती है। यह प्रसाद भगवान मोहिनीराज की कृपा का प्रतीक होता है और हर भक्त को उसे श्रद्धापूर्वक ग्रहण करना होता है।

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव पर एक छोटी कविता:-

मोहिनीराज की महिमा-

मोहिनीराज की महिमा अपार,
सर्व जगत में फैली है बिधि का सार।
भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं वे,
हमें दे आशीर्वाद और सुख का है पे।

सात दिनों तक उनकी पूजा करें,
शांति और सुख से जीवन को भरें।
समाज में भाईचारे की हो महक,
मोहिनीराज की कृपा से हर दिल सजे।

🌸 मोहिनीराज का आशीर्वाद 🌸

हम सभी पर छाए उनकी कृपा का वास,
दुखों से मुक्ति, मिलें सुख की रास।
साथ मिलकर मनाएं यह पर्व विशेष,
मोहिनीराज की महिमा करें हम अवलंब।

🙏 मोहिनीराज के चरणों में समर्पण 🙏

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव का धार्मिक और सामाजिक संदेश:
मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव का आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि सामूहिक रूप से पूजा, ध्यान, और सकारात्मक कार्यों में भाग लेने से न केवल आंतरिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता का संचार भी होता है।

इस उत्सव में भाग लेने वाले लोग भगवान मोहिनीराज से यह शिक्षा प्राप्त करते हैं कि जीवन में सभी जीवों के प्रति प्रेम, करुणा, और सहानुभूति बनाए रखें। एकता और सामूहिकता के साथ हम अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं। मोहिनीराज का उपदेश हमें यह बताता है कि हमें अपने पवित्र कार्यों में पूरी निष्ठा और श्रद्धा से लगे रहना चाहिए और अपने जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहिए।

निष्कर्ष:
मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें समाज में एकता, शांति और समृद्धि का संदेश देता है। यह उत्सव हम सभी को प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में मोहिनीराज के आदर्शों का पालन करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल और समृद्ध बनाएं।

मोहिनीराज सप्तदिन उत्सव के इस पावन अवसर पर, हम सभी भगवान मोहिनीराज से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को उज्जवल बनाए। 🌸🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.02.2025-बुधवार
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