रामायण में श्री राम का धर्म के प्रति प्रेम - हिंदी लेख-

Started by Atul Kaviraje, February 06, 2025, 04:19:47 PM

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Atul Kaviraje

रामायण में श्री राम का धर्म के प्रति प्रेम - हिंदी लेख-

रामायण एक महान हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने रचा। इस ग्रंथ के मुख्य पात्र श्री राम, जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, का जीवन और उनके कार्यों में धर्म के प्रति उनकी गहरी निष्ठा स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। श्री राम का जीवन पूरी तरह से धर्म, सत्य और नैतिकता के उच्चतम आदर्शों पर आधारित था। उनके लिए धर्म न केवल एक दार्शनिक विचार था, बल्कि यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक तत्व था। राम का धर्म के प्रति प्रेम उनके हर कार्य में दिखाई देता है, चाहे वह परिवार के प्रति उनके कर्तव्यों का पालन करना हो, या समाज और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों को निभाना हो।

श्री राम का धर्म के प्रति प्रेम
श्री राम का जीवन धर्म के प्रति उनके अद्वितीय प्रेम और समर्पण का उदाहरण है। वे न केवल आदर्श पुत्र, आदर्श भाई और आदर्श पति थे, बल्कि उन्होंने राजा के रूप में भी धर्म का पालन किया। राम के जीवन का हर क्षण यह साबित करता है कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत इच्छाओं को हमेशा धर्म के मार्ग में समर्पित किया।

1. श्री राम का वनवास
रामायण में श्री राम के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना उनका वनवास है। जब उन्हें अपनी माता कैकयी की इच्छाओं और पिता दशरथ की प्रतिज्ञा के कारण 14 वर्षों का वनवास प्राप्त हुआ, तो उन्होंने इसे भगवान के आदेश के रूप में स्वीकार किया। यह घटना यह दर्शाती है कि श्री राम अपने व्यक्तिगत सुखों को त्यागकर भी अपने पिता के वचन और कर्तव्यों के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखते हैं। यह उनका धर्म के प्रति प्रेम था, जो उन्हें अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए बिना किसी प्रश्न के वनवास स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।

2. रावण का वध और धर्म की रक्षा
श्री राम ने रावण का वध केवल अपनी पत्नी सीता को छुड़ाने के लिए नहीं किया, बल्कि उन्होंने रावण के अधर्म और पाप के खिलाफ धर्म की स्थापना के लिए यह युद्ध लड़ा। रावण का वध धर्म की विजय का प्रतीक था। श्री राम ने यह साबित किया कि चाहे किसी भी परिस्थिति में हो, धर्म और सत्य की रक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए।

3. सीता का परित्याग
राम का धर्म के प्रति प्रेम केवल युद्ध और संघर्ष में ही नहीं, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन में भी दिखाई देता है। जब सीता माता पर आरोप लगे कि उन्होंने रावण के साथ समय बिताया था, तो श्री राम ने उन्हें परित्याग किया, भले ही उनका दिल उन्हें बहुत कष्ट दे रहा था। उन्होंने यह कदम धर्म के उच्चतम आदर्शों को बनाए रखने के लिए उठाया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि समाज में किसी प्रकार की निंदा हो। यह घटना यह दर्शाती है कि श्री राम के लिए धर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं था।

कविता -

श्री राम का धर्म के प्रति प्रेम

🌸 राम का धर्म के प्रति प्रेम, कोई और नहीं जान सका,
निष्ठा से भरा दिल, एक उदाहरण बन सका।
अपने कर्तव्यों को निभाया, राजा और भाई बने,
सत्य के मार्ग पर, हर कदम उन्होंने बढ़ाए।

💫 वनवास में बसा सत्य, उनका धर्म और कर्तव्य,
पति के धर्म में, सीता के लिए भी था त्याग।
रावण के अधर्म का वध किया,
धर्म की स्थापना हेतु, यह युद्ध था उनका लक्ष्य।

🌿 धर्म ही जीवन का आधार, यही राम का मंत्र,
समाज के हित में हर कार्य किया।
स्वार्थ का त्याग, निष्ठा का पथ,
राम का जीवन, धर्म का सही मार्ग था।

कविता का अर्थ:
यह कविता श्री राम के धर्म के प्रति प्रेम और समर्पण को सरल और सुंदर रूप में व्यक्त करती है। इसमें राम के जीवन के प्रमुख उदाहरणों के माध्यम से यह बताया गया है कि श्री राम ने कैसे अपने कर्तव्यों को निभाया और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को हमेशा प्राथमिकता दी। उनकी पूरी जीवन यात्रा धर्म के आदर्शों पर आधारित थी और उन्होंने इस जीवन में हर कदम धर्म की रक्षा के लिए उठाया। चाहे वह उनका वनवास हो, रावण का वध हो, या सीता माता का परित्याग, हर घटना में श्री राम ने धर्म की सर्वोच्चता को सम्मानित किया।

विवेचन:
श्री राम का जीवन केवल एक धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के उन मूल्यों को समझाने का एक माध्यम है जो हमारे व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बनाते हैं। श्री राम ने यह दिखाया कि धर्म का पालन करने से न केवल व्यक्तिगत जीवन में संतुलन और शांति आती है, बल्कि समाज में भी एक आदर्श स्थापित होता है। उनके जीवन के हर पहलु में धर्म का अनुसरण करना और उसे सर्वोपरि मानना हमें यह सिखाता है कि हम अपने जीवन में धर्म का पालन करें, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।

रामायण में भगवान श्री राम ने हमें यह भी सिखाया कि धर्म के पालन से किसी भी प्रकार के संसारिक कष्टों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें जीवन में धर्म, सत्य, नैतिकता और कर्तव्य को सर्वोपरि मानने के लिए प्रेरित करता है।

निष्कर्ष:
श्री राम का धर्म के प्रति प्रेम और उनका समर्पण हमारे जीवन के लिए एक आदर्श है। उनकी कथा यह साबित करती है कि यदि हम अपने जीवन में धर्म, सत्य और नैतिकता का पालन करते हैं, तो न केवल हम अपने कर्तव्यों को सही ढंग से निभा सकते हैं, बल्कि हम समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन भी ला सकते हैं। श्री राम का जीवन धर्म का प्रतीक है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन में हर कार्य धर्म के मार्ग पर किया जाना चाहिए।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.02.2025-बुधवार.
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