स्कूल का तनाव और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा-

Started by Atul Kaviraje, February 07, 2025, 11:08:54 PM

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Atul Kaviraje

स्कूल का तनाव और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा-

आजकल के शिक्षा व्यवस्था में छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। छात्रों को शिक्षा प्राप्ति की यात्रा के दौरान कई तरह के दबाव और तनाव का सामना करना पड़ता है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। स्कूल का तनाव, जैसे कि परीक्षा की दबाव, अभिभावकों की अपेक्षाएँ, प्रतियोगिता, और समय की कमी, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। इस लेख में हम स्कूल के तनाव और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

स्कूल का तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
शिक्षा प्रणाली में छात्रों पर पड़ने वाला दबाव केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह उनके समग्र मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तनाव और चिंता से छात्रों में अवसाद, मानसिक थकावट, और कई बार आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने की घटनाएँ भी सामने आई हैं। तनाव के कारण छात्रों में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:

मानसिक अवसाद और चिंता:
स्कूल में परीक्षा और प्रतिस्पर्धा के कारण छात्रों में मानसिक अवसाद और चिंता की समस्या बढ़ सकती है। यह चिंता उनके शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है, जैसे कि नींद की कमी, भूख की समस्या, और शारीरिक थकावट।

शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
लगातार अध्ययन, तनाव और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण छात्रों में शारीरिक समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे सिर दर्द, पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि।

आत्मविश्वास में कमी:
लगातार परिणामों की चिंता और असफलता का डर छात्रों के आत्मविश्वास को भी नष्ट कर देता है। यह स्थिति छात्रों को खुद के बारे में नकारात्मक सोच रखने की ओर प्रेरित करती है।

आत्महत्या का खतरा:
अत्यधिक तनाव और दबाव के कारण कई छात्र आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगते हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है, जो हमारे समाज में गहरे प्रभाव डालता है।

उदाहरण
मान लीजिए, एक छात्र जिसका नाम 'राघव' है, वह हमेशा अपनी कक्षा में अव्������������������������‍त में रहता है। उसे हर समय अपने परिणामों की चिंता सताती रहती है। हर परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने की उसकी कोशिश रहती है, लेकिन एक परीक्षा में वह असफल हो जाता है। इस असफलता से वह इतना दुखी होता है कि वह खुद को अपराधी समझने लगता है। धीरे-धीरे उसे मानसिक अवसाद और अकेलापन महसूस होता है, और उसका आत्मविश्वास पूरी तरह टूट जाता है।

समाधान
खुलकर बात करना:
छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने का अवसर देना चाहिए। अभिभावक और शिक्षक को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझकर बच्चों को सपोर्ट करना चाहिए।

समय प्रबंधन:
छात्रों को समय प्रबंधन सिखाना आवश्यक है ताकि वे पढ़ाई और अवकाश के बीच संतुलन बना सकें। समय पर आराम और खेलकूद भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।

मनोवैज्ञानिक सहायता:
स्कूलों में मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की सुविधा होनी चाहिए ताकि यदि कोई छात्र मानसिक तनाव का सामना कर रहा है, तो वह विशेषज्ञ से सहायता ले सके।

आत्ममूल्य की पहचान:
छात्रों को यह समझाने की जरूरत है कि उनका मूल्य केवल अंकों में नहीं है। उनकी मेहनत और व्यक्तित्व की अहमियत है। आत्ममूल्य का विश्वास उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है।

एक छोटी कविता:-

तनाव का बंधन टूटे, मन में खुशियाँ आए,
पढ़ाई के साथ, जीवन के रंग भी सजे।
कोई न हो दबाव, केवल मेहनत हो प्यारी,
शिक्षा का सफर हो सुखमय, हर कदम हो सवारी।

अर्थ: इस कविता में यह संदेश दिया गया है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में खुशियों को भी महत्व देना चाहिए। किसी भी प्रकार का दबाव न हो, केवल मेहनत और संघर्ष का प्रेम हो, तभी शिक्षा का सफर सफल होगा और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

विवेचन और समाधान:
आज के समय में, जब शिक्षा की दौड़ में हर छात्र अपने को सबसे आगे साबित करने की कोशिश करता है, तो उसे मानसिक दबाव और तनाव का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। छात्रों को उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और यह समझाना चाहिए कि केवल अच्छे अंक ही सफलता का मापदंड नहीं होते।

इसी तरह, सरकार और स्कूलों को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। बच्चों के लिए ऐसी सुविधाएँ सुनिश्चित की जानी चाहिए जहाँ वे मानसिक तनाव और चिंता से बाहर निकल सकें।

समाज को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य उनकी शारीरिक स्वास्थ्य से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, और उनकी भलाई के लिए हर प्रयास किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

स्कूल का तनाव आज के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। लेकिन सही दिशा में प्रयास करके, जैसे समय प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक सहायता, और बच्चों को आत्मविश्वास देने से इस समस्या को हल किया जा सकता है। बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य ही उनका भविष्य निर्माण करता है, इसलिए इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।

🙏 छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की ओर जागरूकता बढ़ाएँ, ताकि वे स्वस्थ, खुशहाल और सक्षम जीवन जी सकें। 🌸

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.02.2025-शुक्रवार.
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