गीता में कृष्ण का 'उत्तम योग'-कविता:-

Started by Atul Kaviraje, February 12, 2025, 07:31:49 PM

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Atul Kaviraje

गीता में कृष्ण का 'उत्तम योग'-कविता:-

कृष्ण का उपदेश गीता में बसा,
योग का रास्ता, जीवन में सजा।
मन को शांत करो, ध्यान में खो जाओ,
जीवन में प्रेम और कर्म से हर बाधा को हराओ। ✨🕉�

कर्म करो बिना फल की चिंता के,
इसी में जीवन का अर्थ छिपा है।
समर्पण से जो देखे संसार को,
वो ही सच्चा योगी बनता है। 🌸🙏

आत्मा से जुड़ा जो मनुष्य है,
वह हर क्षण में भगवान को महसूस करता है।
निरंतर साधना से मिले सुख की बानी,
कृष्ण का योग सिखाए निरंतर शांति की गानी। 💖💫

सर्वे सन्तु निरामया का संदेश बहरा,
कृष्ण का योग जीवन में हो हर दिशा।
जो योगी राग-द्वेष से दूर रहे,
वह आत्मा का सच्चा सुख पाए। 🌿🌟

अर्थ:

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में 'उत्तम योग' का उपदेश दिया, जो केवल भौतिक नहीं बल्कि मानसिक, आत्मिक और शारीरिक शुद्धता का मार्ग है। उन्होंने कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग और ध्यान योग के माध्यम से यह बताया कि जीवन में शांति, संतुलन और सच्चा सुख प्राप्त करने के लिए यह सब आवश्यक है। गीता का संदेश है कि जो व्यक्ति बिना किसी अपेक्षा के अपने कर्म करता है और सच्चे प्रेम से भगवान की भक्ति करता है, वही सच्चा योगी है।

चित्र/चिन्ह और इमोजी:
🕉�🌸✨💖🙏

--अतुल परब
--दिनांक-12.02.2025-बुधवार.
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