माघ पूर्णिमा - 12 फरवरी, 2025-

Started by Atul Kaviraje, February 13, 2025, 07:02:56 PM

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Atul Kaviraje

माघ पौर्णिमा-

माघ पूर्णिमा - 12 फरवरी, 2025-

परिचय: माघ पूर्णिमा हिन्दू धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मानी जाती है। यह तिथि माघ मास के पूर्णिमा दिवस के रूप में मनाई जाती है और इस दिन का विशेष महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। माघ पूर्णिमा का संबंध गंगा स्नान, पुण्य लाभ और साधना से जुड़ा हुआ है। यह दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने, व्रत रखने और भक्ति में लीन होने के लिए जाना जाता है।

माघ पूर्णिमा का महत्व:

माघ पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है। इसे पवित्र पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, गोमती आदि में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से गंगा स्नान का महत्व अधिक है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।

इस दिन का महत्व केवल शारीरिक शुद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है। माघ पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पवित्र मंत्रों का जप, पूजा-पाठ और तर्पण करने से मनुष्य के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है। यही कारण है कि इस दिन को धार्मिक रूप से तर्पण और दान करने का दिन भी माना जाता है।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टिकोण:

इस दिन को लेकर हिन्दू धर्म में विशेष आस्थाएँ हैं। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा का दिन भी है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपनी 'भगवद्गीता' का उपदेश अर्जुन को दिया था। इस दिन का महत्व विशेष रूप से श्रद्धालुओं के लिए है, जो अपने जीवन में शांति, मोक्ष और आंतरिक सुख की खोज करते हैं।

माघ पूर्णिमा के दिन जो लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, उन्हें ऐसा माना जाता है कि वे स्वयं को पापों से मुक्त कर लेते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति आती है। इस दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों को दान देने की परंपरा भी है, क्योंकि दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में अच्छे कर्मों का असर बढ़ता है।

भक्तिभाव पूर्ण माघ पूर्णिमा - एक लघु कविता:-

माघ मास की पूर्णिमा आई,
ध्यान में बसा भगवान समाई।
गंगा में स्नान कर लिया,
पापों से मुक्ति मिल गई।
शुद्ध हो गया मन और तन,
जीवन में छाई शांति का अद्भुत रौनक।

अर्थ: यह कविता माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने और पापों से मुक्ति पाने के भाव को व्यक्त करती है। भक्तिपूर्वक इस दिन भगवान की पूजा और भक्ति में लीन होने का संदेश देती है। माघ पूर्णिमा का दिन आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है, जो जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

माघ पूर्णिमा और साधना:

माघ पूर्णिमा के दिन विशेष साधनाएँ करने का भी महत्व है। इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना करने से व्यक्ति की आत्मा में शांति और संतुलन आता है। साधना से मनुष्य की इच्छाएँ नियंत्रित होती हैं और वह आत्मज्ञान की ओर बढ़ता है। इसके साथ ही, इस दिन का महत्व सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का विशेष फल मिलता है।

समाप्ति:

माघ पूर्णिमा का दिन न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का भी दिन है। यह हमें याद दिलाता है कि हम अपने जीवन में हर दिन पुण्य कार्य करें, दूसरों की मदद करें और आत्मिक उन्नति के रास्ते पर बढ़ें। यह दिन हमें अपने पुराने कर्मों की शुद्धि, भगवान के प्रति आस्था और भक्ति का अभ्यास करने की प्रेरणा देता है।

इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हुए हम सब अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। माघ पूर्णिमा का महत्व हम सभी के जीवन में अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर है।

शुभ माघ पूर्णिमा!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-12.02.2025-बुधवार.
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