"जो संतुष्ट है, वही समृद्ध है"

Started by Atul Kaviraje, February 15, 2025, 02:52:28 PM

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Atul Kaviraje

"जो संतुष्ट है, वही समृद्ध है"

श्लोक 1
सच्चा धन खजानों या सोने में नहीं है,
बल्कि एक शांत और साहसी हृदय में है।
संतुष्टि ही कुंजी है, रहस्य है, प्रकाश है,
जो आत्मा को शांति प्रदान करती है और सब कुछ सही कर देती है।

💰✨💖

श्लोक 2
संतुष्ट होना मुक्त होना है,
जो नहीं होना चाहिए, उसके पीछे नहीं भागना।
सरल खुशियों में, शांत आनंद में,
संतुष्टि ही खुशी का सच्चा रूप है।

🌻☕🕊�

श्लोक 3
धन की कोई आवश्यकता नहीं, प्रसिद्धि की कोई आवश्यकता नहीं,
जब आपको शांति मिलती है, तो यह कभी भी वैसी नहीं रहती।
समृद्धि उसमें नहीं रहती जो हमारे पास है,
बल्कि एक साहसी हृदय की खुशी में रहती है।

🌟🏞�🌸

श्लोक 4
जो थोड़े या ज़्यादा में संतुष्ट रहता है,
वह जीवन के कोमल स्पर्श में प्रचुरता पाता है।
क्योंकि खुशी हमारे पास जो है उसमें नहीं है,
बल्कि यह जानने में है कि हम पर्याप्त हैं, पूरी तरह से विकसित हैं।

👐🌼💫

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता सिखाती है कि सच्ची समृद्धि भौतिक संपदा के बारे में नहीं बल्कि आंतरिक संतोष के बारे में है। आपके पास जो है, उससे खुश रहना, सरल क्षणों की सराहना करना और भीतर शांति पाना किसी भी बाहरी संपत्ति से अधिक धन लाता है। संतोष वास्तविक खुशी और सफलता की जड़ है।

अर्थ को दर्शाने वाले प्रतीक और इमोजी:

💰✨💖 - भौतिक संपदा और आंतरिक शांति के बीच का अंतर
🌻☕🕊� - जीवन के सरल क्षणों में आनंद पाना
🌟🏞�🌸 - शांति और प्रकृति से जुड़ाव के ज़रिए समृद्धि
👐🌼💫 - सच्ची समृद्धि भीतर से आती है, संपूर्ण होने से

--अतुल परब
--दिनांक-15.02.2025-शनिवार.
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