"14 फरवरी, 2025 - राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस"-

Started by Atul Kaviraje, February 15, 2025, 06:33:38 PM

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Atul Kaviraje

"14 फरवरी, 2025 - राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस"-

14 फरवरी को राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय समाज में शिक्षा और साक्षरता के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें उन सभी प्रयासों को याद करने का अवसर प्रदान करता है, जिनके द्वारा हमारे समाज में कृष्ण भक्ति और शिक्षा के महत्व को समझा गया। इस दिन का उद्देश्य विशेष रूप से कृष्ण भक्ति के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि सही शिक्षा से ही हम आत्मिक, मानसिक और सामाजिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस का महत्व:
कृष्ण भक्ति और शिक्षा का संबंध बहुत गहरा है। श्री कृष्ण के जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से ही हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। कृष्ण ने भगवद गीता में अर्जुन को जो शिक्षा दी, वह न केवल धर्म और कर्म का मार्गदर्शन करती है, बल्कि यह जीवन के सही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ज्ञान के महत्व को भी उजागर करती है।

राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस के माध्यम से हमें कृष्ण भक्ति के साथ-साथ साक्षरता के महत्व को समझने का अवसर मिलता है। साक्षरता केवल पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के हर पहलू को समझने, उसे सुधारने और समाज की बेहतरी के लिए काम करने का मार्गदर्शन भी देती है। कृष्ण साक्षरता का मतलब है, केवल शारीरिक और मानसिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि आत्मिक जागरूकता और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति भी है।

उदाहरण:
भगवान श्री कृष्ण ने हमेशा शिक्षा के महत्व को स्वीकार किया। उनका जीवन एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे शिक्षा और भक्ति एक साथ चल सकते हैं। श्री कृष्ण का जीवन हमें यह बताता है कि केवल शारीरिक और मानसिक शिक्षा से जीवन का वास्तविक उद्देश्य नहीं पाया जा सकता, बल्कि आत्मिक शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करना भी आवश्यक है। उनका ज्ञान और उनकी उपदेशों ने न केवल अर्जुन को बल्कि हम सभी को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

उदाहरण स्वरूप, जब कृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया, तो यह केवल एक धार्मिक शिक्षा नहीं थी, बल्कि यह जीवन को समझने का एक गहरा तरीका था। कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्मों से निष्कलंक और निस्वार्थ रूप से जुड़ने की प्रेरणा दी, जो एक तरह की साक्षरता ही थी, जिसमें व्यक्ति अपने आत्मज्ञान को समझता है और उसे अपने जीवन में लागू करता है।

लघु कविता:-

कृष्ण की भक्ति में बसी है शिक्षा का प्रकाश,
जो सिखाता है जीवन का सच्चा उल्लास।
ज्ञान से सजी है कृष्ण की वाणी,
जो हृदय में भरती है प्रेम की कहानी।

कर्म की सच्चाई, भक्ति का पालन,
कृष्ण की शिक्षाओं से होता है ज्ञान का उल्लास।
राष्ट्र की साक्षरता में बसी है उनकी कृपा,
हर कदम पर दिखती है कृष्ण की कृपा।

अर्थ:
राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस का संदेश यह है कि केवल पढ़ाई-लिखाई से ही नहीं, बल्कि जीवन में आत्मज्ञान, धर्म, कर्म, और भक्ति का समावेश भी सच्ची साक्षरता है। कृष्ण ने हमें यह सिखाया कि शिक्षा और भक्ति दोनों का एक साथ होना आवश्यक है, तभी हम अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। जब हम कृष्ण की शिक्षाओं को समझते हैं, तो हम न केवल शारीरिक या मानसिक शिक्षा प्राप्त करते हैं, बल्कि हम अपने आत्मा का भी ज्ञान प्राप्त करते हैं।

कृष्ण के संदेशों के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि असली साक्षरता आत्मिक उन्नति और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति है। जब हम केवल भक्ति और कर्म के साथ जीवन में शिक्षा को समाहित करते हैं, तो हम एक श्रेष्ठ और संतुलित जीवन जी सकते हैं। यह दिन हमें यही प्रेरणा देता है कि हम केवल बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर भी ज्ञान की रोशनी फैलाएं।

चिन्ह और प्रतीक:
📖✨💫🕉�🌸

कृष्ण, शिक्षा, ज्ञान, भक्ति और आत्मिक जागरूकता के प्रतीक।

"राष्ट्रीय कृष्ण साक्षरता दिवस की शुभकामनाएँ!"

इस दिन को मनाते हुए हम कृष्ण के जीवन और उपदेशों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को साक्षर और समृद्ध बना सकते हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन की सच्ची साक्षरता केवल शारीरिक ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य यात्रा है, जो आत्मिक और मानसिक जागरूकता से जुड़ी होती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.02.2025-शुक्रवार.
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