15 फरवरी, 2025 - संत नरहरी सोनार पुण्यतिथी-

Started by Atul Kaviraje, February 16, 2025, 07:37:00 PM

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Atul Kaviraje

15 फरवरी, 2025 - संत नरहरी सोनार पुण्यतिथी-

संत नरहरी सोनार का जीवन कार्य, इस दिन का महत्व, और भक्ति भावपूर्ण कविता के साथ एक विस्तृत लेख।

संत नरहरी सोनार एक महान संत, भक्त और समाज सुधारक थे। उनका जीवन और कार्य भारतीय भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्हें भगवान श्रीविठोबा के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। संत नरहरी सोनार ने अपना पूरा जीवन भगवान के भजन और भक्ति में व्यतीत किया, और वे अपने भक्ति भाव से समाज में एक नई चेतना और जागृति लाए।

संत नरहरी सोनार का जीवन कार्य:
संत नरहरी सोनार का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले में हुआ था। वे सोनार क caste के थे, और उनका काम सुनार के रूप में था। लेकिन उनकी भक्ति और समर्पण ने उन्हें एक उच्च स्थान दिलवाया। वे एक सामान्य गृहस्थ थे, लेकिन उनका समर्पण और प्रेम भगवान श्रीविठोबा के प्रति असीमित था। संत नरहरी सोनार का मानना था कि सच्ची भक्ति भगवान से सच्चे प्रेम और श्रद्धा से होती है, न कि किसी जाति या सामाजिक स्थिति से।

संत नरहरी सोनार ने अपनी भक्ति और आस्था के बल पर समाज में एक नई जागरूकता उत्पन्न की। उन्होंने भक्ति के माध्यम से जातिवाद, सामाजिक भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों का विरोध किया। वे यह मानते थे कि भगवान हर किसी से प्रेम करते हैं, और हर व्यक्ति को उनके दर्शन प्राप्त करने का हक है।

उनकी भक्ति के गीत और अभंग आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं। संत नरहरी सोनार की भक्ति पंक्तियाँ और गीत आज भी भक्तों के दिलों में समर्पण और आस्था की भावना जागृत करते हैं। उन्होंने भगवान की भक्ति को न केवल एक व्यक्तिगत आस्था के रूप में देखा, बल्कि उन्होंने इसे समाज को जोड़ने और जीवन में शांति और प्रेम लाने के तरीके के रूप में प्रस्तुत किया।

15 फरवरी, संत नरहरी सोनार पुण्यतिथि का महत्व:
15 फरवरी को संत नरहरी सोनार की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से संत नरहरी सोनार के योगदान को याद किया जाता है, और उनकी भक्ति के मार्ग को अपनाने का संकल्प लिया जाता है। यह दिन उनके जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर है, जो हमें बताता है कि जीवन में सच्ची भक्ति का मार्ग सेवा, प्रेम और समर्पण के द्वारा ही संभव है।

इस दिन भक्तों द्वारा उनके भक्ति गीतों, अभंगों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाती है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि भक्ति केवल बाहरी आडंबरों से नहीं, बल्कि अपने ह्रदय में भगवान के प्रति सच्चे प्रेम और समर्पण से होती है।

उदाहरण के रूप में संत नरहरी सोनार की भक्ति:
एक प्रसिद्ध किस्सा है, जिसमें संत नरहरी सोनार भगवान श्रीविठोबा के दर्शन के लिए मंदिर जा रहे थे। रास्ते में एक भिखारी ने उनसे भिक्षा मांगी, लेकिन संत नरहरी सोनार के पास देने के लिए कुछ नहीं था। फिर भी, उन्होंने भगवान श्रीविठोबा के दर्शन के प्रति अपने प्रेम और भक्ति में एक कंकड़ लिया और उसे भिखारी को दे दिया। यह एक प्रतीक था कि भक्ति में हर चीज, चाहे वह छोटी हो या बड़ी, भगवान के प्रति समर्पण के रूप में महत्व रखती है।

संत नरहरी सोनार का यह उदाहरण यह सिखाता है कि भक्ति और सेवा केवल पूजा तक सीमित नहीं होती, बल्कि हर एक कार्य में भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का होना चाहिए। यह समाज में समानता और प्रेम का संदेश देता है।

भक्ति भावपूर्ण कविता:-

🌸 "भक्ति का सच्चा मार्ग" 🌸

जब दिल में हो सच्चा प्रेम, वही भक्ति का रास्ता,
संत नरहरी सोनार ने दिखाया, भगवान से जुड़ने का रास्ता।
जातिवाद और भेदभाव को छोड़, सच्ची भक्ति पर ध्यान लगाओ,
प्रेम में डूबकर भगवान को, अपने ह्रदय से समर्पण दिखाओ।

किसी रूप में नहीं बंधे हैं, भक्ति है बिन शर्त,
संत नरहरी के पदों में है, सच्चे प्रेम की बहार।
हम सब मिलकर, उनके मार्ग पर, चलें हर दिन,
भक्ति से मिलेगी शांति, जीवन में सुख और विजय का चिन्ह।

निष्कर्ष:

संत नरहरी सोनार की पुण्यतिथि हमें यह सिखाती है कि जीवन में सच्चे प्रेम और भक्ति का मार्ग ही सच्ची शांति और सुख का कारण बन सकता है। उनकी जीवन गाथाएं और उनके भक्ति गीत हमें यह संदेश देते हैं कि भक्ति न केवल पूजा-अर्चना में, बल्कि हमारे दैनिक कार्यों में, हमारे विचारों में, और हमारे सामाजिक व्यवहार में भी होनी चाहिए।

संत नरहरी सोनार का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि जीवन में हर स्थिति में भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण बनाए रखें, चाहे हम किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के हों। उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर एक बेहतर और सच्चे भक्ति मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

जय श्रीविठोबा!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.02.2025-शनिवार.
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