"जितना ज़्यादा मैं खुद को जानता हूँ, उतना ही ज़्यादा मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है"

Started by Atul Kaviraje, February 18, 2025, 04:27:41 PM

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Atul Kaviraje

"जितना ज़्यादा मैं खुद को जानता हूँ, उतना ही ज़्यादा मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है"

श्लोक 1
अंदर की यात्रा एक रास्ता है जो मैं अपनाता हूँ,
यह जानने के लिए कि मैं कौन हूँ, अपने लिए।
जितना ज़्यादा मैं देखता हूँ, उतना ही ज़्यादा मैं पाता हूँ,
मेरे दिल में ताकत, मेरे दिमाग में शांति।

💭🌱💪

श्लोक 2
हर विचार में, हर सपने में,
मैं अपनी शक्ति को उजागर करता हूँ, या ऐसा लगता है।
जितना ज़्यादा मैं समझता हूँ, उतना ज़्यादा मैं मानता हूँ,
कि मेरे अंदर ही वो सब है जो मुझे हासिल करने के लिए चाहिए।

🔍💡✨

श्लोक 3
मैं अपनी कमियों, अपनी रोशनी, अपनी कृपा को गले लगाता हूँ,
क्योंकि खुद को जानना ही मेरी सबसे मज़बूत जगह है।
हर गुज़रते दिन के साथ आत्मविश्वास बढ़ता है,
जैसे-जैसे मैं अपने रास्ते पर भरोसा करना सीखता हूँ।

🌸💖🌟

श्लोक 4
अब मैं संदेह या भय में नहीं खोया,
मैं इतनी स्पष्ट शक्ति के साथ खड़ा हूँ।
जितना अधिक मैं खुद को जानता हूँ, उतना ही मैं बढ़ता हूँ,
और अपने आत्मविश्वास में, मैं चमकता हूँ।

🌻🦋💫

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता आत्म-जागरूकता की शक्ति और उस आत्मविश्वास का जश्न मनाती है जो वास्तव में खुद को जानने और गले लगाने से आता है। जितना अधिक हम अपनी ताकत, कमजोरियों और क्षमता को समझते हैं, उतना ही हम जीवन को नेविगेट करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपनी क्षमता में अधिक आश्वस्त होते हैं।

अर्थ को दर्शाने वाले प्रतीक और इमोजी:

💭🌱💪 - आत्म-खोज और व्यक्तिगत विकास की यात्रा
🔍💡✨ - समझ के माध्यम से स्पष्टता और आत्मविश्वास प्राप्त करना
🌸💖🌟 - अनुग्रह और विश्वास के साथ अपने सभी हिस्सों को गले लगाना
🌻🦋💫 - आत्मविश्वास का खिलना और परिवर्तन

--अतुल परब
--दिनांक-18.02.2025-मंगळवार.
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