सौर वसंत ऋतु का प्रारंभ 🌼-

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2025, 07:45:31 PM

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Atul Kaviraje

सौर वसंत ऋतु का प्रारंभ 🌼-

1. पहला चरण:

🌞 सूर्य की किरणें छूने आई,
वसंत ऋतु की बयार बहने आई।
धरती ने ओढ़ा नया वस्त्र,
फूलों ने किया सजावट का अलंकार।

अर्थ: इस चरण में वसंत ऋतु का आगमन और धरती की सुंदरता का वर्णन किया गया है।

2. दूसरा चरण:

🌷 बागों में खिलते हैं रंग-बिरंगे फूल,
पक्षियों की चहचहाहट, सुनो वो मधुर धूल।
हरियाली छाई चारों ओर,
संगीत सा गाता है यह नज़ारा, एक अनमोल तोड़।

अर्थ: यहाँ पर बागों में फूलों की रंगीनता और पक्षियों की आवाज़ का जिक्र है।

3. तीसरा चरण:

🍃 ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी,
सूरज की गर्मी से राहत मिली।
खेतों में लहराते हैं गेहूं के बाल,
कृषक का चेहरा है खुशहाल।

अर्थ: इस चरण में वसंत में खेतों की हरियाली और कृषकों की खुशी का वर्णन है।

4. चौथा चरण:

🌼 बच्चों की हंसी से गूंजे आँगन,
संगीत की धुन में झूमे हर मन।
प्यारे रिश्तों का यह मौसम है,
वसंत की मस्ती में हर कोई खोया है।

अर्थ: यहाँ बच्चों की खुशी और रिश्तों की मिठास का उल्लेख है।

5. अंतिम चरण:

🌺 सौर वसंत ने सबको जोड़ दिया,
प्रेम और सौहार्द का जोड़ा दिया।
इस ऋतु में हम सब मिलकर,
खुशियाँ मनाएँ, प्रेम फैलाएँ हर ओर।

अर्थ: इस अंतिम चरण में वसंत ऋतु के प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने का संदेश है।

चित्र और प्रतीक:

🌞 (सूर्य)
🌼 (फूल)
🌷 (रंग-बिरंगे फूल)
🍃 (हरी पत्तियाँ)
🌺 (सुखदायी वातावरण)

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता सौर वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करती है, जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य, खुशियाँ, और प्रेम का वर्णन किया गया है। वसंत ऋतु सभी के लिए एक नई उमंग और खुशी लेकर आती है।

--अतुल परब
--दिनांक-18.02.2025-मंगळवार.
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