युद्ध भूमि पर कृष्ण और अर्जुन का संवाद ⚔️🌟-

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2025, 08:05:14 PM

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Atul Kaviraje

युद्ध भूमि पर कृष्ण और अर्जुन का संवाद ⚔️🌟-

1. पहला चरण:

⚔️ कुरुक्षेत्र की भूमि, छाई है घनघोर,
अर्जुन का मन, भय से भरा है जोर।
कृष्ण का सारथी, ज्ञान का सागर,
समझाते हैं अर्जुन, न हो तेरा मन उदासगर।

अर्थ: इस चरण में कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि का दृश्य और अर्जुन की चिंता का उल्लेख किया गया है।

2. दूसरा चरण:

🕉� "हे पार्थ," बोले कृष्ण, "क्यों कर रहा है संकोच?
धर्म की लड़ाई में, तू क्यों हो रहा है त्रस्त?"
"कर्म करो निश्चय, फल की चिंता छोड़,
सच्चे मार्ग पर चल, यही है जीवन का जोड़।"

अर्थ: यहाँ कृष्ण ने अर्जुन को कर्म करने और फल की चिंता न करने की सलाह दी है।

3. तीसरा चरण:

🌌 "जो आत्मा अमर है, उसे तू क्यों मरेगा?
शरीर तो क्षणिक है, यह तू क्यों सहेगा?"
कृष्ण का ज्ञान, जैसे बढ़ता है सूरज,
अर्जुन के मन में, जगाता है विश्वास।

अर्थ: इस चरण में कृष्ण ने आत्मा की अमरता का ज्ञान दिया, जिससे अर्जुन का विश्वास बढ़ता है।

4. चौथा चरण:

🌼 "धर्म की राह पर, चलना है तेरा धर्म,
सच्चाई की जीत, यही है अंतिम कर्म।
भूल ना जाना, तू कर्तव्य का पालन,
युद्ध भूमि पर खड़ा, कर अपना भव्य प्रदर्शन!"

अर्थ: यहाँ कृष्ण ने अर्जुन को उसके कर्तव्यों का स्मरण कराया और धर्म के पालन की प्रेरणा दी।

5. अंतिम चरण:

🙏 अर्जुन ने सुना, दिल में भर लिया साहस,
कृष्ण के ज्ञान से, मिटा हर एक तनाव।
"हे कृष्ण, अब मैं तैयार, करूंगा मैं युद्ध,
तेरे साथ रहूँगा, सच्चाई की होगी विजय!"

अर्थ: इस अंतिम चरण में अर्जुन ने कृष्ण के ज्ञान को स्वीकार किया और युद्ध के लिए तैयार हुआ।

चित्र और प्रतीक:

⚔️ (युद्ध)
🕉� (ज्ञान)
🌌 (आत्मा)
🌼 (कर्तव्य)
🙏 (आभार)

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता युद्धभूमि पर कृष्ण और अर्जुन के संवाद को दर्शाती है, जिसमें कृष्ण अर्जुन को कर्म करने, आत्मा की अमरता और धर्म के पालन की प्रेरणा देते हैं। कृष्ण के ज्ञान से अर्जुन में साहस जागृत होता है, जो उसे युद्ध के लिए तैयार करता है। यह कविता भक्ति भाव से भरी हुई है, जो हमें धर्म और कर्तव्य के महत्व को समझाती है।

--अतुल परब
--दिनांक-19.02.2025-बुधवार.
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