📘 विषय: समाज में असमानता 🎭⚖️🧍‍♂️🧍‍♀️🏠📚💰🚫

Started by Atul Kaviraje, April 13, 2025, 07:35:29 PM

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Atul Kaviraje

📘 विषय: समाज में असमानता
🎭⚖️🧍�♂️🧍�♀️🏠📚💰🚫

✨ हिंदी कविता: समाज में असमानता
(सरल व अर्थपूर्ण तुकबंदी सहित – 07 चरण, 04 पंक्तियाँ प्रति चरण, प्रत्येक चरण का विस्तृत अर्थ नीचे दिया गया है।)

🌍 चरण 1
किसी के पास है महल, किसी के पास झोपड़ी,
एक भूखा सोए, तो दूजा खाए रसोई।
कपड़े अलग, चप्पलें भी नहीं बराबर,
असमानता फैल गई हर घर-द्वार।

🔍 अर्थ:
समाज में अमीर और गरीब के बीच भारी अंतर है—कोई महलों में रहता है, तो कोई झोंपड़ी में। एक व्यक्ति भूखा सोता है, तो दूसरा स्वादिष्ट भोजन करता है। यह असमानता हर क्षेत्र में दिखाई देती है।

🏫 चरण 2
शिक्षा मिले कुछ को, बाकी रहें अज्ञान,
कभी किताबें हाथ में, तो कभी अधूरा ज्ञान।
स्कूल हैं दूर, साधन नहीं पास,
सपनों की उड़ान को, मिलती नहीं आस।

🔍 अर्थ:
शिक्षा की असमानता समाज में बहुत गहरी है। कुछ बच्चों को शिक्षा के सभी साधन उपलब्ध होते हैं, जबकि अन्य को स्कूल भी नसीब नहीं होता।

🏥 चरण 3
अस्पताल में इलाज नहीं हर किसी को,
धन से मिलता है जीवन, गरीबी रोती है जो।
दवा, डॉक्टर, सबकी है कीमत बड़ी,
गरीब के लिए बीमारी ही सबसे बड़ी सज़ा पड़ी।

🔍 अर्थ:
स्वास्थ्य सेवा तक भी गरीबों की पहुंच नहीं है। अमीर लोग अच्छे इलाज पा सकते हैं, जबकि गरीबों को इलाज के अभाव में पीड़ा सहनी पड़ती है।

💼 चरण 4
रोजगार की राहें नहीं सबके लिए खुली,
कोई पसीना बहाए, तो कोई कुर्सी पर झुली।
मेहनत करे एक, मुनाफा ले कोई और,
संघर्ष से भरा हो जैसे जीवन का दौर।

🔍 अर्थ:
रोज़गार और आय में भी भेद है। मेहनत करने वाला गरीब होता है और लाभ उठाने वाला अक्सर कोई और होता है।

🧑�⚖️ चरण 5
न्याय भी बिकता है, ताक़त और दाम से,
गरीब की पुकार गुम हो जाए नाम से।
कानून किताबों में, हकीकत में कुछ और,
असमानता यहाँ भी कर रही शोर।

🔍 अर्थ:
न्याय तक की पहुंच समान नहीं है। धन और ताकत के बल पर न्याय को मोड़ा जा सकता है, जिससे गरीबों को न्याय नहीं मिल पाता।

🏘� चरण 6
जाति, धर्म, रंग, भाषा का भेद,
इंसान को इंसान से करता खेद।
दीवारें खड़ी हैं दिलों के बीच,
असमानता से बढ़ती दूरी और खींच।

🔍 अर्थ:
सामाजिक असमानता जैसे जाति, धर्म, रंग और भाषा के आधार पर भेदभाव समाज को बांटता है और लोगों के बीच दूरियाँ पैदा करता है।

✊ चरण 7
अब ज़रूरत है एक नई सोच की,
हर दिल में हो समता की रोशनी।
असमानता मिटे, हो सबका विकास,
तभी बनेगा समाज सुंदर और खास।

🔍 अर्थ:
समाज को असमानता से मुक्त करने के लिए एक नई सोच की जरूरत है, जिसमें सबको समान अवसर और सम्मान मिले।

📘 संक्षिप्त सारांश (Short Meaning):
यह कविता सामाजिक असमानता के विभिन्न पहलुओं—आर्थिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य, न्याय, जातीय और रोजगार—को उजागर करती है और अंततः समानता की आवश्यकता और संकल्प की बात करती है।

🖼� प्रतीक व इमोजी सजावट:
🏠 महल और झोपड़ी – आर्थिक असमानता

📚 शिक्षा – ज्ञान का विभाजन

🏥 दवा – स्वास्थ्य सुविधा की कमी

💼 कामगार – श्रम बनाम मुनाफा

⚖️ न्याय – अमीर बनाम गरीब का कानून

🧑�🤝�🧑 जाति-धर्म – सामाजिक भेदभाव

🌟 दीपक – समता की रोशनी

--अतुल परब
--दिनांक-11.04.2025-शुक्रवार.
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