🌺 भक्ति कविता: शिव और विष्णु के बीच संबंध-

Started by Atul Kaviraje, April 14, 2025, 05:39:04 PM

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Atul Kaviraje

🌺 भक्ति कविता: शिव और विष्णु के बीच संबंध-
(07 चरण, 04 पंक्तियाँ प्रति चरण, प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ सहित, चित्र और प्रतीकों के साथ)

🔱✨ चरण 1:
शिव हैं नटराज, नृत्य में लीन,
विष्णु हैं योगी, शांत और दीन।
दोनों हैं एक ही ब्रह्म स्वरूप,
भक्ति में मिलते हैं दोनों रूप।

🕉� अर्थ:
शिव और विष्णु एक ही परम तत्व के दो रूप हैं — शिव नृत्य के अधिपति हैं, तो विष्णु ध्यान के योगी। भक्त के लिए दोनों ईश्वर एक समान हैं।

🌿🙏 चरण 2:
विष्णु ने वंदन किया शिव चरण,
शिव ने सौंपी चक्र की शरण।
भक्ति में न कोई छोटा-बड़ा,
ईश्वर के प्रेम में नहीं कोई पर्दा।

🌀 अर्थ:
विष्णु ने शिव की आराधना की थी और शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। इससे पता चलता है कि दोनों देवों में गहरा प्रेम और सम्मान है।

🔅💖 चरण 3:
शिव को कहे हरि के हर,
हरि ने पुकारा शिव को ईश्वर।
जब दोनों ने एक-दूजे को पूजा,
तब भक्ति ने सच्चा रूप सूझा।

🔯 अर्थ:
शिव और विष्णु एक-दूसरे को पूजते हैं। जब ईश्वर एक-दूसरे को सम्मान देते हैं, तो भक्ति अपने सबसे पवित्र रूप में प्रकट होती है।

🌸🕊� चरण 4:
हरिहर का रूप है दिव्य प्रकाश,
जिसमें नहीं कोई द्वेष या विकाश।
भक्त जो देखे दोनों में एक,
वो पाए मोक्ष, न हो कोई संदेह।

🤝 अर्थ:
हरिहर रूप शिव और विष्णु की एकता को दर्शाता है। जो भक्त इन दोनों को एक मानकर पूजता है, वह आत्मिक मुक्ति को प्राप्त करता है।

🌼🧘 चरण 5:
शिव हैं करुणा, विष्णु हैं प्रेम,
दोनों में छिपा है जग का क्षेम।
ध्यान और सेवा, दोनों का मेल,
इनसे ही मिटता है हर झमेल।

💚 अर्थ:
शिव करुणा का प्रतीक हैं और विष्णु प्रेम का। ध्यान (शिव) और सेवा (विष्णु) दोनों से ही जीवन में सुख, शांति और समाधान आता है।

📿🌠 चरण 6:
शिव बिना विष्णु अधूरे लगें,
विष्णु बिना शिव भी न जागें।
सत्य यही, दोनों हैं संगी,
जैसे राग में सजीव तान संग संग।

🎶 अर्थ:
शिव और विष्णु एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे के बिना अधूरा है — जैसे राग में ताल और स्वर साथ होते हैं।

🌈🛕 चरण 7:
भक्त बने पुल, न बाँधें दीवार,
शिव-विष्णु में न करें कोई तकरार।
हरि भी हैं हर, और हर भी हैं हरि,
एक ही सत्य के दो रूप हैं नर-नारी।

☮️ अर्थ:
भक्तों को चाहिए कि वे देवों में भेद न करें। शिव और विष्णु एक ही सत्य के दो स्वरूप हैं — प्रेम, एकता और शांति का संदेश देते हुए।

🙏 कविता का सार (Short Meaning):

👉 यह कविता यह दर्शाती है कि शिव और विष्णु विरोधी नहीं बल्कि पूरक हैं।
👉 इनकी भक्ति से हमें यह सिखने को मिलता है कि सम्मान, एकता और प्रेम से ही आध्यात्मिक उन्नति संभव है।
👉 यह कविता भक्ति भाव, सहिष्णुता, और धार्मिक एकता को सुंदर रूप में प्रस्तुत करती है।

🌟 प्रतीक चिन्ह और इमोजी:

प्रतीक   अर्थ

🔱   शिव का त्रिशूल – शक्ति और संतुलन
🌀   विष्णु का चक्र – रक्षा और धर्म
🕉�   ब्रह्म का प्रतीक – एकता का संदेश
🤝   शिव-विष्णु की एकता
🌸   भक्ति और शांति
🛕   मंदिर – पूजा का स्थल

--अतुल परब
--दिनांक-14.04.2025-सोमवार.
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