🕉️ श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीकवाद 🕉️

Started by Atul Kaviraje, April 24, 2025, 07:38:48 PM

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Atul Kaviraje

श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीक-
(श्री गुरु देव दत्त का पूजनीय स्वरूप और उसका प्रतीकवाद)
(The Worshiped Form of Shri Guru Dev Datta and Its Symbolism)

🕉� श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीकवाद 🕉�
(Shri Gurudev Datta's Idol and Its Symbolism)

🌿 परिचय:
श्री गुरुदेव दत्त, जिन्हें भगवान दत्तात्रेय के रूप में पूजा जाता है, त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के एकत्रित रूप हैं। उनकी मूर्ति में तीन सिर, छह हाथ, चार कुत्ते और एक गाय के साथ अन्य प्रतीक होते हैं, जो उनके दिव्य गुणों और सिद्धांतों का प्रतीक हैं।�

🕉� प्रमुख प्रतीक और उनका अर्थ:

तीन सिर (Brahma, Vishnu, Shiva):
तीन सिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रैतीयक रूप का प्रतीक हैं, जो सृष्टि, पालन और संहार के कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

छह हाथ:

छह हाथों में विभिन्न वस्तुएं पकड़ी जाती हैं:

कमंडलु (Kamandalu): ब्रह्मा का प्रतीक, जीवन और शुद्धता का संकेत।

जपमाला (Japamala): ध्यान और साधना की ओर प्रेरित करता है।

शंख (Shankha): विष्णु का प्रतीक, ब्रह्मांडीय ध्वनि 'ॐ' का संकेत।

चक्र (Chakra): विष्णु का प्रतीक, समय और चक्रवात का संकेत।

त्रिशूल (Trishul): शिव का प्रतीक, त्रिगुणों के संतुलन का संकेत।

डमरू (Damaru): शिव का प्रतीक, ब्रह्मांडीय संगीत और सृजन का संकेत। �

चार कुत्ते:

चारों वेदों का प्रतीक, जो ज्ञान और धर्म के मार्गदर्शक हैं।

गाय:
पृथ्वी और धर्म का प्रतीक, जो पालन और समृद्धि का संकेत है।

भिक्षाटन पात्र (Begging Bowl):
अहंकार और बुराई को त्यागने का संकेत, आत्मसमर्पण और विनम्रता की ओर प्रेरित करता है।

🖼� चित्र:

📜 हिंदी कविता: "श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीकवाद"-

चरण 1:

तीन सिरों में बसा है ब्रह्मा, विष्णु, महेश का रूप,
सृष्टि, पालन, संहार में है उनका अनुपम योगदान।
श्री गुरुदेव की मूर्ति में है त्रिदेव का संगम,
ध्यान से देखो, समझो, यह है दिव्य ज्ञान का संगम।

अर्थ:
श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति में तीन सिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में हैं, जो सृष्टि, पालन और संहार के कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।�

चरण 2:

छह हाथों में है कमंडलु, जपमाला, शंख, चक्र, त्रिशूल, डमरू,
प्रत्येक वस्तु का है अपना विशेष अर्थ, समझो, जानो।
कमंडलु से शुद्धता, जपमाला से ध्यान की प्रेरणा,
शंख से ब्रह्मांडीय ध्वनि, चक्र से समय का ज्ञान।

अर्थ:
छह हाथों में पकड़ी गई वस्तुएं ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक हैं, जो शुद्धता, ध्यान, ब्रह्मांडीय ध्वनि, समय और सृजन के संकेत हैं।�

चरण 3:

चार कुत्ते हैं वेदों के प्रतीक, ज्ञान के मार्गदर्शक,
गाय है पृथ्वी और धर्म का प्रतीक, पालन और समृद्धि का संकेत।
भिक्षाटन पात्र से अहंकार का त्याग, आत्मसमर्पण की ओर प्रेरणा,
श्री गुरुदेव की मूर्ति में है जीवन का अद्भुत संदेश।

अर्थ:
चार कुत्ते वेदों के प्रतीक हैं, जो ज्ञान और धर्म के मार्गदर्शक हैं। गाय पृथ्वी और धर्म का प्रतीक है, जो पालन और समृद्धि का संकेत देती है। भिक्षाटन पात्र अहंकार के त्याग और आत्मसमर्पण की ओर प्रेरित करता है।�

चरण 4:

श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति में है दिव्य गुणों का संगम,
समझो, जानो, और अपनाओ, यह है जीवन का अद्भुत संदेश।
उनकी पूजा से मिलता है शांति, समृद्धि और ज्ञान,
श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति है जीवन का अद्भुत वरदान।

अर्थ:
श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति में दिव्य गुणों का संगम है, जो शांति, समृद्धि और ज्ञान प्रदान करती है। उनकी पूजा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।�

🕉� निष्कर्ष:
श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति में त्रिदेव, वेद, गाय, कुत्ते, और अन्य प्रतीक उनके दिव्य गुणों और सिद्धांतों का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह मूर्ति हमें जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-24.04.2025-गुरुवार.
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