"मल्लिकार्जुन देवस्थान सफर यात्रा - कारकल, दक्षिण सोलापुर"-हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, May 04, 2025, 09:15:32 PM

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Atul Kaviraje

यह रही एक सुंदर, भक्तिभावपूर्ण, सरल तुकबंदी वाली दीर्घ हिंदी कविता —

"मल्लिकार्जुन देवस्थान सफर यात्रा - कारकल, दक्षिण सोलापुर" पर आधारित,
👉 7 चरण, प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ,
🌸 प्रत्येक चरण का हिंदी में अर्थ,
🎨 चित्रार्थ/प्रतीक ✨ और ❤️ भक्तिभाव से परिपूर्ण प्रस्तुति:

🌄 चरण १: यात्रा का आरंभ
🚩
पवित्र प्रभात में निकले हम, श्रद्धा संग मन में दीप,
धूप सुवासित, मंदिर पुकारे, शांति भरे हर सीप।
कारकल की भूमि पावन, दक्षिण सोलापुर की शान,
मल्लिकार्जुन के द्वार चले हम, लेकर मन में ज्ञान।

📜 अर्थ:
सुबह के समय श्रद्धा और भक्ति से भरकर हम यात्रा पर निकले। कारकल गांव की पवित्र धरती हमें मल्लिकार्जुन मंदिर की ओर खींच रही है।

📷 प्रतीक: 🛕🚶�♂️☀️🙏

🌿 चरण २: मंदिर का सौंदर्य
संगमरमर से सजा द्वार, घंटों की गूंजे टंकार,
शिखर उठे आकाश छूते, जैसे हो ईश्वर का द्वार।
तोरण पर पुष्पों की वर्षा, दीपों से आलोकित गाथा,
हर कोना बोले भक्ति की, हर ईंट में बसा प्रभुथा।

📜 अर्थ:
मंदिर का स्थापत्य और सजावट मन को मोह लेने वाला है। शिखर, दीप, पुष्प और गूंजते मंत्र वातावरण को दिव्य बनाते हैं।

📷 प्रतीक: 🌺🛕🔔🕯�

🕉� चरण ३: दर्शन का क्षण
हर हर बोले भक्त मंडली, "जय मल्लिकार्जुन देवा",
नेत्र झुके, मन भर आया, रोम-रोम गाया भावा।
धूप-अगरबत्ती से महके, मंदिर का हर कोना,
दर्शन से मन पावन हो गया, मिटा अंधेरा दोना।

📜 अर्थ:
भगवान के दर्शन करते ही मन में भावनाओं की लहर दौड़ गई। मंदिर का हर कोना सुगंधित था और मन भीतर से शुद्ध हो गया।

📷 प्रतीक: 👁�🛕🌿🙏🪔

🌺 चरण ४: भजन और आरती
ढोल मृदंग की तालों पर, गूंजा प्रभु का नाम,
आरती की लौ से जलते, प्रेम के हज़ारों काम।
हर स्वर में श्रद्धा थी, हर ताल में भक्ति,
मंदिर परिसर बना जैसे स्वर्ग की एक झलक दिखती।

📜 अर्थ:
आरती और भजन के समय वातावरण भावविभोर हो गया। हर व्यक्ति प्रभु के नाम में डूब गया था।

📷 प्रतीक: 🎶🔥🛕🎵💓

🍲 चरण ५: प्रसाद और सेवा
खिचड़ी, फल, और पंचामृत, सादा पर गहरा स्वाद,
सेवा में सब लगे हुए, सच्चा था उनका भाव।
कोई पत्तल थामे बैठा, कोई जल लुटाए प्यार,
यहाँ सेवा ही पूजा थी, यही था परम उपकार।

📜 अर्थ:
प्रसाद वितरण और सेवा कार्य में भक्त पूरे मन से लगे थे। सादगी में भी भक्ति की महिमा थी।

📷 प्रतीक: 🍛🍌🧉🙏🪣

🌳 चरण ६: मंदिर का परिसर और प्रकृति
बगल में बहती निर्मल धारा, वृक्षों से सजे घाट,
पक्षियों की मधुर तानें, करती मन को साथ।
प्रकृति और प्रभु मिले जब, होती अद्भुत बात,
मल्लिकार्जुन की छाया में, मिली शांति और वात्सल्य साथ।

📜 अर्थ:
मंदिर का परिसर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर था। वृक्ष, जलधारा और पक्षियों की ध्वनि मन को शांति देती थी।

📷 प्रतीक: 🌳🦜💧🏞�🧘

🙏 चरण ७: विदा का क्षण
नयन भरे, मन भर आया, विदा का आया काल,
"फिर आना होगा!" कहकर, चले हम अपने हाल।
मल्लिकार्जुन रहे हृदय में, हर सांस में उसका नाम,
यात्रा पूर्ण, पर भक्ति अनंत — यही है सच्चा काम।

📜 अर्थ:
जब विदा का समय आया, तो मन भारी था। लेकिन प्रभु की याद और आशीर्वाद हमारे साथ चल पड़े।

📷 प्रतीक: 👋💖🛕🕊�🚶�♂️

🎇 सारांश / लघु अर्थ:
मल्लिकार्जुन देवस्थान की यह यात्रा केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव था। मंदिर की भव्यता, आरती की दिव्यता, सेवा का भाव और प्रकृति की शांति — सब मिलकर इस यात्रा को अविस्मरणीय बनाते हैं।

🛕✨🙏🌸🌿🍛💓

--अतुल परब
--दिनांक-04.05.2025-रविवार.
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