🙏 कविता शीर्षक: "लक्ष्मी मातेचा मेला"-

Started by Atul Kaviraje, May 07, 2025, 09:57:16 PM

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Atul Kaviraje

🌺 श्री महालक्ष्मी देवस्थान वार्षिक मेला-यात्रा
📅 तारीख: 07 मई 2025 – बुधवार
📍 स्थान: रानी चन्नम्मा नगर – बेलगाम
🎉 विषय: एक भक्तिभावपूर्ण, सुंदर, अर्थपूर्ण कविता – 7 चरणों की तुकबंदी सहित
🕉� हर चरण का सरल हिंदी अर्थ, साथ में प्रतीक, चित्र और भावनात्मक इमोजी

🙏 कविता शीर्षक: "लक्ष्मी मातेचा मेला"-

चरण 1
🏵� माघ शुद्धेची येते वेला, देवीचा लागे मेला,
घंटा-शंखेचा होतो गजर, भक्त चालती खेळा।
रथावर लक्ष्मी माई, करिती मंगल वास,
उत्सव भक्तीचा होतो, संपूर्ण होई त्रास। 🛕🔔

📖 अर्थ: हर वर्ष देवी महालक्ष्मी की यात्रा पर भक्त बड़ी श्रद्धा से मेले में भाग लेते हैं। रथ, शंख, घंटियों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय होता है।

चरण 2
🌼 पूजेत फुले वाहती, ओवाळी माउलीला,
प्रेमाने वाहती नारळ, झोके देती पालखीला।
हर भक्त मनी बोले, "जय देवी अंबे!",
कणकवली गंध सुगंध, देवस्थान फुले अंबे। 🌸🍃

📖 अर्थ: भक्त माँ लक्ष्मी को फूल, नारियल, और ओवाळणी अर्पित करते हैं। भक्ति में मग्न होकर वे माँ की पालखी के आगे झूम उठते हैं।

चरण 3
🪔 दीप उजळती आरास, गूंजे आरतीची तान,
भाव-भावना वहती, जणू अमृताची खान।
साज सज्जा रंगभरी, भक्तिभावाची छटा,
लक्ष्मीचा वरदहस्त, होई पावन पवित्र रटा। 🔥🎶

📖 अर्थ: मंदिर दीपों से प्रकाशित होता है, आरती की स्वर लहरियाँ मन को शांत करती हैं, और हर भक्त को देवी की कृपा की अनुभूति होती है।

चरण 4
🎡 खेळणीं, मिठाई, ढोल, वाजे मेळ्याचा गजर,
लहानांपासून थोरांपर्यंत, होतो आनंद भरपूर।
लोककला, रांगोळी, वाद्यांची होते आरास,
भक्तीरसात रंगते, संपूर्ण नगर खास। 🍭🥁

📖 अर्थ: मेले में केवल पूजा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रंग भी भरते हैं – बच्चों के लिए झूले, मिठाइयाँ, और पारंपरिक लोककलाएँ सबके मन को हर्षित करती हैं।

चरण 5
📿 महिलांचे भजन-कीर्तन, गोंधळात गूंजते नाम,
नवचैतन्य लाभते, जणू देवीचं पुण्यधाम।
गाणी गाती देवीवर, झूलतो भक्तीचा स्वर,
मन, तन, आणि वाणी, सर्व अर्पिती मातेसावर। 🎤🙏

📖 अर्थ: महिलाएँ कीर्तन करती हैं, गोंधळ होता है और वातावरण देवीमय हो जाता है, जहाँ भक्त अपने तन-मन से माता को समर्पित हो जाते हैं।

चरण 6
🌿 प्रसाद वाटतो फळांचा, भाजी-भाकरीचं जेवण,
संपूर्ण समाज एकत्र, प्रेमाचं होतं संगम।
द्वेष, मतभेद विसरूनी, हृदय होतात विशाल,
मेला बनतो सेतु, भक्ती आणि सामाजिक हाल। 🥭🍛

📖 अर्थ: मेले का सबसे सुंदर रूप है सबके लिए एक समान भोजन – प्रसाद। यह सामाजिक एकता, प्रेम और समरसता का प्रतीक बनता है।

चरण 7
🪔 वर्षभर राहो हे मंगल, लक्ष्मी माईचा आशिर्वाद,
संपत्ती, शांती आणि सुख, येवो घराघरात।
परत भेटू पुढच्या वेला, घेऊन श्रद्धेचा मान,
जय जय महालक्ष्मी माते, कृपाछत्र ठेवो प्रमाण! 🌺🕉�

📖 अर्थ: अंत में हर भक्त यह कामना करता है कि माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद वर्षभर बना रहे और अगली यात्रा तक फिर भक्ति में मिलन हो।

📚 कविता का सारांश (Short Meaning)
यह कविता श्री महालक्ष्मी देवस्थान बेलगाम की भव्य वार्षिक यात्रा और उसमें समाहित भक्ति, समाज, संस्कृति, कला, और एकता का भाव दर्शाती है।
यह केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक बंधुत्व और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक है।

✨ प्रतीक, चित्र और इमोजी अर्थ
🛕 = मंदिर

🌸 = फूल अर्पण

🥁 = ढोल-ताशा

🪔 = दीपमालिका

🍛 = महाप्रसाद

🕉� = आध्यात्म

🌿 = भक्तिभाव

🎡 = मेले का आनंद

📢 निष्कर्ष / संदेश
श्री महालक्ष्मी की वार्षिक यात्रा हमें केवल पूजा की नहीं, बल्कि एकता, प्रेम, और सामाजिक सौहार्द की भावना सिखाती है।
हर भक्त को जीवन में यह भक्ति, सेवा और सादगी का संगम अनुभव करना चाहिए।

--अतुल परब
--दिनांक-07.05.2025-बुधवार.
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