"शिवराज्याभिषेक: स्वराज्य का पावन आरंभ"-दिनांक: 6 जून, शुक्रवार-

Started by Atul Kaviraje, June 06, 2025, 10:24:00 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

यह रही एक सुंदर, अर्थपूर्ण, भक्तिभाव-पूर्ण दीर्घ हिंदी कविता —
"शिवराज्याभिषेक: स्वराज्य का पावन आरंभ"

📅 दिनांक: 6 जून, शुक्रवार | स्थान: रायगढ़ किला | वर्ष: 1674
विषय: छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह
प्रत्येक चरण में 4 पंक्तियाँ + सरल हिंदी अर्थ + प्रतीक/इमोजी 🌟🏹🕉�📿🛕

🏔� चरण 1: स्वराज्य का सूर्योदय
रायगढ़ की ऊँचाई पर, गूंजे वैदिक तान,
शिवाजी बने छत्रपति, हुआ धर्म का गान।
ना केवल सिंहासन था, ये जन का स्वाभिमान,
हर दिशा ने गाया तब, "जय शिवराज महान!"

🔸अर्थ:
6 जून 1674 को रायगढ़ किले में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ। यह केवल ताजपोशी नहीं, बल्कि जनता के आत्मगौरव और धर्म की रक्षा का ऐलान था।
🌄👑📯🕉�

🕉� चरण 2: वेदों की पावन वाणी
ऋचाओं के मधुर स्वर से, मंडप गूंज उठा,
सप्तसिंधु की चेतना से, हिंदवी स्वप्न फूटा।
गुरुजन और ब्राह्मणों ने, शुभ घड़ी सजाई,
शिवाजी के शीश पर, धर्म की छाया छाई।

🔸अर्थ:
राज्याभिषेक वेदों के मंत्रों और वैदिक परंपरा के अनुसार हुआ, जिससे पूरे राष्ट्र में धर्म और संस्कृति की ज्योति प्रज्वलित हुई।
📿📜🕯�🧘�♂️🌺

🛕 चरण 3: राजा नहीं, रक्षक बनें
शिवाजी न थे केवल शासक, थे जनसंघर्ष के दीप,
हर जाति, हर धर्म के लिए, बने नीति के समीप।
न्याय, धर्म और प्रजा-हित, था उनका मार्ग सदा,
मर्यादा के सच्चे पालक, स्वराज्य बना व्रत बड़ा।

🔸अर्थ:
शिवाजी ने हर वर्ग के लिए न्याय का आदर्श रखा। वे धर्म के रक्षक थे, तानाशाह नहीं — प्रजाहित उनका संकल्प था।
⚖️🛡�🌿🌞📖

🏹 चरण 4: तलवार नहीं, विचारों से राज्य
रणभेरी की गूंज नहीं, आज मंत्रों की शक्ति थी,
तलवारें झुकीं चरणों में, जब धर्म की भक्ति थी।
शिवराय ने दिखला डाला, कैसा हो राज धर्म,
जहाँ शौर्य हो, पर साथ में हो नीति और कर्म।

🔸अर्थ:
शिवाजी का राज्य बल से नहीं, धर्म और न्याय के बल पर था। उनका आदर्श यह था कि तलवार भी नीति से नियंत्रित हो।
🔔🗡�📿🕊�🛐

🌿 चरण 5: जनता का उत्सव
सजे हुए थे गांव-नगर, झूमे नर और नार,
हर जाति बोली एक स्वर में — "शिवाजी अमर हो बारंबार!"
नववर्ष सा उल्लास फैला, जैसे मिला हो द्वार,
जिसे समझा था सपना, अब वो बना था सत्य-सार।

🔸अर्थ:
राज्याभिषेक केवल एक समारोह नहीं, जनआशाओं की पूर्ति थी। हर वर्ग में खुशी और गर्व की लहर दौड़ गई।
🌺🎉🧓👩�🌾👳

🔔 चरण 6: हिंदवी स्वराज्य का व्रत
स्वराज्य का अर्थ यही था — सबका हो सम्मान,
धर्म, संस्कृति और जनहित में, राजा हो बलिदान।
शिवराय ने जो सपना देखा, वो हर मन में जागा,
रायगढ़ से जो दीप जला, वो युगों तक ना भागा।

🔸अर्थ:
स्वराज्य का उद्देश्य केवल राजनीतिक सत्ता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण और जनता का उत्थान था।
🕯�🇮🇳📜🛕🌟

🌞 चरण 7: आज भी प्रेरणा बने
6 जून का वो पुण्य दिवस, हर युग को सिखाए,
न्याय, नीति और धर्म से ही, राष्ट्र सफल बन पाए।
शिवराज्य नहीं केवल भूत, वो चेतना की बात,
हर मन में बस जाए वही, शिवाजी की सौगात।

🔸अर्थ:
आज भी शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हमें प्रेरणा देता है कि राष्ट्र धर्म, नीति और जनहित से चलता है, न कि केवल सत्ता से।
🕊�📯🌿⚔️💖

--अतुल परब
--दिनांक-06.06.2025-शुक्रवार.
===========================================