📿 संत कबीर जयंती -"संत कबीर – भक्ति, सत्य और समरसता का संदेश"

Started by Atul Kaviraje, June 12, 2025, 10:22:48 AM

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Atul Kaviraje

📿 संत कबीर जयंती विशेष-
🗓� तारीख: 11 जून, बुधवार

🎊 विषय: "संत कबीर – भक्ति, सत्य और समरसता का संदेश"

🪔 सरल तुकबंदी वाली 7 चरणों की भक्ति-भावपूर्ण दीर्घ कविता
(प्रत्येक चरण में 4 पंक्तियाँ, सरल अर्थ, प्रतीक/चित्र/इमोजी सहित)

🌼 चरण 1: कबीर का जन्म – समरसता की संतान

🧵
बुनकर की झोपड़ी में, रच गया था ज्ञान,
हिंदू-मुस्लिम बीच का, था वह मधुर निशान।
ना मंदिर, ना मस्जिद, दिल था उसका धाम,
कबीर बना वह दीपक, जो मिटाए घन-अंधियाम।

📖 अर्थ:
संत कबीर का जन्म एक बुनकर परिवार में हुआ, जो जाति-धर्म से परे ज्ञान और प्रेम का प्रतीक बने।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 🪔🧵☪️🕉�

🌸 चरण 2: निर्गुण भक्ति – ईश्वर की सच्ची तलाश
🕊�
ना मूर्ति ना तस्वीर में, देखा उसने राम,
भीतर झांका जब मन में, वहीं मिला विश्राम।
जप-तप से न पाया वो, जिसने मन न जोड़ा,
कह कबीर वो ईश्वर है, जो प्रेम-भाव से जोड़ा।

📖 अर्थ:
कबीर निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे — उनका मानना था कि ईश्वर किसी रूप में नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति में बसता है।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 💗🙏🔍☁️

🌿 चरण 3: समाज सुधारक – कट्टरता के विरोधी
⚖️
पंडित-मौलवी उलझे रहे, शब्दों की बुनाई में,
कबीर ने देखा सत्य को, हर एक रहनुमाई में।
छुआछूत और दंभ से, लड़ते रहे वो वीर,
सत्य-अहिंसा, प्रेम से, बने जनमानस के तीर।

📖 अर्थ:
कबीर ने समाज में व्याप्त धार्मिक पाखंड और भेदभाव का विरोध किया और सबको एकता और प्रेम का संदेश दिया।

🔅 प्रतीक/इमोजी: ⚖️📿💬✊

🌻 चरण 4: उनकी वाणी – अमृत जैसे दोहे
🪶
"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,"
"जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।"
छोटे-छोटे वाक्य थे, पर अर्थ में थे गहरे,
जीवन की सच्चाई को, वो कह गए सच्चे पहरे।

📖 अर्थ:
कबीर के दोहे सरल लेकिन अत्यंत गूढ़ थे। वे आत्मविश्लेषण और सत्य की ओर प्रेरित करते हैं।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 🪶📚👁�🧠

🌺 चरण 5: कबीर का संदेश – मानवता का धर्म
👫
ना ऊँच ना नीच कहा, सबमें बसे राम,
एक ही ज्योति में जलते, राजा और बेनाम।
जाति-धर्म के जाल में, मानव न उलझे फिर,
कबीर की यही पुकार थी, सबका हो इक पीर।

📖 अर्थ:
कबीर ने हमेशा मानवता को धर्म से ऊपर रखा और कहा कि हर व्यक्ति में एक ही परमात्मा वास करता है।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 🫂🌈🕊�🕉�☪️✝️

🌷 चरण 6: संत कबीर जयंती – चेतना का उत्सव
🎉
ज्येष्ठ की पूर्णिमा पर, मनाते हैं हम दिन,
जहाँ प्रेम की हो वर्षा, और भक्ति हो संगीन।
भजन, सत्संग, सेवा से, भर जाए हर ग्राम,
कबीर का हो स्मरण फिर, जागे आत्मा का राम।

📖 अर्थ:
संत कबीर जयंती पर भक्ति, सेवा और प्रेम का उत्सव मनाया जाता है, जिससे सामाजिक जागरण होता है।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 🪔🎶🧎�♂️💞🏡

🌸 चरण 7: कबीर आज भी प्रासंगिक हैं
🕊�
आज की दुनिया में भी, कबीर की है बात,
जहाँ प्रेम की कमी हो, वहाँ दोहों का साथ।
सत्य, भक्ति, समरसता – यही हो आधार,
कबीर के संदेश से, बने दुनिया सुंदर संसार।

📖 अर्थ:
आज भी कबीर के विचार उतने ही उपयोगी हैं जितने उनके समय में थे – प्रेम, भक्ति और समानता की राह आज भी ज़रूरी है।

🔅 प्रतीक/इमोजी: 🌏🕊�📿💬💡

📜 समापन संदेश
"संत कबीर कोई भूत नहीं, वे आज भी हमारे अंतर्मन में गूंजते हैं।
जो उन्हें समझे, वो प्रेम, सत्य और भक्ति के पथ पर आगे बढ़ता है।"

🌼
|| संत कबीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ ||
|| प्रेम ही सच्चा धर्म है – कबीर वाणी का अमर सत्य ||

--अतुल परब
--दिनांक-11.06.2025-बुधवार.
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