🙏 गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती-"शौर्य और शांति के पुजारी"

Started by Atul Kaviraje, June 13, 2025, 11:23:00 AM

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Atul Kaviraje

प्रस्तुत है गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती (12 जून 2025, गुरुवार) के उपलक्ष्य में एक भक्तिभावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता — सरल शब्दों, सुंदर तुकबंदी, चित्रात्मक प्रतीकों 🖼� और इमोजी ✨ के साथ। प्रत्येक चरण का संक्षिप्त हिंदी अर्थ भी दिया गया है, जिससे यह कविता अध्यात्म, प्रेरणा और इतिहास को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करती है।

🙏 गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती पर भक्तिपूर्ण कविता
📅 तिथि: 12 जून 2025, गुरुवार
🕯� विषय: वीरता, भक्ति और समाज कल्याण के प्रतीक गुरु हरगोबिंद सिंह जी
🛡� भाव: श्रद्धा, समर्पण और प्रेरणा

🌼 कविता: "शौर्य और शांति के पुजारी"

1️⃣ चरण
🕉� गुरु का रूप सदा उजियारा,
धर्म बचाने चला सितारा।
भक्ति में जिसकी थी बहारें,
शस्त्र-धारी पर मन वारा।

🔹 अर्थ:
गुरु हरगोबिंद सिंह जी का जीवन प्रकाशमय था। वे एक ऐसे सितारे थे जो धर्म और सत्य के रक्षक बने। भक्ति और शौर्य दोनों में उनका समर्पण था।

2️⃣ चरण
⚔️ हाथ में कृपाण, होंठों पर ज्ञान,
धर्म-संग्राम था उनका निदान।
अन्याय से जो न डरते थे,
हर क्षण रहते धर्म में तान।

🔹 अर्थ:
गुरुजी के एक हाथ में शस्त्र था, पर वाणी में ज्ञान था। वे अन्याय के खिलाफ खड़े होते थे और हमेशा धर्म की रक्षा करते थे।

3️⃣ चरण
🏰 अकाल तख्त की स्थापना की,
सिखों को वीरता की राह दी।
केवल पूजा में नहीं अटकाया,
संत को सिपाही बना दिखाया।

🔹 अर्थ:
उन्होंने अमृतसर में अकाल तख्त की स्थापना की और सिखों को सिखाया कि केवल भक्ति नहीं, बल्कि आत्मरक्षा भी जरूरी है।

4️⃣ चरण
🛡� सच्चा योद्धा, भक्त महान,
सभी धर्मों को देता सम्मान।
ग़रीबों का रखवाला बन,
शोषण से करता सामना।

🔹 अर्थ:
वे एक महान संत और योद्धा थे जो हर धर्म का आदर करते थे। उन्होंने समाज के पीड़ित वर्गों की रक्षा की।

5️⃣ चरण
📿 पिता गुरु अर्जुन की शहादत देख,
अधर्म से किया न कोई संदेह।
साहस से ली जिम्मेदारी,
सत्य की थी उन्हें खबर सारी।

🔹 अर्थ:
अपने पिता की शहादत के बाद उन्होंने निडरता से गुरु पद संभाला और सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़े।

6️⃣ चरण
🌞 जो धर्म पे डटे रहे,
सत्य के दीप जले रहे।
वीरता से जो जीते जग,
हर दिल में आज बसे अनमोल राग।

🔹 अर्थ:
गुरु हरगोबिंद सिंह जी सदा सत्य और धर्म पर अडिग रहे। उनकी वीरता आज भी लोगों के दिलों में आदर्श के रूप में जमी है।

7️⃣ चरण
🙏 जयंती पर करें वंदन,
ले उनके जीवन से प्रेरणाजन।
धर्म और साहस का मेल सिखाएँ,
सभी को मानवता का पाठ पढ़ाएँ।

🔹 अर्थ:
उनकी जयंती पर हम श्रद्धा से प्रणाम करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें कि कैसे धर्म और वीरता साथ-साथ चल सकते हैं।

✨ कविता का सार (Short Meaning)
गुरु हरगोबिंद सिंह जी सिख धर्म के छठे गुरु थे, जिन्होंने भक्ति और वीरता दोनों का मार्ग दिखाया। उन्होंने समाज को आत्मरक्षा सिखाई, अकाल तख्त की स्थापना की और हर धर्म का सम्मान किया। यह कविता उनके अद्वितीय व्यक्तित्व, साहस और सेवा भावना को समर्पित है।

🖼� प्रतीक और इमोजी सारणी
🔤 प्रतीक / इमोजी   🌸 अर्थ
⚔️ कृपाण   आत्मरक्षा और साहस का प्रतीक
📿 माला   आध्यात्मिक साधना और भक्ति
🏰 अकाल तख्त   धार्मिक और न्यायिक शक्ति का केंद्र
🙏 वंदना   श्रद्धा और आदर
🌞 प्रकाश   ज्ञान और मार्गदर्शन
🛡� ढाल   रक्षा और सुरक्षा का भाव

📜 समापन संदेश
"धर्म की रक्षा, सेवा का भाव,
गुरु हरगोबिंद सिंह जी, थे जीवन के नव प्रकाश।"

आइए, इस जयंती पर हम गुरु जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें –
सच्चाई के साथ जिएं, अन्याय का डटकर सामना करें, और सबका आदर करें।

🌼 गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🌼
🙏✨⚔️📿🛡�📖

--अतुल परब
--दिनांक-12.06.2025-गुरुवार.
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