गोपाळ गणेश आगरकर पुण्यतिथि-"जागरण के दीप: आगरकर"

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2025, 10:07:57 AM

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Atul Kaviraje

गोपाळ गणेश आगरकर जी की पुण्यतिथि (17 जून) पर एक भक्तिभावपूर्ण, अर्थपूर्ण, सरल तुकबंदी वाली दीर्घ हिंदी कविता — वह न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि भारतीय समाज सुधार यात्रा के प्रति श्रद्धा भी दर्शाता है।

नीचे प्रस्तुत है एक 7 चरणों की भक्ति और श्रद्धाभाव से युक्त कविता,
प्रत्येक चरण में 4 पंक्तियाँ,
प्रत्येक के साथ उसका अर्थ,
और साथ में भावना दर्शाने वाले इमोजी व प्रतीक।

🕊� कविता शीर्षक: "जागरण के दीप: आगरकर"
(गोपाळ गणेश आगरकर को समर्पित)

🔥 चरण 1:
अंधकार में दीप जले, विवेक की बात लिए 🪔
टूटी जंजीरें विचार की, ज्ञान की सौगात दिए 📘
धर्म-अधर्म के नाम पर जो, जड़ता पाले थे ❌
उन्हें झकझोरा चेतना ने, तर्क के जोश दिए 🌩�

अर्थ:
आगरकर जी ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को विवेक और ज्ञान के प्रकाश से दूर किया।

🌿 चरण 2:
न थे किसी पंथ के बंधन में, ना रूढ़ि की राह चले 🚫
सत्य ही उनका एक धर्म था, बस उसी में रंगे 💬
काटे अज्ञान के बंधन को, शिक्षा का दीप जले 📚
समता, बंधुत्व, नारी मान - सबको अधिकार दिले 🧕👨�🏫

अर्थ:
वे किसी एक मत के अनुयायी नहीं थे, उनका मार्ग सत्य और शिक्षा था; सबको समानता देने वाले थे।

📜 चरण 3:
केवल विरोध न किया उन्होंने, समाधान साथ लाए 🔧
सुधार की बातों में भी, संस्कार की गूंज सुनाए 🎶
न्याय, तर्क और प्रमाण से, समाज को राह बताए 🛤�
हर दिल में नवचेतना की लौ उन्होंने जलाए 🕯�

अर्थ:
वे केवल आलोचक नहीं थे, बल्कि समाधान देने वाले, और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाले थे।

🏫 चरण 4:
फर्ग्युसन कॉलेज की नींव में, जिनकी बुद्धि बसती थी 🏛�
गर्व से कहे हर विद्यार्थी, "वो प्रेरणा सच्ची थी!" 📖
शिक्षा नहीं बस डिग्री हो, ये सोच उन्होंने हटी थी 🧠
चरित्र, चिंतन, आत्मबोध – यही राह सही मानी थी 💡

अर्थ:
उन्होंने शिक्षा को केवल नौकरी का साधन नहीं, बल्कि आत्मविकास का ज़रिया माना।

⚖️ चरण 5:
बाल विवाह, पर्दा प्रथा – सबको खुल कर ललकारा 👊
अवाज उठाई सच्चाई की, ना भय से कभी हारा 🛡�
लोगों ने विरोध किया, फिर भी वो न डिगा पग 😤
आगरकर की आत्मा बोली – "चलो, जहां हो जग!" 🌄

अर्थ:
उन्होंने सामाजिक कुरीतियों का डटकर सामना किया, बिना डरे, बिना रुके।

🌺 चरण 6:
धर्म को देखा विवेक से, श्रद्धा में भी ज्ञान रखा 🔍
ना भावनाओं से बंधे रहे, हर मत को सम्मान रखा 🕊�
आलोचना भी की धर्म की, पर नफरत को दूर रखा 🚪
सुधार के हर आंदोलन में, आदर्श स्तंभ बना रखा 🏗�

अर्थ:
उन्होंने तर्कशीलता और विवेक को धर्म से ऊपर रखा, लेकिन किसी भी मत या भाव का अपमान नहीं किया।

🌟 चरण 7:
आज भी गूंजे उनका स्वर – "जागो, मत अंध बनो!" 📢
सवाल उठाओ, सोचो खुलकर – यही पंथ चुनो 🧭
श्रद्धांजलि में शब्द नहीं, कर्मों की लौ जलाओ 🔥
गोपाळ आगरकर के पथ पर, सच्चा समाज बनाओ 🕊�

अर्थ:
उनकी स्मृति में केवल श्रद्धा नहीं, बल्कि उनके दिखाए मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।

🕯� समर्पण भाव:
गोपाळ गणेश आगरकर — सत्य के पथिक,
विवेक के दीपक,
न्याय के प्रहरी,
और आधुनिक भारत के असली समाज निर्माता को कोटिशः नमन। 🙏🇮🇳

--अतुल परब
--दिनांक-17.06.2025-मंगळवार.
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