🌀 विष्णु का 'वर्तमान स्वरूप' और जीवन में मार्गदर्शन-

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2025, 10:13:10 PM

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Atul Kaviraje

(विष्णु का 'वर्तमान स्वरूप' और जीवन में मार्गदर्शन)
(Vishnu's 'Present Form' and Guidance in Life)
Vishnu's 'present situation' and guidance in life-

यह रही एक भक्तिभावपूर्ण, अर्थपूर्ण, सरल तुकबंदी में दीर्घ हिंदी कविता-

विषय: 🌀 विष्णु का 'वर्तमान स्वरूप' और जीवन में मार्गदर्शन-
(Vishnu's Present Form and Guidance in Life)
➡️ ७ चरण | ४ पंक्तियाँ प्रति चरण | हर चरण का सरल अर्थ | प्रतीक व इमोजी 🌿🪷📿 सहित

🌀 विष्णु का 'वर्तमान स्वरूप' और जीवन में मार्गदर्शन
(Vishnu's Present Form and His Guidance in Modern Life)

🌞 चरण 1: विष्णु का निराकार भाव
नहीं बसते अब केवल मंदिर, नहीं हैं शेषनाग पर।
विष्णु हैं हर जीव के भीतर, आत्मा के उस पार।
नयन मूंद जब मन थमे, वहां हों दर्शन विष्णु के।
वो प्रेम, करुणा, सत्य बनकर, बसते हैं हर क्षण के।

🪷 अर्थ:
भगवान विष्णु अब केवल मूर्तियों या मंदिरों में नहीं, बल्कि हर जीव की आत्मा, प्रेम और करुणा में बसते हैं।

🔹 प्रतीक: शंख 🔔, आत्मा ✨, ध्यान 🧘

🌿 चरण 2: आधुनिक अवतार का भाव
कभी वह डॉक्टर की सूरत में, कभी बनें शिक्षक प्यारे।
कभी माँ के रूप में आए, कभी बनें राह दिखाने वाले तारे।
जहाँ कहीं हो सच्चा कर्म, वहाँ विष्णु की छाया।
धर्म न अब वस्त्र में छुपा, वो हर अच्छे काम में पाया।

🕊� अर्थ:
आज विष्णु किसी भी रूप में हमारी सहायता करते हैं — जैसे डॉक्टर, गुरु, माता या मददगार। हर अच्छे कर्म में उनका वास है।

🔹 प्रतीक: सेवा 🤲, दीपक 🪔, कर्म 🛠�

🌸 चरण 3: मनुष्य के रूप में परीक्षा
कभी परीक्षा की घड़ी में, मन डगमगाने लगे।
विष्णु देते धैर्य भीतर, जब हर द्वार बंद लगे।
वो संकट में सहारा बनें, जब आशा बुझने लगे।
हर आँसू में, हर धड़कन में, उनका ही स्वर जगे।

🔥 अर्थ:
जीवन की कठिनाइयों में विष्णु भीतर से हमें सहारा देते हैं, धैर्य और शक्ति प्रदान करते हैं।

🔹 प्रतीक: आँसू 💧, दिल ❤️, सहारा 🪨

🌾 चरण 4: विष्णु का कर्मयोग संदेश
"कर्म करो, फल की चिंता मत", यही विष्णु का ज्ञान।
हर काम में हो ईमानदारी, यही है धर्म महान।
लक्ष्मी तब पास में रहती, जब श्रम हो निर्मल भाव।
विष्णु की कृपा वहीं बरसे, जहाँ हो सच्चा चाव।

⚖️ अर्थ:
भगवान विष्णु कर्म में विश्वास रखते हैं। वे सिखाते हैं कि ईमानदारी और श्रम ही लक्ष्मी और शांति का मार्ग है।

🔹 प्रतीक: कर्म 🛠�, लक्ष्मी 💰, श्रद्धा 🙏

🌼 चरण 5: प्रगति में विष्णु की झलक
जहाँ विज्ञान और सेवा मिले, वहां नारायण मुस्काएँ।
जहाँ हो नीति और समर्पण, वहां विष्णु ही बस जाएँ।
उन्होंने रचा ये ब्रह्मांड, वे हर ज्ञान में हैं जीवंत।
तकनीक में, न्याय में, शांति में, वे सदा रहे वर्तमान।

🌐 अर्थ:
आज विष्णु विज्ञान, सेवा, न्याय, और नीति में भी प्रकट होते हैं — वे केवल प्राचीन नहीं, वर्तमान के पथ-प्रदर्शक हैं।

🔹 प्रतीक: कंप्यूटर 💻, कानून 📜, विज्ञान 🔬

🔱 चरण 6: भक्ति का सरल स्वरूप
नहीं चाहिए यज्ञ बड़ा, न फूलों की भारी थाल।
विष्णु को प्रिय वही मन, जिसमें हो निर्मल लाल।
एक मुस्कान, एक सेवा, एक प्रेम का गीत।
यही अर्पण, यही पूजा, यही विष्णु की प्रीत।

🎶 अर्थ:
भगवान विष्णु को विशाल अनुष्ठानों से नहीं, बल्कि सरल प्रेम, सेवा और सच्ची भावना से प्रसन्न किया जा सकता है।

🔹 प्रतीक: दीपक 🪔, भक्ति गीत 🎵, प्रेम ❤️

🕉� चरण 7: मार्गदर्शन का आंतरिक दीप
जब मन में हो अंधकार, और राह न दिखे साफ़।
विष्णु की छाया भीतर से, करती प्रकाश का जाप।
वे हर भक्त के साथ हैं, चाहे जो भी परिस्थिति हो।
बस श्रद्धा रखो हृदय में, तो जीवन स्वयं सिद्धि हो।

💫 अर्थ:
विष्णु हर क्षण हमारे भीतर एक मार्गदर्शक दीप की तरह होते हैं — श्रद्धा और आत्मविश्वास से उनका अनुभव किया जा सकता है।

🔹 प्रतीक: दीप 🪔, आस्था 📿, प्रकाश 🕯�

🌺 समापन वाक्य:
"विष्णु अब शंख, चक्र, गदा में नहीं सीमित —
वे हैं हर भले कर्म, विचार और श्रद्धा में जीवित।
जो भी भक्ति और सेवा करे निष्काम,
उसके जीवन में स्वयं उतरते हैं श्रीहरि विष्णु तमाम।" 🙏🌀🌼

--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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