🙏 भगवान विट्ठल और उनके भक्तगण तथा उनकी विविधता-

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2025, 10:13:59 PM

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Atul Kaviraje

भगवान विट्ठल और उनके भक्तगण और उनकी विविधता: विचार-
(भगवान विट्ठल और उनके भक्त और उनकी विविधता)
(Lord Vitthal and His DevotEES and Their Diversity)
Shri Vithoba and his devotees and their diversity: thoughts-

यह रही एक भक्तिभावपूर्ण, अर्थगर्भित, सरल तुकबंदी में दीर्घ हिंदी कविता-

विषय: 🙏 भगवान विट्ठल और उनके भक्तगण तथा उनकी विविधता: विचार
(Lord Vitthal and His Devotees and Their Diversity – Thoughts)
➡️ ७ चरण | ४ पंक्तियाँ प्रति चरण | प्रत्येक चरण का सरल अर्थ | प्रतीक व इमोजी 🌾🪷📿 सहित

🙌 भगवान विट्ठल और उनके भक्तगण तथा उनकी विविधता: एक दृष्टि
(Vitthal and the Beautiful Diversity Among His Devotees)

🪷 चरण 1: पंढरपुर का विट्ठल खड़ा
काले पत्थर से बनी मूर्ति, दोनों हाथ कमर पर रखे।
भक्तों की पंक्ति देख, प्रेम से भरकर सदा थमे।
पंढरपुर की धूल में भी, मिलता दिव्य प्रकाश।
विट्ठल वहीं खड़े रहें, जब पुकारे प्रेम का प्रकाश।

📿 अर्थ:
भगवान विट्ठल पंढरपुर में एक भावपूर्ण मुद्रा में खड़े हैं। उनकी स्थिरता प्रतीक है कि वे सदा अपने भक्तों की प्रतीक्षा करते हैं, प्रेम की पुकार पर।

🔹 प्रतीक: मंदिर 🛕, चरण धूल 🌫�, कमर पर हाथ 🙌

🌾 चरण 2: संत तुकाराम का अभंग भाव
तुकाराम बोले हर पल, "विठ्ठल, विठ्ठल नाम!"
वाणी में बसी भक्ति, हृदय में श्रीराम।
कागज़ की नौका पर रख, अभंग बहा दिए।
विट्ठल ने खुद बचाए, प्रेम के भाव लिए।

🕊� अर्थ:
संत तुकाराम ने अपने भक्ति गीत (अभंग) प्रेमपूर्वक विठ्ठल को समर्पित किए। उनकी भक्ति में भावनाओं की गहराई थी, जिसे विठ्ठल ने स्वयं स्वीकारा।

🔹 प्रतीक: अभंग लेख 📜, नौका 🚣�♂️, प्रेम 💖

🌸 चरण 3: संत ज्ञानेश्वर की ज्ञान-भक्ति
ज्ञान के दीप जलाए, प्रेम से पथ दिखाया।
भक्तिनुमा साधक बन, विट्ठल को अपनाया।
ज्ञान और भक्ति में, कोई भेद नहीं माना।
विट्ठल की कृपा से, जीवन को गहराई जाना।

📘 अर्थ:
संत ज्ञानेश्वर ने भक्ति और ज्ञान को एक किया। उन्होंने दिखाया कि परमात्मा तक पहुँचने के दोनों मार्ग एक ही ईश्वर तक जाते हैं।

🔹 प्रतीक: ज्ञान दीप 🪔, ओंकार 🕉�, पुस्तक 📖

🎶 चरण 4: चोखामेळा की श्रद्धा
अछूत कहे गए जग में, पर विट्ठल ने अपनाया।
उनकी भक्ति और आंसू ने, प्रभु का हृदय पाया।
चोखा कहे — "मैं नीच नहीं, तेरी कृपा से धन्य हूँ।"
विट्ठल ने हर भेद मिटाया, कह — "तू मेरा भक्त पुण्य।"

🌧� अर्थ:
चोखामेळा, जो समाज से तिरस्कृत थे, विट्ठल की कृपा से सम्मानित हुए। उनकी भक्ति ने यह सिखाया कि जात-पात ईश्वर के लिए कुछ नहीं।

🔹 प्रतीक: आँसू 💧, चरण पादुका 👣, समता ⚖️

🪕 चरण 5: नामदेव का प्रेम भजन
नामदेव का मधुर गान, विट्ठल को लुभा जाए।
कपड़े धोते, खेत जोतते, भी भजन लहराए।
हर सांस में नाम बसे, हर कर्म में भक्ति हो।
ऐसे नामदेव को देख, स्वयं विठ्ठल रुक जाए।

🎼 अर्थ:
संत नामदेव ने अपने दैनिक कर्मों में भी भगवान विठ्ठल का भजन किया। उनका जीवन साक्षात 'कर्मयोगी भक्त' का उदाहरण था।

🔹 प्रतीक: भजन 🎶, कर्म 🧺, नाम स्मरण 📿

🌿 चरण 6: विविधता में एकता की झलक
कोई ब्राह्मण, कोई वाणी, कोई किसान बड़ा।
विठ्ठल के चरणों में सब, एक ही प्रेम से जुड़ा।
कोई गाता है ताल में, कोई करता मौन जाप।
सबकी भक्ति स्वीकार कर, विठ्ठल देता आप।

🤲 अर्थ:
विठ्ठल के भक्त किसी एक रूप, जाति या विधि में नहीं बंधे — कोई गाता, कोई सेवा करता, कोई ध्यान करता — सब मार्ग भगवान तक जाते हैं।

🔹 प्रतीक: एकता 🧩, विविध भक्त 🌍, चरणवंदना 🙏

🕉� चरण 7: विठ्ठल का सन्देश आज के लिए
न पूछो नाम, न जात पूछो, न रीत पूछो प्राचीन।
पूछो बस इतना – है क्या हृदय में प्रीत गहीन?
विठ्ठल आज भी वही हैं, जो भाव को जानते हैं।
जहाँ हो निष्काम सेवा, वहाँ स्वयं प्रकट हो जाते हैं।

🌟 अर्थ:
भगवान विठ्ठल आज भी वही हैं — वे न जाति देखते हैं, न भाषा, केवल सच्चे प्रेम और सेवा को स्वीकारते हैं।

🔹 प्रतीक: प्रेम ❤️, सेवा 🤲, समर्पण 🪔

🌺 समापन वाक्य:
"विठ्ठल न मंदिरों में सीमित हैं,
न किसी एक विधि में बंद।
वे वहाँ हैं — जहाँ हृदय हो निर्मल,
और भक्ति हो निष्कलंक।" 🙏🪷🌼

--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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