संत तुकाराम महाराज पालखी प्रस्थान-“तुकारामांचे तुक्याचे नाम”

Started by Atul Kaviraje, June 19, 2025, 10:52:45 AM

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Atul Kaviraje

📅 दिनांक: 18 जून 2025, बुधवार
🙏 संत तुकाराम महाराज पालखी प्रस्थान विशेष कविता
🌿 भक्तिभावपूर्ण, सरल, अर्थपूर्ण कविता – अर्थ व प्रतीकों सहित

✨ कविता शीर्षक: "तुकारामांचे तुक्याचे नाम"

🌺 1. चरण
देहू नगरी से चला पालखी का मार्ग,
नाम गूंजे हर दिल में जैसे मीठा राग।
तुका म्हणे, हरि नाम ही जीवन का सार,
प्रेम, दया और सेवा यही असली व्यवहार। 🌿🚩

🔹 अर्थ: देहू से निकलने वाली पालखी संत तुकाराम की भक्ति और नाम की मधुरता को जन-जन में फैलाती है।

🌼 2. चरण
"जे का रंजले गांजले" कहे जो सच्चा संत,
दीन-दुखियों को मानें अपने आत्मबंध।
हर आंसू में देखें वह हरि की छाया,
तुका की वाणी है, ईश्वर की माया। 😢❤️🌈

🔹 अर्थ: संत तुकाराम का संदेश था कि जो पीड़ित हैं, वही हमारे अपने हैं। यही सच्ची भक्ति है।

🪷 3. चरण
विठोबा का नाम लिया हर बार,
भक्ति में तुका ने जीवन किया साकार।
अभंगों में बहा भावों का सागर,
जन-जन के मन में गूंजे उनका गान अमर। 🙏🎶

🔹 अर्थ: तुकाराम महाराज ने अपने अभंगों के माध्यम से भगवान से प्रेम और समाज को सीखें दीं।

🐚 4. चरण
न भूख, न प्यास, न मान की चाह,
बस हरिपाठ हो, यही थी तुका की राह।
संतों की संगत, सेवा का मार्ग,
तुकाराम ने दिखाया सच्चा भगवद्भाव। 🍃🕊�

🔹 अर्थ: तुकाराम महाराज सांसारिक सुखों से परे केवल भगवान की सेवा और नाम में मग्न थे।

🌸 5. चरण
पालखी चलती हरियाली से भर मार्ग,
संतों की बानी जैसे जल में बिखरे नक्षत्र।
पुण्य की यह यात्रा होती आनंदमय,
हर कदम में होता हरि का अभिनय। 🚩👣🌿

🔹 अर्थ: पालखी यात्रा केवल चलना नहीं, वह एक आत्मिक साधना है जो भक्तों को प्रभु से जोड़ती है।

🌞 6. चरण
गुजरते गांवों में बजती मृदंग की ताल,
भक्तों के नृत्य में होता हरि का हाल।
तुकाराम का नाम बन गया उत्सव,
जिसमें शामिल हर मन हुआ पावन एवं नव। 🥁💃🌺

🔹 अर्थ: पालखी मार्ग में भक्त नाचते-गाते हैं, यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि आत्मा की पुकार होती है।

💫 7. चरण
आज भी गूंजता "तुका म्हणे" का नाद,
सदियों बाद भी जीवित उनका संवाद।
उनकी पालखी नहीं केवल परंपरा है,
यह मानवता की सबसे सुंदर धारा है। 🌼📿

🔹 अर्थ: तुकाराम की वाणी आज भी लोगों को प्रेम, शांति और करुणा का मार्ग दिखा रही है।

🌈 चित्र कल्पना 🎨
📸: नीले आकाश के नीचे देहू से चलती पालखी, संतों की मृदंग की ताल पर नाचते भक्त, हाथों में फूल, पगडंडी पर बिखरे गुलाल, और हर चेहरे पर संतोष का तेज।

🌿🚩👣📿🥁🙏

💬 संदेश / सारांश
संत तुकाराम महाराज केवल एक संत नहीं, वे समाज के आईना थे।
उन्होंने बताया कि भक्ति का मार्ग दिखावा नहीं, सेवा, करुणा और त्याग से चलता है।
उनकी पालखी यात्रा आज भी वही ऊर्जा, वही प्रेम और वही चेतना से जुड़ी हुई है।

"हरि नामाचा गजर करा, तुक्याच्या वाणीतून जगा उजळा!"
(हरि के नाम का जयघोष करो, तुकाराम की वाणी से जीवन को उजाला दो!)

🔖 #संततुकाराम #तुका #पालखीप्रस्थान #भक्तिभाव #मराठीसंस्कार
🕊� वंदन संत तुकाराम महाराज को 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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