"श्री दावीद महाराज को श्रद्धांजलि"

Started by Atul Kaviraje, June 21, 2025, 11:32:20 AM

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Atul Kaviraje

🙏 भावपूर्ण हिंदी कविता: "श्री दावीद महाराज को श्रद्धांजलि"

📅 तिथि – 20 जून, शुक्रवार (पुण्यतिथि अनुसार)
📍 स्थान – माधव नगर, सांगली
📖 रचना स्वरूप – सरल तुकबंदी, भक्तिभाव से ओतप्रोत, 07 चरण, प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ, प्रतीक 🕉�🌿🕯� व इमोजी 🎨 सहित, साथ में प्रत्येक चरण का संक्षिप्त हिंदी अर्थ।

🌺 चरण 1
सादा जीवन, ऊँचे विचार, यही रहा आधार,
हर श्वास में नाम था, मन में प्रभु का प्यार।
माटी से निकला दीपक, जो रोशनी बन गया,
दावीद महाराज सा संत, युगों में एक हुआ।

🔸 अर्थ: श्री दावीद महाराज का जीवन बेहद सादा था, लेकिन उनके विचार दिव्य और ऊँचे थे। उन्होंने ईश्वर के प्रेम में स्वयं को अर्पित किया।
📷: 🕉�🪔🌄

🕉� चरण 2
हर पीड़ित की आँखों में, देखी उन्होंने पीर,
सच्ची सेवा में पाया, परमात्मा का नीर।
रोगी, निर्धन, भूखे को, माना भगवान,
उनके हर करुण भाव में था, प्रेम का वरदान।

🔸 अर्थ: उन्होंने सेवा को ही सच्चा धर्म माना और हर पीड़ित में भगवान का दर्शन किया।
📷: 🤲🍲🌾💧

🕯� चरण 3
ध्यान-भजन में रमते थे, आत्मा से संवाद,
बिना शब्दों के देते थे, ज्ञान का आह्वान।
गुरु रूप में मार्गदर्शक, सहज व सरल,
उनकी वाणी थी शीतल, जैसे निर्मल जल।

🔸 अर्थ: दावीद महाराज ध्यान और मौन साधना में लीन रहते थे, उनकी मौन उपस्थिति ही शिक्षा बन जाती थी।
📷: 🧘�♂️📿💬🌊

🌿 चरण 4
न धन की थी चाह उन्हें, न पद की परवाह,
हर मानव में देखा, परमेश्वर की राह।
उन्होंने जो सिखाया, वो प्रेम का संदेश,
हर जाति, धर्म से परे, बस मानवता विशेष।

🔸 अर्थ: वे सांसारिक चीज़ों से परे, केवल मानवता और प्रेम को सर्वोच्च मानते थे।
📷: ❤️🕊�🧎�♀️🌍

🔔 चरण 5
माधवनगर की धरती, बन गई पावन स्थान,
जहाँ गूंजे भक्ति स्वर, लगे संतों का ध्यान।
उनकी पुण्यतिथि पर हम, श्रद्धा सुमन चढ़ाएँ,
जीवन में उनके आदर्श, फिर से अपनाएँ।

🔸 अर्थ: माधवनगर उनकी साधना से पुण्यभूमि बन गई। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं।
📷: 🛕🌸🔔🕯�

🌞 चरण 6
उनका जीवन दीपक था, अंधेरे का अंत,
सिखाया उन्होंने यही – भीतर बसाए संत।
सत्य, क्षमा, करुणा से, जिसने जीवन सजा,
वह दावीद महाराज, सदा हमारे संग रहा।

🔸 अर्थ: उनका जीवन एक प्रकाश-पुंज की तरह था, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाता था।
📷: 🔥🧘�♀️✨💡

🕊� चरण 7
श्रद्धा से करें वंदन, झुकाकर अपना शीश,
उनके उपदेशों से मिले, जीवन को नई रेख।
वो गए नहीं हमसे दूर, हैं अंतर में समाए,
दावीद महाराज की महिमा, युगों तक गाई जाए।

🔸 अर्थ: उनका शरीर भले न रहा हो, लेकिन उनके विचार और उपदेश आज भी हमारे अंदर जीवित हैं।
📷: 🙏🕊�📖🌠

📜 अंतिम पंक्तियाँ – समर्पण स्वरूप
"धूप में जैसे छाँव थे, भीड़ में जैसे ध्यान,
श्री दावीद महाराज, आत्मा के संत महान।"

🔰 प्रतीक और इमोजी का प्रयोग
🕉� – अध्यात्म

🕯� – प्रकाश

🌿 – शांति व सेवा

🧘�♂️ – ध्यान

🔔 – संत स्मरण

🌍 – मानवता

🙏 – नमन

💖 – प्रेम

--अतुल परब
--दिनांक-20.06.2025-शुक्रवार.
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