कविता: राष्ट्रीय 'जंगल की आग' दिवस - २ जुलाई, २०२५ - बुधवार-🔥🌳💨😔💧🏡💸🚫🛡️

Started by Atul Kaviraje, July 03, 2025, 11:04:38 AM

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Atul Kaviraje

दीर्घ हिंदी कविता: राष्ट्रीय 'जंगल की आग' दिवस पर-

२ जुलाई, २०२५ - बुधवार

राष्ट्रीय जंगल की आग दिवस

१. (पहला चरण)
धरती पर है हरियाली, जीवन का आधार,
जंगल हैं हमारे साथी, करते हैं उपकार।
पर जब उठे आग की ज्वाला, सब कुछ हो बेहाल,
'जंगल की आग दिवस', देता है यही पुकार।
अर्थ: धरती पर हरियाली ही जीवन का आधार है, जंगल हमारे साथी हैं और हम पर उपकार करते हैं। पर जब आग की लपटें उठती हैं, तो सब कुछ तबाह हो जाता है। 'जंगल की आग दिवस' यही पुकार दे रहा है।
🌳🔥

२. (दूसरा चरण)
एक चिंगारी की लापरवाही, बन जाती है काल,
पेड़, परिंदे, वन्यजीव, सब हो जाते निढाल।
धुएं से भरता आकाश, हवा होती है काली,
प्रकृति का यह रोना है, हर ओर छाई ख़ाली।
अर्थ: एक छोटी सी लापरवाही की चिंगारी मृत्यु का कारण बन जाती है, जिससे पेड़, पक्षी और वन्यजीव बेहाल हो जाते हैं। आकाश धुएँ से भर जाता है और हवा काली हो जाती है। यह प्रकृति का रोना है, हर ओर खालीपन छा जाता है।
💨😔

३. (तीसरा चरण)
मिट्टी की उर्वरता खोती, जल स्रोत सूख जाते,
नदी, झरने, कुएँ, सब ही ख़ामोश हो जाते।
मानव बस्तियाँ खतरे में, घर-बार भी जल जाते,
दर्द की एक दास्तां, दिल को बहुत रुलाते।
अर्थ: मिट्टी की उर्वरता खत्म हो जाती है, जल स्रोत सूख जाते हैं। नदियाँ, झरने, कुएँ सब ख़ामोश हो जाते हैं। मानव बस्तियाँ खतरे में आ जाती हैं, घर भी जल जाते हैं। यह दर्द की ऐसी कहानी है जो दिल को बहुत रुलाती है।
💧🏡

४. (चौथा चरण)
आर्थिक चोट भी गहरी, पर्यटन भी ठप होता,
वन संपदा का नुकसान, कितना बड़ा होता।
रोजगार भी मिट जाते, जीवन हो जाता सूना,
विकास की राहों पर, छा जाती है सून्यता।
अर्थ: आर्थिक नुकसान भी गहरा होता है, पर्यटन भी बंद हो जाता है। वन संपदा का कितना बड़ा नुकसान होता है। रोजगार भी खत्म हो जाते हैं, जीवन सूना हो जाता है। विकास की राहों पर सून्यता छा जाती है।
💸🚫

५. (पांचवां चरण)
बचाव है सबसे पहला, जागरूकता ही हथियार,
छोटी सी आग भी बन सकती, महा विनाश का द्वार।
अग्निरेखाएँ बनाएं, कैम्पफायर बुझाएं,
वन को सुरक्षित रखने का, अब प्रण हम सब खाएं।
अर्थ: सबसे पहला बचाव है, जागरूकता ही हमारा हथियार है। एक छोटी सी आग भी बड़े विनाश का दरवाज़ा बन सकती है। अग्निरेखाएँ बनाएँ, कैम्पफायर बुझाएँ। अब हम सब वन को सुरक्षित रखने की कसम खाएँ।
🛡�🤝

६. (छठा चरण)
सरकार और समाज मिलकर, कदम बढ़ाना होगा,
बच्चों को बचपन से ही, ये पाठ पढ़ाना होगा।
तकनीक का सहारा लेकर, निगरानी अब तेज़ करें,
अपने हरे-भरे जंगल को, हम मिल के सुरक्षित करें।
अर्थ: सरकार और समाज को मिलकर कदम बढ़ाना होगा। बच्चों को बचपन से ही यह पाठ पढ़ाना होगा। तकनीक का सहारा लेकर अब निगरानी तेज करें। अपने हरे-भरे जंगल को हम सब मिलकर सुरक्षित करें।
👨�👩�👧�👦🛰�

७. (सातवां चरण)
संकल्प करें हम आज, न हो अग्नि का प्रकोप,
जंगल की रक्षा करना, हमारा है ये सोप।
हरियाली को बढ़ाएं, जीवन को नया रूप दें,
'जंगल की आग दिवस', जीवन का ये स्वरूप दें।
अर्थ: आज हम संकल्प करें कि आग का प्रकोप न हो। जंगल की रक्षा करना हमारा संकल्प है। हरियाली को बढ़ाएँ, जीवन को नया रूप दें। 'जंगल की आग दिवस' जीवन को यही स्वरूप दे।
🌱❤️

आपके दिन के लिए दृश्य और भावनाएँ

जंगल में आग: 🔥🌳 - विनाश और खतरा।

धुएं से घिरा चेहरा और उदास आंखें: 💨😔 - प्रदूषण और दुख।

पानी की बूंद और जला हुआ घर: 💧🏡 - जल स्रोत का नुकसान और संपत्ति का विनाश।

पैसों का ढेर और नो एंट्री संकेत: 💸🚫 - आर्थिक नुकसान और बचाव की आवश्यकता।

शील्ड और हाथ मिलाना: 🛡�🤝 - सुरक्षा और सहयोग।

परिवार और सैटेलाइट: 👨�👩�👧�👦🛰� - सामुदायिक भागीदारी और आधुनिक तकनीक।

पौधा और दिल: 🌱❤️ - प्रकृति प्रेम और संरक्षण।

इमोजी सारांश:
🔥🌳💨😔💧🏡💸🚫🛡�🤝👨�👩�👧�👦🛰�🌱❤️

आइए, हम अपने जंगलों की रक्षा करें और उन्हें आग से बचाएं!

--अतुल परब
--दिनांक-02.07.2025-बुधवार.
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