कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता: भारत के भविष्य की नींव 🚜🌾

Started by Atul Kaviraje, July 04, 2025, 10:37:50 AM

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Atul Kaviraje

कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता-

कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता: भारत के भविष्य की नींव 🚜🌾

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और देश की एक बड़ी आबादी की आजीविका का मुख्य साधन है। हालाँकि, इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में कई चुनौतियाँ हैं जिनके लिए तत्काल सुधार की आवश्यकता है ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सके, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके। कृषि में सुधार केवल आर्थिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। 🇮🇳

कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता और विवेचन (१० प्रमुख बिंदु) 🌟
किसानों की आय बढ़ाना: भारत में कई किसान अभी भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। फसल की कम कीमतें, बाजार तक सीमित पहुंच और बिचौलियों का बोलबाला उनकी आय को प्रभावित करता है। आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं। 💰

उदाहरण: उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करना और किसानों को सीधे बाजार से जोड़ने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (जैसे e-NAM) का विस्तार करना।

जल प्रबंधन में सुधार: भारत में कृषि काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर करती है। अनियमित वर्षा और भूजल के अत्यधिक दोहन से जल संकट गहरा रहा है। कुशल जल उपयोग प्रणालियों को अपनाना महत्वपूर्ण है। 💧

उदाहरण: सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर) को बढ़ावा देना, वर्षा जल संचयन और नहरों का आधुनिकीकरण करना।

बुनियादी ढांचे का विकास: ग्रामीण सड़कों, शीत भंडारण सुविधाओं (cold storage), और प्रसंस्करण इकाइयों की कमी के कारण फसल कटाई के बाद भारी नुकसान होता है। मजबूत कृषि-बुनियादी ढांचे का निर्माण आवश्यक है। 🏗�

उदाहरण: गांवों को जोड़ने वाली पक्की सड़कें बनाना ताकि किसान अपनी उपज आसानी से बाजार तक पहुंचा सकें, और उपज को खराब होने से बचाने के लिए अधिक कोल्ड स्टोरेज बनाना।

ऋण उपलब्धता और वित्तीय समावेशन: छोटे और सीमांत किसानों को अक्सर संस्थागत ऋण तक पहुंच बनाने में कठिनाई होती है, जिससे वे साहूकारों के चंगुल में फंस जाते हैं। आसान और सस्ती ऋण सुविधा प्रदान करना महत्वपूर्ण है। 💳

उदाहरण: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) को और अधिक सुलभ बनाना, और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से ग्रामीण ऋण प्रवाह को बढ़ाना।

कृषि विविधीकरण: चावल और गेहूं जैसी कुछ फसलों पर अत्यधिक निर्भरता मिट्टी के स्वास्थ्य और किसानों की आय दोनों के लिए हानिकारक है। उच्च मूल्य वाली फसलों (जैसे फल, सब्जियां, फूल) और पशुधन पालन को बढ़ावा देना चाहिए। 🍎🥕

उदाहरण: किसानों को दलहन, तिलहन और बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना, जो बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।

तकनीकी उन्नयन और नवाचार: पुरानी खेती के तरीकों के कारण उत्पादकता कम रहती है। आधुनिक कृषि उपकरण, उन्नत बीज, और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगा। 🤖

उदाहरण: ड्रोन का उपयोग करके फसल स्वास्थ्य की निगरानी करना, स्मार्टफोन ऐप्स के माध्यम से मौसम की जानकारी और बाजार मूल्य तक पहुंच प्रदान करना।

बाजार सुधार: कृषि उपज विपणन समितियों (APMC) की मौजूदा प्रणाली में कई कमियाँ हैं, जो किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करने से रोकती हैं। मुक्त और प्रतिस्पर्धी बाजार की आवश्यकता है। 🛒

उदाहरण: किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता देना, और एक राष्ट्रीय कृषि बाजार प्रणाली को मजबूत करना।

भूमि सुधार और चकबंदी: fragmented और छोटी जोत (land holdings) आधुनिक कृषि के लिए एक बाधा है। वैज्ञानिक भूमि प्रबंधन और चकबंदी से दक्षता बढ़ेगी। 📐

उदाहरण: छोटे भूखंडों को बड़े और व्यवहार्य इकाइयों में consolidate करना ताकि कृषि मशीनरी का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके।

पर्यावरणीय स्थिरता: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है और जैव विविधता कम हो रही है। जैविक खेती और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देना आवश्यक है। ♻️

उदाहरण: किसानों को जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देना।

कृषि शिक्षा और विस्तार सेवाएं: किसानों को नई तकनीकों, बाजार की जानकारी और सरकारी योजनाओं के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं होता। प्रभावी विस्तार सेवाएं प्रदान करना महत्वपूर्ण है। 🧑�🏫

उदाहरण: कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के माध्यम से किसानों तक नवीनतम शोध और सर्वोत्तम प्रथाओं को पहुंचाना।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-03.07.2025-गुरुवार.
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