भक्तिभाव पूर्ण हिंदी कविता 📖 अष्टान्हिक पर्व पर समर्पित-

Started by Atul Kaviraje, July 04, 2025, 10:40:16 AM

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Atul Kaviraje

भक्तिभाव पूर्ण हिंदी कविता 📖

अष्टान्हिक पर्व पर समर्पित-

आज गुरुवार, शुभ दिन आया,
अष्टान्हिक पर्व का शुभारंभ छाया।
जैन धर्म में यह अति विशेष,
आत्म-शुद्धि का देता संदेश।
(अर्थ: आज गुरुवार का शुभ दिन है, अष्टान्हिक पर्व का आरंभ हो गया है। जैन धर्म में यह बहुत खास है, और यह हमें आत्म-शुद्धि का संदेश देता है।)
🌄🙏

आषाढ़ मास में यह पर्व है आता,
आठ दिनों तक भक्ति में मन रमा।
मेरु पर्वत की महिमा अपार,
जिन-प्रतिमाओं का करते सार।
(अर्थ: यह पर्व आषाढ़ महीने में आता है, आठ दिनों तक मन भक्ति में लीन रहता है। मेरु पर्वत की महिमा महान है, और भक्त जिन-प्रतिमाओं का सार करते हैं।)
🗓�⛰️

उपवास और तप का है यह संगम,
दूर करे मन से हर भ्रम।
अहिंसा का होता है पालन,
करुणा का फैले हर आंगन।
(अर्थ: यह उपवास और तपस्या का संगम है, जो मन के हर भ्रम को दूर करता है। इस दौरान अहिंसा का पालन किया जाता है, और करुणा हर आंगन में फैलती है।)
🧘🕊�

ज्ञान और स्वाध्याय का मिलता है बल,
जीवन बनता है निर्मल और अटल।
तीर्थंकरों की करते हैं हम वंदना,
मन में भरते हैं शांति और साधना।
(अर्थ: ज्ञान और स्वाध्याय से हमें शक्ति मिलती है, जिससे जीवन निर्मल और स्थिर बनता है। हम तीर्थंकरों की वंदना करते हैं और मन में शांति और साधना भरते हैं।)
📖✨

हर एक कर्म को करते हैं क्षय,
पाते हैं हम मोक्ष का पथ तय।
सामूहिक भक्ति का ये अनुपम दृश्य,
भक्तों के मन में जगाए पुण्य-अदृश्य।
(अर्थ: हर एक कर्म का हम नाश करते हैं, और मोक्ष के मार्ग पर चलते हैं। यह सामूहिक भक्ति का अनोखा दृश्य है, जो भक्तों के मन में अदृश्य पुण्य जगाता है।)
🌀🤝

सात्विक जीवन की है यह पुकार,
पाप कर्मों से करते हैं इंकार।
आत्मा को पावन बनाने का अवसर,
हर प्राणी में देखते हैं ईश्वर।
(अर्थ: यह सात्विक जीवन की पुकार है, हम पाप कर्मों से इनकार करते हैं। यह आत्मा को पवित्र बनाने का अवसर है, हम हर प्राणी में ईश्वर को देखते हैं।)
🍏❤️

यह पर्व हमें देता है नई दिशा,
दूर करता है हर निराशा।
अष्टान्हिक का यह पावन आरंभ,
जीवन में लाए खुशियाँ और शुभ प्रारंभ।
(अर्थ: यह पर्व हमें नई दिशा देता है और हर निराशा को दूर करता है। अष्टान्हिक का यह पवित्र आरंभ जीवन में खुशियाँ और शुभ शुरुआत लाए।)
🌈🎉

इमोजी सारांश 🤩

🙏 श्रद्धांजलि: हाथ जोड़ना, भक्ति।
🌟 महत्व: चमकता तारा, विशेष अवसर।
✨ आत्म-शुद्धि: चमक, पवित्रता।
🕉� आराधना: ओम प्रतीक, आध्यात्मिक ध्यान।
⛰️ पर्वत: मेरु पर्वत, पवित्र स्थान।
🧘 तपस्या: ध्यान मुद्रा, आत्म-नियंत्रण।
🤝 सामूहिक: हाथ मिलाना, एकता।
📖 ज्ञान: खुली किताब, स्वाध्याय।
🕊� अहिंसा: कबूतर, शांति।
🍏 सात्विक: सेब, शुद्ध भोजन।
🌀 कर्म क्षय: चक्र, कर्मों का नाश।
🌧� मौसम: बारिश, प्रकृति।
🌈 खुशियाँ: इंद्रधनुष, आनंद।
🎉 शुभ प्रारंभ: पार्टी पोपर, उत्सव।

--अतुल परब
--दिनांक-03.07.2025-गुरुवार.
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