देवी लक्ष्मी की 'धन' और 'वैभव' साधना का दर्शन-हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 10:59:05 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

देवी लक्ष्मी की 'धन' और 'वैभव' साधना का दर्शन-हिंदी कविता-

चरण 1:
लक्ष्मी माँ, धन की तुम देवी हो,
वैभव, समृद्धि की तुम ही सेवी हो।
शुद्ध अंतःकरण से तुम आती हो,
जीवन में खुशियों की सौगात लाती हो।
अर्थ: हे लक्ष्मी माँ, आप धन की देवी हैं, और वैभव व समृद्धि आपसे ही प्राप्त होती है। आप शुद्ध हृदय में आती हैं और जीवन में खुशियों का उपहार लाती हैं।

चरण 2:
कड़ी मेहनत, उद्यमिता का पाठ,
सफलता की खोलती हर एक गाँठ।
बचत, निवेश का हो सही ठाठ,
मिले समृद्धि का सुंदर सा घाट।
अर्थ: कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता का पाठ सफलता की हर बाधा को खोल देता है। बचत और सही निवेश का सही तरीका हो, तो समृद्धि का सुंदर किनारा मिलता है।

चरण 3:
ज्ञान की देवी, विद्या की पुकार,
बुद्धि से खुले हर मुश्किल द्वार।
दान-पुण्य से बढ़ता है संसार,
परोपकार से मिलता है प्यार।
अर्थ: आप ज्ञान की देवी हैं, विद्या की पुकार हैं, और बुद्धि से हर मुश्किल द्वार खुलता है। दान और परोपकार से संसार बढ़ता है और प्यार मिलता है।

चरण 4:
आभार भाव, संतोष मन में हो,
सकारात्मकता जीवन में पनपे सो।
स्वच्छता, अनुशासन का ध्यान हो,
हर कार्य में सफलता की शान हो।
अर्थ: मन में आभार और संतोष का भाव हो, और जीवन में सकारात्मकता विकसित हो। स्वच्छता और अनुशासन का ध्यान रखा जाए, तो हर कार्य में सफलता की शान मिलती है।

चरण 5:
संबंधों में मधुरता, सहयोग की डोर,
सामाजिक सम्मान की लगती हो होड़।
धैर्य, दृढ़ संकल्प की हर हो मोड़,
सफलता की ओर ले जाती हर कोर।
अर्थ: संबंधों में मधुरता और सहयोग की डोर हो, जिससे सामाजिक सम्मान की प्रतिस्पर्धा लगती है। धैर्य और दृढ़ संकल्प हर मोड़ पर साथ हों, जो सफलता की ओर ले जाते हैं।

चरण 6:
आध्यात्मिक पथ पर हम बढ़ें,
धर्म, न्याय की राह पर डटकर लड़ें।
धन हो साधन, साध्य ना समझें,
जीवन को सच्चाई से संवारें।
अर्थ: हम आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ें, और धर्म व न्याय के मार्ग पर डटकर खड़े रहें। धन को केवल साधन समझें, साध्य नहीं, और जीवन को सच्चाई से संवारें।

चरण 7:
कमल विराजित, हाथ में धन कलश,
कमल नयन, शुभ्र वस्त्र, मुखारविंद हर्ष।
प्रसन्न हो देवी, करती कृपा वर्ष,
हर घर में हो धन और वैभव का स्पर्श।
अर्थ: कमल पर विराजमान, हाथ में धन का कलश लिए हुए, कमल जैसे नेत्रों वाली, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, प्रसन्न मुखमंडल वाली देवी। देवी प्रसन्न होकर कृपा की वर्षा करती हैं, और हर घर में धन और वैभव का स्पर्श होता है।

कविता का सार (Emoji सारंश):
शुद्ध हृदय ❤️✨, कड़ी मेहनत 💪💼, बचत 💰, ज्ञान 📚💡, दान 🙏❤️, आभार 😊🌟, स्वच्छता 🧹🌿, अच्छे संबंध 🤝🌸, धैर्य ⏳🎯, आध्यात्मिकता 🕉�🧘�♂️, समृद्धि 🏡💰, वैभव 👑💎.

यह कविता देवी लक्ष्मी की धन और वैभव साधना के गहरे दार्शनिक पहलुओं को उजागर करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
===========================================