देवी दुर्गा की पूजा में व्रतों का अभ्यास और भक्तों की आध्यात्मिक प्रगति- कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 11:01:00 AM

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Atul Kaviraje

देवी दुर्गा की पूजा में व्रतों का अभ्यास और भक्तों की आध्यात्मिक प्रगति-हिंदी कविता-

चरण 1:
दुर्गा माँ, शक्ति की तुम हो अवतार,
व्रत से बढ़ता तुम्हारा ये प्यार।
आत्म-अनुशासन का मिलता सार,
इंद्रिय निग्रह से खुलते द्वार।
अर्थ: हे दुर्गा माँ, आप शक्ति का अवतार हैं, और व्रत से आपके प्रति हमारा प्यार बढ़ता है। व्रत से आत्म-अनुशासन का सार मिलता है, और इंद्रियों पर नियंत्रण से आध्यात्मिक द्वार खुलते हैं।

चरण 2:
चित्त शुद्धि हो, मन हो शांत,
नकारात्मकता होती तुरंत प्रांत।
संकल्प शक्ति का बढ़ता क्रांत,
हर चुनौती का करते हम अंत।
अर्थ: मन शुद्ध और शांत होता है, नकारात्मकता तुरंत दूर हो जाती है। संकल्प शक्ति में क्रांति आती है, और हम हर चुनौती का अंत करते हैं।

चरण 3:
भक्ति में डूबें, ध्यान में लगें,
देवी से गहरा संबंध जुड़ें।
नकारात्मकता जाए, ऊर्जा जगें,
पापों का बोझ मन से हटे।
अर्थ: हम भक्ति में डूब जाते हैं और ध्यान में लीन होते हैं, जिससे देवी से गहरा संबंध जुड़ता है। नकारात्मकता दूर होती है, ऊर्जा जागृत होती है, और पापों का बोझ मन से हट जाता है।

चरण 4:
स्वास्थ्य भी सुधरे, काया चमके,
आलस्य दूर हो, जीवन दमकें।
कृतज्ञता से मन हर पल दमके,
संतोष की वर्षा हरदम बरसे।
अर्थ: स्वास्थ्य भी सुधरता है और शरीर चमकता है, आलस्य दूर होता है और जीवन में चमक आती है। कृतज्ञता से मन हर पल चमकता है, और संतोष की वर्षा हमेशा होती है।

चरण 5:
कर्मों का शुद्धिकरण हो, मिले मुक्ति,
देवी की कृपा की हो हर युक्ति।
कष्टों से मिले हमको हर एक मुक्ति,
जीवन में आए सुख और युक्ति।
अर्थ: कर्मों का शुद्धिकरण होता है और मुक्ति मिलती है, देवी की कृपा हर योजना में सहायक होती है। हमें कष्टों से हर प्रकार की मुक्ति मिलती है, और जीवन में सुख और सही राह मिलती है।

चरण 6:
ईश्वरीय कृपा का मिले वरदान,
मनोकामना पूर्ण, बढ़ता सम्मान।
आध्यात्मिक जागरण का ये ज्ञान,
मोक्ष की ओर ले जाए, ये महान।
अर्थ: हमें ईश्वरीय कृपा का वरदान मिलता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सम्मान बढ़ता है। यह आध्यात्मिक जागरण का ज्ञान हमें मोक्ष की ओर ले जाता है, जो बहुत महान है।

चरण 7:
सिंह वाहिनी, खड्ग धारिणी माँ,
व्रतों से बढ़ती है श्रद्धा, माँ।
शक्ति की स्रोत, कल्याणकारी माँ,
जीवन को धन्य करती हो, माँ।
अर्थ: हे माँ, आप सिंह पर सवार होती हैं और तलवार धारण करती हैं। व्रतों से हमारी श्रद्धा बढ़ती है, हे माँ। आप शक्ति का स्रोत हैं, कल्याण करने वाली माँ हैं, और आप जीवन को धन्य करती हैं, हे माँ।

कविता का सार (Emoji सारंश):
आत्म-अनुशासन 💪🧘, चित्त शुद्धि 🕊�💖, संकल्प शक्ति 🎯🌟, गहन भक्ति 🙏🕉�, नकारात्मकता नाश ✨🛡�, स्वास्थ्य लाभ 🌿💪, कृतज्ञता 😊💖, कर्म शुद्धिकरण 😇🌟, ईश्वरीय कृपा 🙏💫, आध्यात्मिक जागरण 🕉� liberation.

यह  कविता देवी दुर्गा की पूजा में व्रतों के अभ्यास के महत्व और उनके माध्यम से भक्तों की आध्यात्मिक प्रगति को स्पष्ट करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
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