भारत में पर्यावरणीय संकट: एक गंभीर चुनौती और समाधान की आवश्यकता-1- 🌍🚨🏭🗑️🚨🏭

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 11:32:59 AM

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Atul Kaviraje

भारत में पर्यावरणीय संकट-

भारत में पर्यावरणीय संकट: एक गंभीर चुनौती और समाधान की आवश्यकता 🌍🚨🏭🗑�

भारत, अपनी विशाल जनसंख्या, तीव्र आर्थिक विकास और विविध भूगोल के साथ, आज कई गंभीर पर्यावरणीय संकटों का सामना कर रहा है। ये संकट न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य, आजीविका और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण से लेकर जल की कमी और जैव विविधता के नुकसान तक, ये चुनौतियाँ एक स्थायी भविष्य के लिए तत्काल ध्यान और ठोस कार्रवाई की मांग करती हैं।

१. वायु प्रदूषण: शहरों में दम घोंटती हवा 💨😷
भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है, और कई भारतीय शहर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर हैं। औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का धुआँ, निर्माण कार्य और फसल अवशेषों को जलाना वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। यह श्वसन संबंधी बीमारियों, हृदय रोगों और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है।
उदाहरण: दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है, जिससे स्कूल बंद करने पड़ते हैं और लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है। 🌫�

२. जल प्रदूषण और जल संकट: दूषित नदियाँ और सूखते स्रोत 💧☠️ drought
भारत में नदियाँ, झीलें और भूजल स्रोत तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं। औद्योगिक अपशिष्ट, अनुपचारित सीवेज, कृषि रसायन और प्लास्टिक कचरा जल प्रदूषण के मुख्य दोषी हैं। इसके परिणामस्वरूप पेयजल की कमी और जल-जनित बीमारियों में वृद्धि हुई है। कई क्षेत्रों में भूजल स्तर भी तेजी से गिर रहा है, जिससे जल संकट गहराता जा रहा है।
उदाहरण: गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियाँ औद्योगिक और घरेलू कचरे से इतनी प्रदूषित हो गई हैं कि उनका पानी पीने योग्य नहीं रहा और जलीय जीवन भी खतरे में है। 🌊🗑�

३. वनों की कटाई और जैव विविधता का नुकसान 🌳📉🐅
विकास परियोजनाओं, कृषि विस्तार और अवैध कटाई के कारण भारत में वनों की कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। इससे न केवल वन आवरण घट रहा है, बल्कि विभिन्न प्रजातियों के प्राकृतिक आवास भी नष्ट हो रहे हैं, जिससे जैव विविधता का भारी नुकसान हो रहा है। कई पशु और पौधों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।
उदाहरण: पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर भारत जैसे जैव विविधता हॉटस्पॉट में तेजी से हो रही वनों की कटाई ने बाघों, हाथियों और कई दुर्लभ पक्षियों जैसी प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। 🐘🦜

४. मृदा अपरदन और मरुस्थलीकरण 🏜�🚜
वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, अनुचित कृषि पद्धतियों और जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में मृदा अपरदन एक बड़ी समस्या बन गया है। उपजाऊ ऊपरी मिट्टी का नुकसान कृषि उत्पादकता को कम करता है और भूमि के मरुस्थलीकरण की ओर ले जाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ती है।
उदाहरण: राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में, अत्यधिक मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि योग्य भूमि रेगिस्तान में बदल रही है, जिससे किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

५. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: कचरे का बढ़ता ढेर 🗑�🏔�
भारत में शहरीकरण की तीव्र गति के कारण ठोस अपशिष्ट (कचरा) की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। अपर्याप्त अपशिष्ट संग्रह, प्रसंस्करण और निपटान प्रणालियों के कारण कचरे के पहाड़ बन रहे हैं जो भूमि और जल को प्रदूषित करते हैं, बीमारियाँ फैलाते हैं और बदबू फैलाते हैं।
उदाहरण: दिल्ली के गाजीपुर जैसे लैंडफिल साइट्स कचरे के विशाल पहाड़ बन गए हैं, जो आसपास के वातावरण को प्रदूषित करते हैं और आग लगने का खतरा भी पैदा करते हैं। 🔥

इमोजी सारांश:
🌍🚨🏭🗑�💨😷💧☠️🌳📉🐅🏜�🚜🏔�🌡�⛈️☀️🌊🎣🔇📢👨�👩�👧�👦📈🤝🌱♻️

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
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