५ जुलाई २०२५ - शनिवार 🪔🙏 श्री जगन्नाथ पुरी पुनर्यात्रा-🛕 🙏 🕌 🎶 🪔 🌸 🤝 ✨

Started by Atul Kaviraje, July 06, 2025, 11:12:11 AM

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Atul Kaviraje

भक्तिभावपूर्ण हिंदी कविता - ५ जुलाई २०२५ - शनिवार 🪔🙏

यह श्री जगन्नाथ पुनर्यात्रा और शनिवार के महत्व को दर्शाती हुई एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सीधी-सादी, सरल और तुकबंदी वाली भक्तिपूर्ण दीर्घ कविता है। प्रत्येक चरण का अर्थ और दृश्य भी दिए गए हैं।

पुरी की पुनर्यात्रा, शनि का वार

चरण १
आज है शनिवार, ५ जुलाई का दिन,
पुरी में है उत्सव, मन में है लग्न।
जगन्नाथ प्रभु फिर, लौट रहे घर को,
भक्तों के मन में, खुशी अपार हो।
अर्थ: आज ५ जुलाई, शनिवार का दिन है। पुरी में एक बड़ा उत्सव है, और मन में उत्साह है। भगवान जगन्नाथ अपने घर लौट रहे हैं, जिससे भक्तों के मन में अपार खुशी है।

चरण २
गुंडिचा से लौटे, अपने धाम प्यारे,
रंग-बिरंगे रथ, लगते हैं न्यारे।
बलभद्र संग हैं, सुभद्रा भी साथ,
दया की मूरत, पकड़े हर का हाथ।
अर्थ: वे गुंडिचा मंदिर से अपने प्यारे धाम लौट आए हैं, उनके रंग-बिरंगे रथ अद्भुत लगते हैं। बलभद्र और सुभद्रा भी उनके साथ हैं, वे दया की मूर्ति हैं और सबका हाथ पकड़े हुए हैं।

चरण ३
शनिदेव का भी, है आज का वार,
न्याय और कर्म का, देते हैं वो सार।
प्रभु जगन्नाथ से, जुड़ जाए ये नाम,
जीवन में आए सुख, मिटे हर काम।
अर्थ: आज शनिदेव का भी दिन है, वे न्याय और कर्म का सार देते हैं। भगवान जगन्नाथ के साथ उनका नाम जुड़ जाए, जिससे जीवन में सुख आए और हर कार्य सफल हो।

चरण ४
सुना वेशा देख, मन हो निहाल,
अधर पाणा पीकर, दूर हो हर काल।
वापसी की यात्रा, देती है संदेश,
शुद्धि का पथ है, जीवन का आदेश।
अर्थ: सुना वेशा (सोने के आभूषण) देखकर मन प्रसन्न हो जाता है, और अधर पाणा पीकर हर बुरा समय दूर हो जाता है। वापसी की यह यात्रा एक संदेश देती है कि शुद्धि का मार्ग ही जीवन का आदेश है।

चरण ५
दीन-दुखियों की सेवा, रथ यात्रा का सार,
दान और प्रेम से, जीवन हो गुलज़ार।
सब मिलके खींचें, डोर ये पावन,
एकता की भावना, करता है मन भावन।
अर्थ: दीन-दुखियों की सेवा करना रथ यात्रा का सार है, और दान व प्रेम से जीवन खुशहाल होता है। सभी मिलकर इस पवित्र डोर को खींचते हैं, जो एकता की भावना को मनमोहक बनाता है।

चरण ६
आत्म-चिंतन का अवसर, मिला आज हमें,
अपने कर्मों का लेखा, करें धीमे-धीमे।
प्रभु जगन्नाथ की, कृपा सदा रहे,
सद्भाव और भक्ति, जीवन में बहे।
अर्थ: आज हमें आत्म-चिंतन का अवसर मिला है। हमें अपने कर्मों का लेखा-जोखा धीरे-धीरे करना चाहिए। भगवान जगन्नाथ की कृपा हमेशा बनी रहे, और सद्भाव व भक्ति जीवन में बहती रहे।

चरण ७
शांति और संतोष से, भरे मन के द्वार,
जगन्नाथ की महिमा, लाए सुख अपार।
हर इच्छा पूरी हो, हर सपना सजे,
जीवन में खुशहाली, सदा ऐसे ही बजे।
अर्थ: मन के द्वार शांति और संतोष से भर जाएं। जगन्नाथ की महिमा अपार सुख लाए। हर इच्छा पूरी हो और हर सपना सजे, जीवन में खुशहाली सदा ऐसे ही बनी रहे।

दृश्य और इमोजी:
इस कविता के साथ आप निम्नलिखित चित्र, प्रतीक और इमोजी का उपयोग कर सकते हैं:

चित्र/प्रतीक:

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ 🛕

पुरी का मंदिर 🕌

भक्त रथ खींचते हुए 🙏

शंख ध्वनि 🎶

धूप और दीप 🪔

फूलों की वर्षा 🌸

एकता का प्रतीक हाथ पकड़े लोग 🤝

इमोजी:
🛕 🙏 🕌 🎶 🪔 🌸 🤝 ✨ 😊 ❤️ 🚩 🎉

इमोजी सारांश:
आज, ५ जुलाई २०२५, शनिवार, पुरी में श्री जगन्नाथ पुनर्यात्रा 🛕 का पावन पर्व है। भगवान जगन्नाथ 🙏 अपने धाम लौट रहे हैं, यह भक्तों के लिए आनंद 🎉 और शुद्धि ✨ का क्षण है। शनिदेव 🌑 की पूजा के साथ, यह दिन एकता 🤝, भक्ति ❤️ और शांति 🕊� का संदेश देता है।

--अतुल परब
--दिनांक-05.07.2025-शनिवार.
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